उत्तर प्रदेश
भारत के एगो राज्य From Wikipedia, the free encyclopedia
उत्तर प्रदेश भारत क सभसे ढेर जनसंख्या वाला राज्य आ दुनिया में सभसे ढेर जनसंख्या वाला देस-उपबिभाग बाटे। भारतीय उपमहादीप के उत्तरी-बिचला इलाक में पड़े वाला एह राज्य के कुल आबादी लगभग 200 मिलियन (20 करोड़)बाटे। लखनऊ एह राज्य के राजधानी हवे।
उत्तर प्रदेश | ||
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From top, left to right: Taj Mahal, Prem Mandir in Vrindavan, Fatehpur Sikri, Sarnath, Manikarnika Ghat, New Yamuna Bridge | ||
Coordinates: 26.85°N 80.91°E | ||
देस | भारत | |
राज्य के दर्जा | 26 जनवरी 1950 | |
राजधानी | लखनऊ | |
जिला | 75[1] | |
Government | ||
• Body | उत्तर प्रदेश सरकार | |
• राज्यपाल | आनंदी बेन पटेल[2] | |
• मुख्यमंत्री | योगी आदित्यनाथ (भाजपा) | |
• बिधानसभा |
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• संसद सीट | ||
• हाइकोर्ट | इलाहाबाद हाइकोर्ट | |
Area | ||
• Total | 240,928 किमी2 (93,023 बर्ग मील) | |
• Rank | 4था | |
Population (2011)[1] | ||
• Total | 199,281,477 | |
• Rank | 1 | |
• Density | 830/किमी2 (2,100/बर्ग मील) | |
भाषा | ||
• ऑफिशियल | हिंदी | |
• दूसर ऑफिशियल | उर्दू | |
• अन्य लोकल | भोजपुरी, अवधी | |
Time zone | UTC+05:30 (आइएसटी) | |
UN/LOCODE | IN-UP | |
Vehicle registration | UP 01—XX | |
एचडीआइ | 0.5415 (medium) | |
एचडीआइ रैंक | 18वाँ (2007-08) | |
साक्षरता |
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Website | www.up.gov.in |
ब्रिटिश andi Mandi Sandi kidney yeh de kha w/o or us ji maa randiशासन के दौरान 1 अप्रैल 1937 के यूनाइटेड प्रोविंस के नाँव से ई प्रदेश के रूप में बनावल गइल आ आजादी के बाद 1950 में एकर नाँव बदल के उत्तर प्रदेश रखाइल। 9 नवंबर 2000 के एह राज्य से उत्तरी पहाड़ी इलाका के अलग क के उत्तरांचल (अब उत्तराखंड) राज्य बनल। वर्तमान में, प्रशासन खातिर ई अठारह गो मंडल आ 75 जिला में बिभाजित कइल गइल बा।
भूगोलीय रूप से ई राज्य गंगा के मैदान के सपाट हिस्सा में स्थित बा आ इहाँ उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु पावल जाले। राज्य के पछिम ओर राजस्थान; उत्तर-पच्छिम में हरियाणा, दिल्ली आ हिमाचल प्रदेश; उत्तर में उत्तराखंड आ नेपाल; पूरुब ओर बिहार आ दक्खिन ओर मध्य प्रदेश बाड़ें; जबकि एकदम दक्खिन-पूरुब के छोर पर एकर कुछ सीमा झारखंड आ छत्तीसगढ़ के साथ भी सटल बा। कुल 243,290 बर्ग किलोमीटर (93,933 बर्गमील) रकबा वाला ई राज्य भारत के 7.33% भाग हवे आ चउथा सबसे बड़ राज्य भी हवे।
अर्थब्यवस्था के आकार के मामिला में ई भारत के तीसरा सभसे बड़ राज्य बा जहाँ जीडीपी ₹9,763 बिलियन (US$150 बिलियन) बाटे। खेती आ सर्विस क्षेत्र प्रमुख आर्थिक कामकाज बाड़ें; सर्विस सेक्टर में परिवहन, पर्यटन, होटल, अचल संपत्ति, इंशोरेंस आ फाइनेंस संबंधी चीज सामिल बाटे। गाजियाबाद, बुलंदशहर, कानपुर, गोरखपुर, इलाहाबाद, भदोही, रायबरेली, मुरादाबाद, बरेली, अलीगढ़, सोनभद्र, आ बनारस एह राज्य में औद्योगिक रूप से महत्व वाला शहर बाने।
प्राचीन आ मध्य्कालीन दौर में उत्तर प्रदेश ताकतवर राज सभ के भूमि रहल बा। इहाँ प्राकृतिक आ इतिहासी पर्यटन के कई जगह बा जइसे की आगरा, बनारस, कौशांबी, बलियाँ, श्रावस्ती, गोरखपुर, कुशीनगर, लखनऊ, इलाहाबाद वगैरह। धार्मिक रूप से हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख शाखा वैष्णव मत के दू गो अवतार राम आ कृष्ण एही राज्य में पैदा भइल बतावल जालें आ अजोध्या आ मथुरा प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थ हवें। गंगा के तीरे बसल बनारस आ गंगा आ यमुना नदी के संगम पर मौजूद इलाहाबाद के हिंदू धरम में बहुत महत्व बा। दूर उत्तर-पूरुब कोना पर मौजूद गोरखपुर नाथ सम्प्रदाय के संस्थापक गोरखनाथ के भूमि मानल जाले।
इतिहास
आदिकाल
शिकार आ भोजन संग्रह करे वाला आदिम मनुष्य लोग के उपस्थिति एह इलाका में रहल जहाँ आज के उत्तर प्रदेश बा[3][4][5] आ अनुमान बा की ई लोग[6] 85,000 से 72,000 साल पहिले इहाँ रहे। इहाँ से पुरापाषाणकाल के चीज भी मिलल बा जे 21,000–31,000 साल पुरान बतावल गइल बा[7] आ मेसोलिथिक/माइक्रोलिथिक जमाना के आदिम लोग के 10550–9550 ईसा पूर्व के बस्ती के अवशेष प्रतापगढ़ जिला से मिलल बा जेह में पालतू मवेशी, बकरी आ भेड़ पाले आ खेती के सुरुआत के प्रमाण कम से कम 6000 ईसा पूर्व तक ले के मिलल बा जे धीरे-धीरे c. 4000 से 1500 ईसापूर्व ले बिकसित भइल; सिंधु घाटी सभ्यता आ हड़प्पा संस्कृति के दौर से होत वैदिक काल आ लोहा के जुग ले आइल।[8][9][10]
प्राचीन जुग
महाजनपद काल में कोसल राज्य के बिस्तार ओही इलाका में रहे जवन आज के जमाना के उत्तर प्रदेश के सीमा के भीतर आवे ला।[11] हिंदू कथा के मोताबिक अवतारी पुरुष राम अजोध्या के राजा रहलन जे कोसल के राजधानी रहे।[12] कृष्ण, हिंदू कथा के अन्य पात्र, जिनके महाभारत में प्रमुख भूमिका रहल आ जिनके बिष्णु के अवतार मानल जाला, उत्तर प्रदेश के मथुरा में पैदा भइल बतावल जालें।[11] महाभारत के लड़ाई ऊपरी दुआबा आ दिल्ली के आसपास के इलाका में भइल रहल जहाँ कुरु महाजनपद रहल आ पांडव लोग के शासन भइल। इतिहास के हिसाब से कुरु जनपद के काल उहे हवे जे करिया आ लाल माटी के बर्तन वाला जुग हवे, यानि उत्तरी-पच्छिमी भारत में लोहा जुग के सुरुआत, लगभग 1000 ईसा पूर्व के समय।[11]
