भारतीय संत, रहस्यवादी आ कवी (1398-1494) From Wikipedia, the free encyclopedia
कबीरदास चाहे संत कबीर[1] 15वीं सदी के एगो संत महात्मा, रहस्यवादी आ कवी जिनके रचना आ उपदेश के परभाव, कुछ बिद्वान लोग के अनुसार तत्कालीन भक्ति आंदोलन पर पड़ल। इनकर जनम बनारस की लगे लहरतारा में भइल रहे। धार्मिक पाखण्ड की खिलाफ उपदेश दिहलें आ भगवान की निर्गुण रूप के आराधना करे के उपदेश दिहलें। निर्गुण भक्ति की कवि लोगन में कबीरदास क अस्थान बहुत ऊपर बा। कबीर के रचना सभ के अंश सिख धर्म के पबित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब में भी शामिल मिले ला।[2][3]
कबीर के जनम के बारे में जानकारी कथा-कहानी आ बिस्वास में तोपाइल बा। एगो कथा के मोताबिक इनकर जनम बाभन औरत से भइल रहल जेकर बियाह ना भइल रहे। एही कारन ऊ कबीर के त्याग दिहली आ ओकरे बाद इनका के मुस्लिम जोलहा परिवार पा गइल आ लालन-पालन कइल। इनके सुरुआती जिनगी मुस्लिम परिवार में बीतल एह बारे में साइद कमे संदेह बा, बाकी बाद में ई हिंदू संत आ गुरू रामानंद के परभाव में अइलें आ उनके चेला बन गइलें।[4]
कबीर के हिंदू आ मुस्लिम दुनों धरम के आलोचना करे खाती जानल जाला। उनके अनुसार हिंदू लोग वेद से आ करमकांड से भरमाव में बा आ ऊ एह लोग के धार्मिक रेवाज सभ के भरपूर आलोचना कइलें जेह में जनेव आ खतना दुनों के बिरोध सामिल बा।[5] इनका जिनगी में हिंदू आ मुस्लिम दुनों धरम के लोग इनके बिचार खातिर इनका के धमकावल। निधन के बाद इनके ऊपर दुनों धरम के लोग दावा कइल।[3](एह बात पर बिबाद भइल कि इनके जरावल जाय कि दफन कइल जाव)।
धर्मदास उनके वाणी क संग्रह " बीजक " नाम के ग्रंथ मे कइन जेकर तीन मुख्य भाग ह: साखी , सबद (पद), रमैनी
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