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गंगा मैया तोहें पियरी चढ़ैबो सन् 1963 में रिलीज भइल एक ठो भोजपुरी फिलिम रहल जेकर डाइरेक्टर कुंदन कुमार आ प्रोड्यूसर बिश्वनाथ प्रसाद शाहाबादी रहलें। ई भोजपुरी भाषा में बनल सभसे पहिली फिलिम रहल आ एह में कुमकुम, अशीम कुमार आ नाज़िर हुसैन प्रमुख कलाकार रहल लोग। फिलिम से संगीत चित्रगुप्त के रहल आ गीत लिखे के काम शैलेंद्र कइलेन। गाना सभ के लता मंगेशकर आ मोहम्मद रफ़ी के आवाज मिलल।
फिलिम 22 फरवरी 1963 के, पटना के वीणा सिनेमा में रिलीज भइल। फिलिम के डाइरेक्ट कुंदन कुमार रहलें आ प्रोड्यूसर बिश्वनाथ प्रसाद शाहाबादी रहलें जे भारत के पहिला राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के चिन्हारू रहलें। फिलिम के सुरुआती बजट ₹1,50,000 रहल आ अंत ले पहुँचत-पहुँचत ₹5,00,000 पड़ल। राजेंद्र प्रसाद के एह फिलिम के रिलीज से पहिले एक ठो बिसेस स्क्रीनिंग में पटना के सदाक़त आश्रम में देखावल गइल।[1][2]
फिलिम के कहानी बिधवा-बियाह पर आधारित रहल।
गंगा मइया तोहें पियरी चढ़इबों के संगीत चित्रगुप्त के रहल आ गीत शैलेंद्र लिखले रहलें।[3]
1950 के दशक के अंत में चरित्र अभिनेता नाज़िर हुसैन के मुलाक़ात भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद से भइल। राजेंद्र प्रसाद बिहार के रहलें आ भोजपुरी भाषी रहलें, पुछलें कि "काहें ना तू लोग भोजपुरी में फिलिम बनावे लऽ?" एह बात से नाज़िर हुसैन के बल मिलल आ ऊ पहिले से लिख के रखल स्क्रीनप्ले, जेकरा के ऊ पहिले बिमल रॉय के देखा चुकल रहलें[4][5] पर फिलिम बनावे के सोच लिहलें।
बाई चांस नाज़िर हुसैन के मुलकात बिश्वनाथ प्रसाद शाहाबादी से भइल जे आरा के रहे वाला बिजनेसमैन रहलें। शाहाबादी मुख्य रूप से कोइला के बिजनेस में रहलें आ धनबाद आ आ गिरडीह में सिनेमा हाल के मालिक रहलें। नाजिर हुसैन उनके फिलिम के कहानी सुनवलें आ शाहाबादी ₹ 1.5 लाख के बजट के फिलिम के प्रोड्यूस करे खातिर जुरते तइयार हो गइलें, हालाँकि अंत में एकर खर्चा ₹5 लाख बइठल। कुंदन कुमार, बनारस से रहलें, बड़े घर की बहू फिलिम बना चुकल रहलें, एह फिलिम में मुख्य भूमिका में (हीरो के रूप में) चुनल गइलें।[4]
फिलिम के मुहूरत शॉट, पटना के शहीद स्मारक पर 16 फरवरी 1961 के फिल्मावल गइल। अगिला दिन से औपचारिक रूप से शूटिंग शुरू हो गइल। फिलिम के ज्यादातर हिस्सा पटना से करीबन 35 किलोमीटर के दूरी पर मौजूद बिहटा गाँव में भइल। कुछ हिस्सा पटना के गोल घर आ आरा रेलवे टीशन पर फिल्मावल गइल।[4]
27 अप्रैल 1965 के आनंद बाजार पत्रिका भवन, कलकत्ता में पहिला भोजपुरी फिलिम अवार्ड के आयोजन भइल। एह अवार्ड समारोह में गंगा मइया तोहें पियरी चढ़इबों के कई गो अवार्ड मिलल जेह में बेस्ट फिलिम, बेस्ट ऐक्ट्रेस (कुमकुम), बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर (नाज़िर हुसैन), बेस्ट गीतकार (शैलेंद्र) आ बेस्ट गयाक कलाकार (मोहम्मद रफ़ी - "सोनवाँ के पिंजरा में") खातिर मिलल।[4]
साल 2011 में ई फिलिम 99वाँ "बिहार दिवस" समारोह में देखावल गइल।[6][7]
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