दक्खिन भारत पर हमला करे वाला ज्यादातर लोग गंगा के मैदान के इलाका से जरूर गुजरल जेकरा आज के उत्तर प्रदेश कहल जाला। एह इलाका पर कंट्रोल कइल सगरी भारतीय साम्राज्य सभ खातिर बहुत महत्व के चीज रहल बा आ अपना स्थायित्व आ बिकास खातिर सगरी बड़हन साम्राज्य सभ एह इलाका के महत्व दिहले बाने, एह में मौर्य (320–200 BC), कुषाण (CE 100–250), गुप्त (350–600), आ गुर्जर-प्रतिहार (650–1036) साम्राज्य के नाँव गिनावल जा सकत बाटे।[13] गुप्त साम्राज्य के तूर देवे वाला हूण आक्रमण के पाछे-पाछे गंगा के मैदान के एह इलाका में कन्नौज के उदय भइल।[14] हर्षवर्धन (590–647) के राज में कन्नौज के राजघराना अपना चरम पर पहुँच गइल।[14] एह समय ई पंजाब से लेके गुजरात ले आ पूरुब में बंगाल से उड़ीसा ले बिस्तार लिहले रहल।[11] एह में मध्य भारत के कुछ अइसन इलाका भी शामिल रहल जे नर्मदा नदी के दक्खिन के इलाका रहल, पूरा गंगा-जमुना मैदान टेम्पलेट एकर भाग रहबे कइल।[15] वर्तमान भारत में कई समुदाय बाने जे अपना के एह कन्नौज के राज से फइलल लोग के बंसज बतावे ला।[16] हर्ष के मउअति के बाद उनके ई साम्राज्य कई राजघराना सभ में टूट गइल, इनहन पर गुर्जर-प्रतिहार लोग आक्रमण कइल आ शासन कइल, एकरा बाद ई लोग के बंगाल के पाल बंस के भी चुनौती दिहल।[15] कन्नौज पर दक्खिनी भारत के राष्ट्रकूट बंस के लोग द्वारा आठवी से दसवीं सदी के बीच भी कई गो आक्रमण भइल।[17][18]
मध्यकाल आ सुरुआती आधुनिक जुग
16वीं सदी में, फरगाना घाटी (आधुनिक उजबेकिस्तान) के रहे वाला आ तैमूर आ चंगेज खान के बंसज, बाबर द्वारा खैबर दर्रा से हो के दक्खिनी एशिया में आक्रमण कइल गइल आ मुग़ल साम्राज्य के स्थापना भइल जेह में वर्तमान समय के अफगानिस्तान, पाकिस्तान, उत्तर भारत आ बांग्लादेश के हिस्सा आवे लें।[19] मुग़ल लोग मध्य एशिया के तुर्क लोग के बंसज रहे आ इनहन लोग के बंस में मंगोल पूर्वज लोग के भी मिलावट रहे। मुग़ल काल में उत्तर प्रदेश के इलाका साम्राज्य के हिरदय (हार्टलैंड) नियर बन गइल।[16] मुग़ल शासक बाबर आ हुमायूँ दिल्ली से शासन कइल।[20][21] साल 1540 में अफगान योद्धा, शेर शाह सूरी द्वारा मुग़ल बादशाह हुमायूँ के हरा के उत्तर प्रदेश पर अधिकार जमा लिहल गइल।[22] शेर शाह आ उनके लड़िका इस्लाम शाह द्वारा उत्तर प्रदेश पर ग्वालियर से शासन कइल गइल।[23] इस्लाम शाह के मौत के बाद उनके परधानमंत्री हेमू उत्तर प्रदेश के डि फैक्टो शासक बन गइल अ एह राज में बिहार, मध्य प्रदेश, आ बंगाल के पच्छिमी हिस्सा भी शामिल रहल। हेमू आपन टाइटिल हेमचंद्र विक्रमादित्य रखलें आ उनके औपचारिक राज्यारोहण दिल्ली के पुराना किला में 7 अक्टूबर 1556 के भइल। पानीपत के दूसरा जुद्ध में हेमू के निधन भइल आ उत्तर प्रदेश पर अकबर क शासन स्थापित भइल।[24] अकबर द्वारा आगरा आ फतेहपुर सीकरी से शासन चलावल गइल।[25] 18वीं सदी में मुगल साम्राज्य के पतन के बाद खाली जगह के मराठा साम्राज्य द्वारा भरल गइल आ मराठा लोग उत्तर प्रदेश पर हमला कइल जेह में रोहिल्ला लोग हार गइल आ रुहेलखण्ड पर रघुनाथ राव आ मल्हाराव होलकर के शासन हो गइल। मराठा आ रोहिल्ला लोग के बिचा में संघर्ष के अंत भइल 18 दिसंबर 1788 के, जब नजीबुद्दौला के पोता गुलाम कादिर के महादजी सिंधिया द्वारा हरा के गिरफ्तार क लिहल गइल। 1803 में दूसरा आंग्ल-मराठा जुद्ध के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा मराठा लोग के हरा दिहल गइल आ उत्तर प्रदेश पर अंग्रेजी राज स्थापित हो गइल।[26]
ब्रिटिश राज में
उत्तर प्रदेश के नाँव बदलाव आ क्षेत्र बदलाव के समयरेखा[27] | |
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1807 | सीडेड एंड कॉन्कर्ड प्रोविंस |
14 नवं 1834 | आगरा प्रेसिडेंसी |
1 जन 1836 | नार्थ-वेस्टर्न प्रोविंस |
3 अप्रै 1858 | ब्रिटिश अवध अलग भइल, दिल्ली के नार्थ-वेस्टर्न प्रोविंस से बिलगा के पंजाब में सामिल कइल गइल |
1 अप्रै 1871 | अजमेर, मेवाड़ आ केकरी के अलग कमिश्नर-शिप में डालल गइल |
15 फर 1877 | नार्थ वेस्टर्न प्रोविंस में अवध के शामिल कइल गइल |
22 मार्च 1902 | 'आगरा अवध संजुक्त प्रांत' नाँव कइल गइल |
3 जन 1921 | 'ब्रिटिश भारत के संजुक्त प्रांत' नाँव कइल गइल |
1 अप्रै 1937 | 'संजुक्त प्रान्त (यूनाइटेड प्रोविंस)' नाँव कइल गइल |
1 अप्रै 1946 | खुद शासन के स्वीकार कइल गइल |
15 अग 1947 | आजाद भारत के राज्य |
24 जन 1950 | नाँव बदल के 'उत्तर प्रदेश' कइल गइल |
9 नवं 2000 | वर्तमान उत्तराखंड के 'उत्तरांचल' के नाँव से अलग राज्य बनावल गइल। |
18वीं सदी के दूसरा हिस्सा में उत्तर भारत में कई गो लड़ाई, बंगाल से सुरू हो के पच्छिम के ओर बढ़त क्रम में, भइल आ इलाका धीरे-धीरे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन में आ गइल।[28] अजमेर आ जयपुर के राजघराना एही कंपनी राज में नार्थ-वेस्टर्न टेरीटरी (उत्तर-पच्छिमी इलाका) में शामिल कइल गइल रहल आ एकर नाँव तब "नार्थ-वेस्टर्न प्रोविंस" (आगरा के) रखल गइल रहे। बाद में यूपी भारत के पाँचवाँ सभसे बड़ राज्य बनल, बाकिर ई तबो ब्रिटिश भारत के सभसे छोट राज्य रहे।[29] एकर राजधानी दू बेर आगरा आ इलाहाबाद के बीच एहर-ओहर कइल गइल।[30]
