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काशी विश्वनाथ मंदिर
बनारस में शिव के मंदिर / From Wikipedia, the free encyclopedia
काशी विश्वनाथ मंदिर सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरन में से एगो ह और इ भगवान शिव के समर्पित बा।
काशी विश्वनाथ मंदिर | |
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![]() काशी विश्वनाथ मंदिर, ca. 1915 | |
नाँव | |
अन्य नाँव | विश्वनाथ मंदिर |
पूरा नाँव | काशी विश्वनाथ मंदिर |
भूगोल | |
भूगोलीय स्थिति | 25°18′38.79″N 83°0′38.21″E |
देश | भारत |
State | उत्तर प्रदेश |
जिला | बनारस |
क्षेत्र | बनारस |
संस्कृति | |
प्रमुख देवता | विश्वनाथ भा विश्वेश्वर(शिव) |
प्रमुख तिहुआर/उत्सव | शिवरात |
इतिहास आ प्रशासन | |
रचनाकार | अहिल्याबाई होलकर |
वेबसाइट | श्री काशी विश्वनाथ मंदिर |
वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित बा। काशी विश्वनाथ मंदिर पवित्र गंगा नदी के पश्चिमी तट पर आइल बा और इ बारह ज्योतिर्लिंग में से एगो ह। ए मंदिर की प्रमुख देवता क नाम विश्वनाथ या फेर विश्वेश्वर ह जवने क मतलब ब्रह्मांड क शासक होला। वाराणसी शहर के काशी भी कहल जाला, एही खातिर ए मंदिर क लोकप्रिय नांव काशी विश्वनाथ मंदिर पड़ल बा।
एगो बहुत लंबे समय से हिन्दू शास्त्रन में इ मंदिर क शिव दर्शन आ पूजा खातिर जिक्र बा। इतिहास में ए मंदिर के कई बेर नष्ट कइल गइल और फेर बनावल गइल। आखिरी बेर एके औरंगजेब, छठा मुगल सम्राट ध्वस्त कइले रहे और एकरी जगह प ज्ञानवापी मस्जिद क निर्माण करवले रहे।[1] मंदिर क वर्तमान सरंचना मराठा नरेश, इंदौर क अहिल्या बाई होल्कर द्वारा 1780 में एकरी पास की एगो जगह पर बनवावल गइल रहे।[2]
ए मंदिर क दुगो गुंबद सिख महाराजा रणजीत सिंह क दान कइल सोना से ढकल बा। तीसरा गुंबद खुला बा। बाद में यूपी सरकार क संस्कृति और धार्मिक मामला क मंत्रालय तीसरका गुंबद प सोना क प्लेटिंग करवले में विशेष रूचि लिहलस।
1983 से, मंदिर क प्रबंधन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कइल जाला। शिवरात्रि की धार्मिक अवसर की दौरान, काशी नरेश (काशी क राजा) प्रथम प्रमुख पूजा करे वाला हो न, ए दौरान कौनों अन्य व्यक्ति या पुजारी के मंदिर गर्भगृह में प्रवेश कइले क अनुमति नाहीं होला। इन क पूजा सम्पन्न होखले की बादे दूसर लोगन के प्रवेश कइले क अनुमति मिलेला।[3] हिंदू पौराणिक कथा की अनुसार, भगवान शिव और देवी पार्वती क विवाह महाशिवरात्रि के और गौना रंगभरी एकादशी के भइल रहे। काशी क निवासी लोग ए समारोह क भव्य आयोजन करेला ए दिन के।
परंपरा की अनुसार, श्रद्धालु लोग काशी विश्वनाथ मंदिर की पूर्व महंत के घर से पालकी में भगवान शिव और देवी पार्वती क मूर्ति ले जाला लो। शंख, डमरू और अन्य संगीत वाद्ययंत्र बजावत भक्त लोग काशी विश्वनाथ मंदिर की गर्भगृह में जाला लो और ओइजा देवता लोगन के गुलाल और गुलाब क पंखुड़ी चढ़ावेला लो।