ब्रिटिश शासन से गम्हिराहे असंतोख के चलते बंगाल रेजीमेंट के सिपाही लोग जे मेरठ में तैनात रहल, बिद्रोह क दिहल। एह घटना में उत्तर प्रदेश के मंगल पांडे के बिद्रोह के सुरुआत करे के श्रेय दिहल जाला।[31] एकरे बाद क्रम से बिद्रोह के बिस्तार होत गइल आ इतिहास में ई 1857 के बिद्रोह भा भारत के पहिली आजादी के लड़ाई के रूप में देखल जाला। कानपुर में नाना साहेब, तात्यां टोपे, आ अजीमुल्ला, लखनऊ में बेगम हजरत महल, झाँसी में रानी लक्ष्मीबाई, बरेली में खान बहादुर खान, फैजाबाद में मौलवी अहमदुल्लाह, कालपी में ताँत्या टोपे, इलाहाबाद में लियाकत अली, मेरठ में कदम सिंह आ मथुरा में देवी सिंह एह बिद्रोह के अगुआई कइल लोग। कुछ दिन बाद जब ब्रिटिश सासन दोबारा आपन सत्ता कायम क लिहलस, 1 नवंबर 1958 के इलाहाबाद में दरबार के आयोजन कइल गइल आ लार्ड कैनिंग महारानी के घोषणापत्र पढ़लें आ एकरे बाद भारत के सत्ता ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथ से सीधे इंग्लैंड के महारानी के हाथ में चल गइल। बिद्रोह के बिफलता के बाद के राजीनीतिक स्थिति में अंग्रेज लोग आपन स्थिति अउरी पोढ़ करे खाती बिद्रोही प्रदेश सभ के बाँट के नया तरीका से राजनीतिक बिभाजन कइल। नार्थ-वेस्ट प्रोविंस के दिल्ली इलाका के पंजाब के संघे बिलय क दिहल गइल, अजमेर आ मारवाड़ के राजपुताना में बिलय कइल गइल, अवध के नया राज्य के रूप में स्थापित कइल गइल आ एकर नाँव 'नार्थ वेस्टर्न प्रोविंस ऑफ आगरा एंड अवध' रखल गइल, जेकरा के 1902 में 'यूनाइटेड प्रोविंस ऑफ आगरा एंड अवध' क दिहल गइल।[32] आमतौर पर एकरा के यूनाइटेड प्रोविंस भा यूपी कहल जाए लागल।[33][34]
1920 में राजधानी के इलाहाबाद से लखनऊ ले जाइल गइल। हाईकोर्ट के इलाहाबादे में रहे दिहल गइल बाकी एगो बेंच के स्थापना लखनउओ में कइल गइल। इलाहाबाद आज भी बिबिध प्रशासनिक आ सरकारी बिभागन के मुख्यालय बा आ महत्व के शहर हवे।[35] उत्तर प्रदेश भारत के राजनीति में आपन केंद्रीय महत्व बाद में भी कायम रखले रहल आ भारत के आजादी के लड़ाई में ई इलाका बहुत गरमागरमी वाला रहल। एही दौर में उत्तर प्रदेश में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, आ दारुल-उलूम देवबंद जइसन आधुनिक शिक्षा के केंद्र सभ के स्थापना भइल। क्रांतिकारी लोग में राम प्रसाद बिस्मिल आ चंद्रशेखर आजाद नियर लोग आ मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, मदन मोहन मालवीय, गोबिंद बल्लभ पंत नियर लोग उत्तर प्रदेश के रहल जे भारत के आजादी के आंदोलन में राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय रहल आ एकर अगुआई कइल। कांग्रेस के लखनऊ सत्र में 11 अप्रैल 1936 के आल इंडिया किसान सभा के स्थापना भइल आ परसिद्ध राष्ट्रवादी स्वामी सहजानंद सरस्वती के पहिला अध्यक्ष बनावल गइल,[36] एकर मकसद ढेर दिना से चल आइल रहल खेतिहर लोग के असंतोख के दूर कइल आ जमींदारी ब्यवस्था के तहत बड़हन भूस्वामी लोग के द्वारा खेतिहर लोगग के जमीन अधिकार पर हमला के खिलाफ खेतिहर लोग के आगे कइल आ भारत में किसान आंदोलन के सुरुआत कइल भी एकर उद्देश्य रहल।[37] सन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में, बलियाँ जिला में चित्तू पांडे के अगुआई में ब्रिटिश राज के कुछ दिन खातिर खतम क दिहल गइल रहे। बलियाँ के, एकरे आजादी के लड़ाई में उग्र योगदान खातिर "बागी बलियाँ" के नाँव से जानल जाला।[38]
आजादी के बाद
भारत के आजादी के बाद, यूनाइटेड प्रोविंस के नाँव बदल के "उत्तर प्रदेश" कइल गइल, एकर छोट नाँव यूपी के ओही तरे रखे खातिर,[39][40] एकरा संबंधी नोटिफिकेशन के संघ के गजट में 24 जनवरी 1950 के छापल गइल।[41] ई राज्य से अबले आठ गो भारतीय परधानमंत्री हो चुकल बा लोग आ संसद में लोकसभा में सभसे ढेर हिस्सेदारी एही राज्य के बा। एकरा बावजूद भी, राजीनीतिक रूप से एतना महत्व वाला ई राज्य अपराध आ भ्रष्टाचार के चलते आर्थिक आ सामाजिक रूप से पिछड़पन के सिकार बा। जातीय आ सामुदायिक हिंसा से कई बेर परभावित भइल बा।[42] 1992 में अजोध्या में बाबरी महजिद के ध्वस्त करे के घटना के बाद राज्य में आ भारत भर में हिंसा भइल।[43] साल 2000 एकर उत्तरी पहाड़ी भाग के बिलगा के अलग राज्य उत्तराखंड बनावल गइल।[44]
भूगोल
उत्तर प्रदेश के कुल रकबा 2,43,290 बर्ग किलोमीटर बा, आ एह मायने में ई भारत के चउथा सभसे बड़हन राज्य बा। ई भारत के उत्तरी भाग में स्थित बा आ एकर अंतरराष्ट्रीय चौहद्दी नेपाल के साथ बा। एह राज्य के उत्तर में हिमालय परबत शुरू हो जाला,[45] बाकी प्रदेश के ज्यादातर इलाका मैदानी बा आ ई मैदान हिमालय के पहाड़ी इलाका के तुलना में एकदम्मे अलग चीज बाड़ें।[46] मैदानी इलाका के भी कई भाग में बाँटल जाला: ऊपरी गंगा मैदान, गंगा-जमुना दुआबा, घाघरा मैदान, आ तराई के मैदान।[47] प्रदेश के दक्खिनी इलाका में बिंध्य परबत के पठारी हिस्सा बा।[48] ई दक्खिनी हिस्सा में मुख्य रूप से कड़ेर चट्टानी इलाका, पहाड़ी आ पठार आ मैदानी घाटी पावल जालीं। मैदान के उत्तरी हिस्सा में भाबर आ तराई के इलाका पावल जाला, तराई में दलदली जमीन, जंगल आ लमहर हाथी घास पावल जाले।[49] भाबर के इलाका में नदी सभ के पानी काफी हद तक जमीन के नीचे (अंडरग्राउंड) बहे ला आ तराई के समानांतर ई पातर पट्टी के रूप में बा।[49] मुख्य मैदानी इलाका के तीन हिस्सा में बाँटल जाला: पूरबी उत्तर प्रदेश, जेह में 14 गो जिला सामिल बाने, अक्सर सूखा या बाढ़ के स्थिति पैदा हो जाले, बहुत घन आबादी होखे के कारण प्रति बेकती जमीन के रकबा कम बा आ बिपन्नता के इलाका मानल जाला; बिचला उत्तर प्रदेश आ पच्छिमी उत्तर प्रदेश के स्थिति कुछ बेहतर बा आ नहर इत्यादी के बिकास के कारण सिंचनी के सुबिधान बा।[49] उत्तर प्रदेश के कई इलाका सभ में जलजमाव (वाटरलॉगिंग) या फिर ऊसर जमीन के टुकड़ा भी पावल जालें।[49] एकरे अलावा, राज्य के बहुत सारा हिस्सा सूखा वाला इलाका भी बा। राज्य में कुल 32 गो गिनावे लायक छोट-बड़ नदी बाड़ी जिनहन में गंगा, यमुना, सरजू, बेतवा वगैरह के हिंदू धरम में भी महत्व बाटे।[50]
उत्तर परदेश में गहन खेती होला।[51] मैदानी हिस्सा के निचला इलाका सभ में बहुत उपजाऊँ जमीन बा। कुछ पहाड़ी ढाल सभ पर भी गहन खेती होले हालाँकि ई सिंचनी के सुबिधा पर निर्भर होला।[52] शिवालिक के पहाड़ी ढाल, जे एह प्रदेश के सभसे उत्तरी हिस्सा में बाने, के बाद तुरंते नीचे दक्खिन के ओर "भाबर" के इलाका हवे जहाँ हिमालयी नदी सभ द्वारा ले आइल बोल्डर आ मोट बालू के बनल जमीन हवे।[53] तराई आ भाबर के एह पातर पट्टी में इतिहासी रूप से घन बन रहल हवें, अभिन ले भी कुछ इलाका में बन मिले लें।[54]
जलवायु
उत्तर प्रदेश में नम उपोष्णकटिबंधी जलवायु होले आ साल में चार गो सीजन होला।[55] दिसंबर से फरवरी के बीच जाड़ा, आ मार्च से मई ले गरमी के सीजन होला। एकरे बाद मानसून के सीजन आवे ला जून से सितंबर ले रहे ला।[56] गर्मी के सीजन बहुत ढेर अतिमान वाला होला जब अधिकतम तापमान 48 °C से ऊपर ले चहुँप जाला।[57] गंगा के मैदान में जलवायु उप-आर्द्र से ले के अर्द्ध-शुष्क के बीच पावल जाले।[56] राज्य के औसत सालाना बरखा 650 मिमी होले जबकि उत्तरी-पूरबी कोने के जिला सभ में ई 1000 मिमी होले,[58] क्रम से पच्छिम के ओर बरखा के मात्रा में कमी आवत जाले। इहाँ ज्यादातर बरखा मानसून के बंगाल के खाड़ी वाली शाखा से होला। जाड़ा के सीजन में भी कुछ बरखा होले जे पच्छिमी डिस्टर्बेंस के कारण होले आ चक्रवाती प्रकार के होले।[55][59]
उत्तर प्रदेश खातिर जलवायु आँकड़ा | |||||||||||||
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महीना | जन | फर | मार्च | अप्रै | मई | जून | जुला | अग | सित | अक्टू | नवं | दिस | सालभर |
औसत अधिकतम °C (°F) | 29.9 (85.8) |
31.9 (89.4) |
35.4 (95.7) |
37.7 (99.9) |
36.9 (98.4) |
31.7 (89.1) |
28.4 (83.1) |
27.4 (81.3) |
29.4 (84.9) |
31.4 (88.5) |
30.1 (86.2) |
28.9 (84) |
31.59 (88.86) |
औसत कम °C (°F) | 11.0 (51.8) |
12.1 (53.8) |
15.8 (60.4) |
19.9 (67.8) |
22.4 (72.3) |
22.9 (73.2) |
22.2 (72) |
21.6 (70.9) |
20.8 (69.4) |
18.5 (65.3) |
14.4 (57.9) |
11.5 (52.7) |
17.76 (63.96) |
औसत वर्षण मिमी (इंच) | 0 (0) |
3 (0.12) |
2 (0.08) |
11 (0.43) |
40 (1.57) |
138 (5.43) |
163 (6.42) |
129 (5.08) |
155 (6.1) |
68 (2.68) |
28 (1.1) |
4 (0.16) |
741 (29.17) |
औसत बरखा वाला दिन | 0.1 | 0.3 | 0.3 | 1.1 | 3.3 | 10.9 | 17.0 | 16.2 | 10.9 | 5.0 | 2.4 | 0.3 | 67.8 |
औसत माहवार दिन लंबाई | 291.4 | 282.8 | 300.7 | 303.0 | 316.2 | 186.0 | 120.9 | 111.6 | 177.0 | 248.44 | 270.0 | 288.3 | 2,896.34 |
Source: [60] |
उत्तर प्रदेश के बिबिध शहर सभ के औसत ऊपरी आ निचला तापमान | ||||||||||||
शहर | जन | फर | मार्च | अप्रै | मई | जून | जुल | अग | सित | अक्टू | नवं | दिसं |
लखनऊ[61] | 73/44 | 79/49 | 90/58 | 101/69 | 105/76 | 102/81 | 92/79 | 90/78 | 92/76 | 91/66 | 79/53 | 75/45 |
कानपुर[62] | 91/71 | 92/72 | 92/75 | 93/78 | 92/78 | 85/74 | 84/73 | 84/72 | 88/78 | 88/74 | 89/74 | 90/71 |
गाजियाबाद[63] | 70/45 | 73/50 | 84/59 | 97/70 | 102/79 | 100/82 | 93/81 | 91/79 | 93/75 | 91/66 | 82/55 | 73/46 |
इलाहाबाद[64] | 74/47 | 81/52 | 92/62 | 103/73 | 108/80 | 104/83 | 93/79 | 91/78 | 92/77 | 92/69 | 86/57 | 77/49 |
आगरा[65] | 72/45 | 75/51 | 90/60 | 101/72 | 107/80 | 105/84 | 95/79 | 91/78 | 93/76 | 93/67 | 85/55 | 75/47 |
बनारस[66] | 74/47 | 80/52 | 92/61 | 102/72 | 106/80 | 102/83 | 92/79 | 91/794 | 91/77 | 90/69 | 85/57 | 76/49 |
गोरखपुर[67] | 74/49 | 80/53 | 91/72 | 103/77 | 99/79 | 92/78 | 91/78 | 91/76 | 91/70 | 85/59 | 76/51 | 76/49 |
बरेली[68] | 71/47 | 77/57 | 88/60 | 99/70 | 105/77 | 102/81 | 93/79 | 91/78 | 92/76 | 90/67 | 83/56 | 74/48 |
बनस्पति आ जियाजंतु
राजकीय पशु | बारहसिंगा | |
राजकीय पक्षी | सारस | |
राजकीय वृक्ष | अशोक | |
राजकीय फूल | पलाश | |
राजकीय नाच | कत्थक | |
राजकीय खेल | हाकी |
राज्य में प्राकृतिक संसाधन पर्याप्त रूप से मौजूद बा।[71] साल 2011 में राज्य में कुल दर्ज कइल गइल बन क्षेत्र 16,583 किमी2 (6,403 वर्ग मील) रहे जे राज्य के कुल भूगोली रकबा के 6.88% इलाका पर बिस्तार लिहले रहल।[72] तेजी से बनकटाई आ जानवरन के शिकार के बावजूद अभिन ले राज्य में बनस्पति आ जियाजंतु के मामिला में भरपूर बिबिधता देखे के मिले ला। कई प्रकार के फेड़न के प्रजाति, बिबिध छोट-बड़ मैमल, रेप्टाइल आ कीड़ा-मकोड़ा के प्रजाति ऊपरी समशीतोष्ण जंगली इलाका में पावल जालीं। कई प्रकार के पौधा जंगली रूप से पावल जालें जे जड़ी-बूटी के तौर पर इस्तेमाल होलें[73] आ एह तरह के दवा-बीरो वाला पौधा सभ के ब्यापारिक रूप से भी उपजावल जाला। तराई-दुआर इलाका में चारा के रूप में इस्तेमाल होखे वाली घास भी मिले ले आ कागज उद्योग में इस्तेमाल होखे वाली घास भी। नम-पतझड़ वाला फेड़ सभ गंगा के मैदान में नदी के किनारे वाला इलाका में पावल जालें। ई मैदान बिबिध प्रकार के कीरा-बिच्छी आ अन्य रेंगे वाला जंतु सभ के आवास भी हवे। गंगा आ अन्य नद्दी सभ में बिबिध प्रजाति के मछरी आ खेखड़ा, झींगा, डोंका वगैरह भी मिले लें। बिंध्य इलाका आ पठारी भाग में बब्बुर आ औरी अइसने सूखा इलाका के फेड़ मिले लें। चिंकारा पुराना समय में बहुत पावल जाय आ नीलगाय अभिन भी बहुत संख्या में मिले लीं।[74][75]
पूरा मैदानी इलाका में उष्णकटिबंधीय पतझड़ वाली बनस्पति मिले ले आ जमीन ले भरपूर घाम के पहुँच के चलते घास आ झाड़ीदार पौधा भी खूब पावल जालें।[76] खेती बदे, प्राचीन समय में मैदानी इलाका के जंगल सभ के साफ़ कइल गइल आ अब कहीं-कहीं कुछ टुकड़ा बचल बाने जहाँ प्राकृतिक जंगल होखे। दक्खिनी हिस्सा में पठारी भाग में अइसन कुछ इलाका बचल बाने जहाँ कांटेदार पौधा आ सूखा इलाका वाली झाडी के इलाका पथरीला जमीन होखे के कारण साफ़ नइखे कइल गइल।[77] अइसन जंगल कम बरखा वाला क्षेत्र (50–70 सेमी), आ औसत तापमान 25-27 °C आ कम नमी वाला क्षेत्र में बाने।
उत्तर प्रदेश में चिरई सभ के बिबिध प्रजाति मिले लीं।[78] प्रमुख प्रजाति में घरेलू गौरइया, मैना, गंगा मैना, पंडुक, कबूतर, मोर, सुग्गा, कोयल, बुलबुल, चोंचा, मछरेंगा, कठफोड़वे, आ अउरी कई चिरई गिनावल जा सके लीं। राज्य में बखीरा, चंबल, चंद्रप्रभा, हस्तिनापुर, कैमूर आ सुरहा ताल नियर कई गो पक्षी-बिहार स्थापित कइल गइल बाने।[79][80][81][82][83][84][85]
रेप्टाइल, यानी रेंगे वाला जीव में बिस्तुइया, गिरगिट, गोह, कोबरा (गहुअन), करइत, धामिन, घड़ियाल वगैरह पावल जाला। महसीर, टेंगना आ ट्राउट मछरी पावल जालीं। कई जियाजंतु सभ जे पहिले इहाँ पावल जायँ अब बिलुप्त भी हो चुकल बाने आ कई खतरा में भी बाने।[86] सरकार के कोसिस के बावजूद कई तरह के जानवरन के शिकार से भी खतरा बा।[87]
प्रशासनिक बिभाजन आ शहर
उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक रूप से कुल 75 गो जिला में बाँटल गइल बा आ ई जिला 18 गो मंडल में ब्यवस्थित बाने।[88] हर जिला के प्रशासन जिलाधिकारी के हाथ में होला जे एगो आईएएस अधिकारी होलें। मंडल यानि कमिशनरी के मुखिया कमिश्नर (मंडलायुक्त) होलें।
हर एक जिला के कई गो तहसील में बाँटल गइल बा। तहसील के प्रशासन के काम डिप्टी कलक्टर (एसडीएम) के जिम्मे होला आ ऊ लोग जिलाधिकारी (डीएम) के रिपोट करे ला। तहसील के नीचे ब्लॉक होलें, हालाँकि ई प्रशासनिक स्तर न हवें बलुक पंचायती राज आ बिकास के कामकाज खातिर बनावल इकाई हऽ। ब्लाक यानि बिकासखंड स्तर पर बीडीओ राज्य के अधिकारी आ ब्लाक प्रमुख जनता के प्रतिनिधि होलें। हर ब्लाक के ग्रामपंचायत में बाँटल गइल बा, एकर मुखिया जनता द्वारा चुनल प्रतिनिधि - ग्राम परधान होलें। एक ठो ग्राम पंचायत में कई गो गाँव सामिल हो सके लें।[89] ब्लाक में शहरी इलाका भी हो सके लें, जइसे छोट जनगणना कस्बा (सेंसस टाउन)[90] जबकि बड़हन नगर सभ में अलग से नगर पंचायत के गठन होला।
उत्तर प्रदेश में सभसे बड़हन प्रशासनिक बिभाग, 18 गो मंडल सभ के लिस्ट नीचे दिहल बा:
नीचे उत्तर प्रदेश के सभसे ढेर जनसंख्या वाला छह गो जिला आ भारत के जिला सभ में इनहन के रैंक दिहल गइल बा:[91]
अन्य राज्य सभ के तुलना में, उत्तर प्रदेश में सभसे ढेर मेट्रो शहर बाने।[92][93] राज्य के कुल वास्तविक शहरी जनसंख्या 44.4 मिलियन रहल, ई भारत के कुल शहरी जनसंख्या के 11.8% बा आ एह तरीका से अन्य राज्यन के तुलना में उत्तर प्रदेश दूसरा स्थान पर बा।[94] जनगणना 2011 के अनुसार, कुल 15 गो शहरी संकुल अइसन रहलें जिनहन के जनसंख्या 5,00,000 से ढेर रहल।[95] कुल 14 गो नगर निगम रहलें, आ नोएडा अलग से एगो बिधिक संस्था द्वारा प्रशासित कइल जाला।[96]
साल 2011 में, मायावती के मुख्यमंत्री काल में कैबिनेट मंत्री लोग ई निश्चय कइल कि उत्तर प्रदेश के चार गो राज्यन में बाँट दिहल जाय - पूर्वांचल, बुंदेलखंड, अवध प्रदेश आ पच्छिम प्रदेश। इनहन में क्रम से अठाईस, सात, तेईस, आ सत्रह गो जिला शामिल कइल जाए वाला रहलें। 2012 के चुनाव में जीत पावे वाली समाजवादी पार्टी के अखिलेश सरकार एह प्रस्ताव के नकार दिहलस।[97]
जनसांख्यिकी
जनसंख्या बढ़ती | |||
---|---|---|---|
Census | Pop. | %± | |
1951 | 60,274,000 | — | |
1961 | 70,144,000 | 16.4% | |
1971 | 83,849,000 | 19.5% | |
1981 | 105,137,000 | 25.4% | |
1991 | 132,062,000 | 25.6% | |
2001 | 166,198,000 | 25.8% | |
2011 | 199,581,477 | 20.1% | |
स्रोत:भारत के जनगणना |
उत्तर प्रदेश बिसाल जनसंख्या आ तेज जनसंख्या बढ़ती दर वाला राज्य बा। 1991 से 2001 के बीच प्रदेश के जनसंख्या में 26% के बढ़ती भइल।[99] ई भारत के सभसे ढेर जनसंख्या वाला राज्य हवे, जहाँ 1 मार्च 2011 के कुल 199,581,477 निवासी लोग रहल।[100] एह तरीका से भारत देस के कुल जनसंख्या में उत्तर प्रदेश के हिस्सा 16.16% रहल। भले उत्तर प्रदेश भारत के चउथा सभसे बड़हन रकबा वाला राज्य होखे, एतना बिसाल जनसंख्या के कारण इहाँ के जनघनत्व 828 ब्यक्ति प्रति वर्गकिलोमीटर बा आ ई देस के सभसे घन बसल राज्यन में से एक बा।
2011 में, उत्तर प्रदेश में मानव लिंगानुपात 908 रहल (यानी 1000 मरदाना पर 908 जनाना), जे पूरा देस के औसत लिंगानुपात 933 के तुलना में कम रहल।[1] 2001–2011 के बीच दशकीय बृद्धि दर (उत्तराखंड के सामिल क के) 20.09% रहल जे देस भर के औसत 17.64% से ढेर रहल।[101][102] उत्तर प्रदेश में गरीबी रेखा से नीचे जीवन बितावे वाला लोग के भी भारी जनसंख्या बाटे।[103] योजना आयोग के रिलीज कइल अनुमान के मोताबिक राज्य में कुल 59 मिलियन (5.9 करोड़) लोग गरीबी रेखा से नीचे रहल जे पूरा भारत के अउरी कवनो भी राज्य के तुलना में ढेर रहल।[103][104]
2011 के जनगणना के अनुसार, भारत के सभसे ढेर जनसंख्या वाला उत्तर प्रदेश, कुल हिंदू आ मुसलमान जनसंख्या के मामिला में भी सभसे ऊपर रहल।[105] धरम के आधार पर, साल 2011 के जनसंख्या में 79.73% हिंदू, 19.26% मुसलमान, 0.32% सिख, 0.18% ईसाई, 0.11% जैन, 0.10% बौद्ध, आ 0.30% अन्य दूसर धरम माने वाला लोग रहल।[106] राज्य में 2011 के आँकड़ा अनुसार साक्षारता दर 67.7% रहल, जे राष्ट्रीय औसत 74% से कमे रहल।[107][108] पुरुष साक्षारता 79% आ औरतन के साक्षरता दर 59% रहल। एकरे पहिले, 2001 के जनगणना में कुल साक्षरता दर 56.27%, पुरुष साक्षरता 67% आ औरतन के साक्षरता दर 43% दर्ज कइल गइल रहल।[109]
हिंदीइहाँ के प्रमुख भाषा हवे आ आँकड़ा के मोताबिक (91.32%) लोग[110] अपना के हिंदी भाषी बतावल। उर्दू दुसरही भाषा हवे जे राजकाज में इस्तेमाल होले।[110] भोजपुरी अन्य प्रमुख भाषा बा जे पूर्वांचल में बिसाल जनसंख्या द्वारा बोलल जाले हालाँकि, भारत सरकार एकरा के हिंदी के बोली माने ले जवना कारण भोजपुरी आ हिंदी दूनो के वास्तविक बोले वाला लोग के संख्या के अंजाद लगावल कठिन बा।
सरकार आ प्रशासन
राज्य कसे शासन प्रातिनिधिक लोकतंत्र के संसदीय सिस्टम से चले ला। उत्तर प्रदेश भारत के सात गो अइसन राज्य सभ में से एक बा जहाँ दू सदन वाली विधायिका बाटे: निचला सदन के बिधान सभा आ ऊपरी सदन के बिधान परिषद कहल जाला।[111][112] उत्तर प्रदेश बिधान सभा में कुल 404 सीट बा इनहन खातिर जनता सीधे आपन प्रतिनिधि चुने ले जे लोग के बिधायक कहल जाला। बिधान सभा के सदस्य, यानी ई बिधायक लोग पाँच बरिस खातिर चुनल जाला। उत्तर प्रदेश के बिधान परिषद, यानी ऊपरी सदन, 100 सदस्य वाला एगो परमानेंट सदन हवे आ दू तिहाई सदस्य (33 गो) हर दूसरा साल चुनल जाला। चूँकि, भारतीय संसद में उत्तर प्रदेश के सभसे ढेर लेजिस्लेटर (सांसद) लोग जाला, ई राज्य देस के राजनीति मेंभी बहुत महत्व के मानल जाला।[113] भारतीय संसद में 80 गो लोक सभा सदस्य आ 31 गो राज्यसभा सदस्य उत्तरे प्रदेश के होला लोग।[114][115][116][117]
उत्तर प्रदेश में लोकतांत्रिक रूप से शासन के संबैधानिक मुखिया राज्यपाल (गवर्नर) होलें जिनके नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा कइल जाला। राज्यपाल के कार्यकाल पाँच साल होला।[118] बिधान सभा में मेजारिटी के दल भा गठबंधन के नेता के राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री नियुक्त कइल जाला आ इनके सलाह अनुसार बाकी मंत्रिमंडल के भी नियुक्ति राज्यपाले करे लें। प्रतीकात्मक रूप से सरकार के मुखिया राज्यपाल होलें आ रोजमर्रा के सरकारी कामकाज के जिम्मेदारी मुख्यमंत्री आ उनके मंत्रिमंडल के होला।
हर जिला के प्रशासन जिलाधिकारी (डीएम) के हाथे होला जे भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) अधिकारी होलें आ इनके मातहत राज्य सेवा के अधिकारी लोग होला।[119] पुलिस कप्तान (एसपी), भारतीय पुलिस सेवा (आइपीएस) अधिकारी होलें आ इनके सहायता में राज्य पुलिस के अधिकारी लोग होला।[49] न्यायपालिका में इहाँ सभसे ऊपर इलाहाबाद हाइकोर्ट बा जेकर एगो बेंच लखनऊ में भी बा। एकरे नीचे हर जिला में जिला न्यायालय आ सत्र न्यायालय बाने आ तहसील स्तर पर भी कुछ मुकदमा के सुनवाई होला।[120] हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीस के नियुक्ती राष्ट्रपति द्वारा, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीस के सलाह पर होले।[49] बाकी जज लोग के नियुक्ति इहाँ के मुख्य न्यायाधीश के सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा होले।[120][121] निचली अदालत सभ, दू हिस्सा में बिभाजित होलीं: उत्तर प्रदेश सिविल न्यायिक सेवा आ उत्तर प्रदेश उच्च न्यायिक सेवा।[49] जहाँ सिविल जूडीशियल सर्विस में सिविल जज (जूनियर डिवीजन)/चीफ जूडीशियल मजिस्ट्रेट ओही जे, उत्तर प्रदेश के हायर जूडीशियल सेवा में सिविल आ सेशन (सत्र) जज लोग होला।[49][122]
उत्तर प्रदेश के राजनीति में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी आ भारतीय जनता पार्टी नियर चार गो राजनीतिक दल के मुख्य भूमिका बाटे। उत्तर प्रदेश के राजनीतिग्य लोग भारत के राष्ट्रीय राजनीति में भी प्रमुख भूमिका अदा कइले बा, कुछ लोग काफी ऊँच पद तक ले चहुँपल बा, जइसे कि परधानमंत्री। एह मामिला में उत्तर प्रदेश के अंडर अचीवर भी मानल जाला कि देस के आठ गो परधानमंत्री देवे के बावजूद भी ई राज्य अभिन ले गरीब राज्य बा।[123]
अर्थब्यवस्था
राज्य के नेट घरेलू उत्पाद, फैक्टर लागत पर आ चालू कीमत पर (2004–05 आधार)[124]
आँकड़ा करोड़ रुपिया में | |
साल | नेट घरेलू उत्पाद |
---|---|
2004–2005 | 229,074 |
2005–2006 | 256,699 |
2006–2007 | 294,031 |
2007–2008 | 332,352 |
2008–2009 | 384,718 |
2009–2010 | 453,020 |
अगर राज्य के नेट घरेलू उत्पाद (NSDP) के हिसाब से देखल जाय, महाराष्ट्र के बाद उत्तर प्रदेश भारत के दुसरा सभसे बड़ अर्थब्यवस्था हवे, जहाँ NSDP ₹14.46 lakh करोड़ (US$200 बिलियन) बा,[125] आ एह तरीका से भारत के अर्थब्यवस्था में एकर जोगदान 8.406 % के बा। खेतीबारी एह राज्य के लोग के मुख्य पेशा हवे।[126] इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन के रपट के मोताबिक, साल 2014–15 में देस के कुल खाद्यान उत्पादन में उत्तर प्रदेश के 19% सझियाई रहल। साल 2014–15 में खाद्यान्न उत्पादन 47,773.4 हजार टन रहल। इहाँ गोहूँ मुख्य खाद्यान फसल हवे आ ऊखि प्रमुख आमदनी वाली फसल ह।[127] भारतीय चीनी मिल एसोसिएशन (ISMA) के रपट के मोताबिक, भारत में कुल ऊख के उत्पादन साल 2015 के सितंबर महीना में खतम होखे वाला बित्त बरिस में 28.3 मिलियन टन रहल जेह में से 10.47 मिलियन टन महाराष्ट्र में आ 7.35 मिलियन टन उत्तर प्रदेश से रहल।[128]
राज्य में उद्योग सभ के संकेद्रण कई टुकड़ा में बा। मुख्य उद्योग क्षेत्र में कानपुर आ नोएडा गिनावल जा सके ला। पूर्वांचल में भी कुछ उद्योग लागल बाने। बनारस-मुग़लसराय इलाका में रेलवे से संबंधित उद्योग लागल बाने जइसे मंडुआडीह में डीजल लोकोमोटिव कारखाना बा। इलाहाबाद के उपनगरी इलाका के रूप में नैनी में भी उद्योग क्षेत्र बा, आ जौनपुर में सतहरिया उद्योग क्षेत्र बिकसित कइल जा रहल बा। उत्तर प्रदेश में मुख्य उद्योग सभ में इंजीनियरी उत्पाद, इलेक्ट्रानिक्स, इलेक्ट्रिक सामान, केबिल, स्टील, चमड़ा से बनल सामान, कपड़ा उद्योग, गहना, ऑटोमोबाइल, रेल डिब्बा वगैरह बाने। छोटहन साइज के उद्योग सभ के संख्या उत्तर प्रदेश में सगरी राज्यन के तुलना में सभसे ढेर बा; कुल भारत के 23 लाख अइसन छोट इकाई सभ के लगभग 12 हिस्सा इहँवे उत्तरे प्रदेश में बा।[126] With 359 manufacturing clusters, cement is the top sector of SMEs in UP.[129]
शिक्षा
उत्तर प्रदेश में शिक्षा के बहुत पुरान परंपरा चल आइल बा भले ई इतिहासी दौर में उच्चबर्ग आ धार्मिक बिद्यालयन ले सीमित रहल होखे।[130] संस्कृत-आधारित शिक्षा इहाँ बैदिक काल से ले के गुप्त काल ले रहल आ एकरे बाद संस्कृति के बिकासक्रम में, पाली, फ़ारसी, आ अरबी बिद्या के चलन आइल। हिंदू-बौद्ध-मुसलमानी बिद्या के सामूहिक रूप तब तक ले इहाँ के बिसेसता रहल जबले ब्रिटिश राज के उदय ना भइल। वर्तमान इस्कूल-से-इन्वर्सिटी वाला सिस्टम बाकी भारत के साथे-साथ इहाँ भी स्थापित भइल आ एह सिस्टम के बिकास में ब्रिटिश राज आ ईसाई मिशनरी सभ के योगदान हवे।[131] राज्य में इस्कूल सभ या त सरकार द्वारा चलावल जालें या फिर प्राइवेट संस्था (ट्रस्ट) द्वारा। ज्यादातर इस्कूल सभ में पढ़ाई के माध्यम के रूप में हिंदी के इस्तेमाल होला; एकरे अलावा इंग्लिश-मीडियम इस्कूल भी बाने आ संस्कृत पाठशाला आ मदरसा भी जहाँ क्रम से अंग्रेजी, संस्कृत आ उर्दू माध्यम में पढ़ाई होला। सीबीएससी आ आइसीएससी बोर्ड से जुड़ल इस्कूल सभ में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई होला।[132]
उत्तर प्रदेश में कुल 45 गो विश्वविद्यालय बाने,[133] जेह में 5 गो केंद्रीय विश्वविद्यालय, 28 गो राज्य विश्वविद्यालय, 8 डीम्ड विश्वविद्यालय, 2 गो आइआइटी, 1 ठो आइआइएम (लखनऊ), 1 ठो एनआइटी (इलाहाबाद), आ 2 गो ट्रिपल आइटी, 1 ठो नेशनल लॉ कॉलेज आ कई सारा इंजीनियरिंग कालेज आ पॉलिटेकनिक कॉलेज अउरी आइटीआई बाने।[134] उत्तर प्रदेश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय आ उच्च शिक्षा संस्थान सभ में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, आईआईटी कानपुर, आईआईएम लखनऊ, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज (केजीएमसी), बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू), मोतीलाल नेहरू नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमएनआईटी), संजय गाँधी पीजीआई प्रमुख बाने।[135][136]
पर्यटन
घरेलू पर्यटन के हिसाब से देखल जाय त उत्तर प्रदेश में सभसे ढेर पर्यटक लोग आवे ला, ई संख्या 71 मिलियन (7.1 करोड़) बा,[137][138] जेकर वजह इहाँ के बिबिधता वाला भूगोल, संस्कृति, तिहुआर, स्मारक, प्राचीन पूजा अस्थान आ बौद्ध बिहार वगैरह के मौजूदगी बा। हर साल अकेले इलाहाबाद में माघ मेलवे में लाखन गो श्रद्धालू लोग नहान करे आवे ला।[139] इहे मेला हर 12वाँ बरिस अउरी बिसाल पैमाना पर आयोजित होला आ कुंभ मेला कहाला, एह समय लगभग एक करोड़ लोग एह गंगा-जमुना के संगम पर एकट्ठा हो जाला आ ई लोगन के दुनिया में सभसे बड़ समागम बन जाला।[140]
इतिहासी रूप से महत्त्व के जगह बनारस खुद भी बा आ एकरे लगे सारनाथ भी बा[141] जहाँ गौतम बुद्ध आपन पहिला उपदेस दिहले रहलें; एकरे उत्तर में गोरखपुर के आगे कुशीनगर भी बौद्ध धरम के लोग खातिर महत्व के अस्थान बा जहाँ बुद्ध के निधन भइल। सारनाथ में मौजूद अशोक के खम्हा आ एकर सिंह मुकुट दुनो राष्ट्रीय महत्त्व के चीज बा। बनारस से लगभग 80 किमी के दूरी पर मौजूद गाजीपुर अपना गंगा घाट खातिर भी मशहूर बा आ हेइजे लार्ड कार्नवालिस के निधन भइल रहल आ उनुके मकबरा मौजूद बा।[142] राज्य में कई गो पक्षी बिहार भी बाने, जइसे एटा में, समसपुर में, आ बलियाँ में सुरहा ताल।
राजधानी लखनऊ में भी कई सारा इतिहासी धरोहर भवन मौजूद बाने।[143][144] इहाँ अवध काल के ब्रिटिश रेजीडेंसी के भवन अबहिन ले संरक्षित बा आ एकर जीर्णोद्धार भी कइल गइल बा। बड़ा आ छोटा इमामबाड़ा आ अउरी कई गो भवन बाने जिनहन के देखे लोग आवे ला। उत्तर प्रदेश में आगरा आ एकरे नजदीक में तीन गो बिस्व धरोहर अस्थान बाने: ताज महल, आगरा के किला आ फतेहपुर सीकरी।
पर्यटन के बढ़ावा देवे खातिर इहाँ 1972 में पर्यटन डाइरेक्टरेट के स्थापना कइल गइल जेकर मुखिया एगो आइएएस अफसर होलें। एकरे बाद 1974 में उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन निगम के स्थापना कइल गइल जे पर्यटन से जुड़ल बानिज्यिक क्रियाकलाप के देखरेख करे ला।[145]
सेहत आ सेहत सुबिधा
उत्तर प्रदेश में सरकारी आ निजी क्षेत्र मिला के बड़हन पैमाना पर स्वास्थ्य सुबिधा खातिर इंफ्रास्ट्रक्चर के बिकास भइल बा बाकी सेहत के अलग-अलग पैरामीटर पर अन्य राज्य सभ से तुलना कइल जाय त इहाँ के परफारमेंस बहुत उत्साहजनक नइखे। भले पब्लिक आ प्राइवेट सेक्टर में स्वास्थ्य सुबिधा के लमहर-चाकर इन्फ्रास्ट्रक्चर मौजूद होखे, इहँवा के बिसाल जनसंख्या के कारण ई जरूरत भर के ना बाटे आ अइसन सेवा सभ के डिमांड पूरा ना क पावे ला।
पछिला 15 साल में, उत्तर प्रदेश के जनसंख्या में लगभग 25 प्रतिशत से अधिका के बढ़ती भइल बा। जबकि, सरकारी स्वास्थ्य केंद्र, जवन पब्लिक सेक्टर के सभसे अगिला मोर्चा के स्वास्थ्य सुबिधा बा, इनहन के संख्या में आठ प्रतिशत के गिरावट आइल बा।[146] छोटहन उपकेंद्र सभ, जहाँ जनता के पहिला संपर्क एह सुबिधा सभ से होला, इनहन के संख्या में बस 2 प्रतिशत के बढती भइल बा अगर 2015 के पहिले के 25 साल में भइल बदलाव के देखल जाय, जबकि एही समय में राज्य के जनसँख्या में 51 परसेंट से ढेर के बढ़ती भइल बा।[146] एगो नया पैदा भइल बच्चा के जिए के आशा के तुलना कइल जाय त बिहार के तुलना में ओकर जीवन प्रत्याशा चार बरिस कम, हरियाणा के तुलना में पाँच साल कम, आ हिमाचल प्रदेश के तुलना में सात बरिस कम रहे ला। भारत के स्तर पर, सगरी छुआछूत से फइले वाली भा गैर-छुआछूत वाली बेमारी सभ में उत्तर प्रदेश लगभग सभन में सभसे ढेर केस वाला रहल, एह में टाईफाइड से होखे वाला मउअत के 48 परसेंट (2014); 17 परसेंट कैंसर से होखे वाला मौत आ 18 परसेंट टीबी से होखे वाला मउअत (2015) उत्तर प्रदेश से रहल।[146] महतारी मउअत दर के मामिला में आसाम के बाद उत्तर प्रदेश भारत में दूसरा नमर प बाटे आ इहाँ हर एक लाख जचगी करे वाली औरतन में से 285 के मौत के एभरेज (2013) बाटे, आ सौ में 62 गर्भवती औरतन के जचगी के बाद जवन कमसेकम स्वास्थ्य-सुबिधा मिले के चाहीं ऊ ना उपलब्ध हो पावे ला।[146]
अभिन भी राज्य में 42 प्रतिशत औरत, संख्या में ई 15 लाख से ढेर होखी, घरहीं जचगी करे लीं। अइसन जचगी सभ में से लगभग दू तिहाई हिस्सा (61 प्रतिशत) सुरक्षित ना होला।[147] शिशु मौत दर के आँकड़ा उत्तर प्रदेश में हाई बाटे, नवजात मौत दर (NNMR) से पाँच बरिस के भीतर मरे वाला बच्चा सभ के इंडिकेटर देखल जाय त हर 1000 जनमल बच्चा सभ में से 64 गो मर जालें, एह में से 35 गो महीना के भीतरे मर जालें आ 50 गो साल भर के उमिर पूरा ना का पावे लें।[148] अगर भारत के मानक के हिसाब से देखल जाय, प्रदेश के लगभग एक तिहाई हिस्सा ग्रामीण जनसंख्या मूलभूत स्वास्थ्य सुबिधा से बंचित बाटे।[149] हाल में, गोरखपुर में 60 ढेर बच्चन के अस्पताल में मौत हो गइल, एकर कारण उहाँ ऑक्सीजन के सप्लाई में कमी होखल बतावल गइल।[150]
संस्कृति
भाषा आ साहित्य
बहुत सारा वैदिक मंत्र सभ के रचना प्राचीन काल में एह इलाका में भइल जे आज उत्तर प्रदेश के अंदर पड़े ला। महर्षि व्यास, जे परंपरागत रूप से वेद सभ के बिभाजन करे वाला मानल जालें आ पुराणन आ महाभारत के रचइता मानल जालें आ जिनके समर्पित तिहुआर गुरु पूर्णिमा आज भी एह क्षेत्र में मनावल जाला, उत्तर परदेस के कालपी के नजदीक जमुना नदी के एगो दीप पर जनमल बतावल जालें।[151][152] बाद के समय में, हिंदी साहित्य आ लोक साहित्य में एह प्रदेश के बहुत योगदान रहल बा आ तुलसीदास, सूरदास आ कबीरदास नियर लोग एही राज्य से रहल बा। बनारस पुराना समय से शिक्षा आ साहित्य के केंद्र रहल चल आइल बा। आधुनिक समय (19वीं आ 20वीं-सदी) के हिंदी भाषा के साहित्य में भी बहुत सारा लोग के नाँव गिनावल जा सके ला जइसे कि भारतेंदु हरिश्चंद्र, जयशंकर प्रसाद, मैथिलीशरण गुप्त, मुंशी प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, सुभद्राकुमारी चौहान, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, बाबू गुलाबराय, अज्ञेय, हरिवंश राय बच्चन, हजारी प्रसाद द्विवेदी,[153] शिवप्रसाद सिंह आ काशीनाथ सिंह वगैरह।
राज्य के कबो-कबो हिंदी हार्टलैंड (मने कि, हिंदी हृदय प्रदेश) भी कहल जाला।[154] हिंदी भाषा राज्य के प्रशासन के ऑफिशियल भाषा 1951 के उत्तर प्रदेश ऑफिशियल भाषा अधिनियम से बनल आ 1989 में एह अधिनियम में सुधार कइल गइल आ उर्दू के अतिरिक्त भाषा के दर्जा दिहल गइल।[155] भाषा बिज्ञान के हिसाब से राज्य के बिस्तार हिंदी पट्टी के पच्छिमी, मध्य आ पूरबी हिंदी तीनो के कुछ इलाका कभर करे ला। मुख्य भाषा आ बोली सभ में अवधी, भोजपुरी, ब्रजभाषा, बुन्देली, कनौजी, बघेली आ कड़ी बोली गिनावल जाली सऽ।[156]
संगीत आ नाच
उत्तर प्रदेश से आवे वाला संगीत के क्षेत्र के हस्ती लोग में अनूप जलोटा, गिरिजा देवी, किशन महराज, विकास महराज,[157] नौशाद अली, रविशंकर, शुबहा मुद्गल, सिद्धेश्वरी देवी, तलत महमूद आ उस्ताद बिस्मिल्ला खान के नाँव प्रमुख बा। परसिद्ध गजल गायिका बेगम अख्तर उत्तरे परदेश के रहली। लोक संगीत के भी इहाँ बहुत धनी परंपरा बा आ ब्रज क्षेत्र के रसिया आ होरी कृष्ण भक्ति के संगीत हवे। अन्य लोग संगीत के रूप में फगुआ, कजरी, चैती, सोहर, ठुमरी, बिरहा, आ सोरठी बाटे। लखनऊ में भातखंडे संगीत संस्थान आ इलाहाबाद में प्रयाग संगीत समीति इहाँ के प्रमुख संगीत शिक्षा के संस्थान बाड़ें।[158]
शाश्त्रीय नाच के बिधा कथक के पैदाइश उत्तरे प्रदेश में भइल।[70] तबला आ पखावज के साथ एह नाच के प्रस्तुति उत्तर भारतीय संगीत पर आधारित होले।[159] शास्त्रीय नाच के चार गो घराना प्रमुख बाने: लखनऊ घराना, अज्राड़ा घराना, फर्रूखाबाद घराना आ बनारस घराना।[160][161] पूर्वांचल के लोक नाच में धोबिअऊ आ कहरऊ नाच के ख़ास अस्थान बा।
मेला आ परब-तिहुआर
दिपावली, होली आ रामनवमी उत्तर प्रदेश के बहुत प्रमुख तिहुआर हवें। इलाहाबाद के कुंभ मेला सभसे बड़हन मेला हवे।[162] बरसाना आ मथुरा में होली के पहिले लट्ठमार होली एक ठो परसिद्ध तिहुआर हवे। बुद्ध पूर्णिमा, जहिया गौतम बुद्ध के जनम, ज्ञान, आ निर्वाण तीनो भइल, बौद्ध लोग आ हिंदू लोग के पावन परब हवे। अन्य तिहुआर सभ में ईद-उल-फ़ित्र, बकरीद, बिजयदसिमी, खिचड़ी, बसंत पंचिमी, सतुआन, जन्माष्टमी, देव दीपावली, गंगा दसहरा, छठ पूजा, महावीर जयंती, मोहर्रम, आ हनुमान जयंती प्रमुख बाने।[163] आगरा के ताज महोत्सव, आधुनिक समय के चीज हवे आ संस्कृति के बिबिध रंगीन रूप देखे के मिले ला।[164] इलाहाबाद में, त्रिवेणी महोत्सव भी मनावल जाला।
खानपान
रोज-रोज खाइल जाए वाला खाना में, उत्तर भारत के बाकी इलाका नियर, उत्तर प्रदेश में भी थाली में रोटी, दाल, सब्जी आ चावल (भात) प्रमुख भोजन हवे। एकरे संघे, चटनी, रायता, अँचार आ पापड़ नियर चीज चटकार करे खातिर भोजन के सहजोगी आइटम हवें सऽ। खास मोका महाले, रोटी के जगह पूड़ी खाइल जाला। अइसन मोका सभ पर कड़ाही में छान के बनावल पकवान सभ के प्रमुखता हो जाला, इनहन के पक्का खाना कहल जाला। पूड़ी, कचउड़ी, सब्जी, पोलाव, पापड़, रायता आ मीठा आइटम में खीर (तस्मई) भा सेवई खाइल जाला। पेय (पियल जाए वाला) चीज सभ में छाछ (भा माँठा) अभिन भी बहुत सारा लोग पसंद करे ला। भोजन के बाद पान खाए-खियावे के चलन भी हवे।
बहुत सारा समुदाय-बिरादरी सभ के आपन ख़ास पकवान भी होला। जैन, कायस्थ आ मुसलमान लोग के अपना तरीका के भोजन होला। एही तरीका से एह बड़हन राज्य में क्षेत्र के अनुसार भी बिबिधता देखे के मिले ला। अवधी खाना, लखनऊ के परभाव में कबाब, बिरियानी, कीमा आ निहारी नियर पकवान सभ खातिर बहुत परसिद्ध हवे। मिठाई के आइटम में, खुरचन, बरफी, पेड़ा, गुलाबजामुन, पेठा, राबड़ी नियर चीज बहुत चलन में बाड़ी आ हिंदू लोग के भोजन में इनहन के बहुत प्रमुख अस्थान बाटे। लखनऊ के चाट आ बनारस के पान अपना सवाद आ सामग्री खाती पुरा दुनिया में मशहूर हवे।[165]
अवधी खानपान पर मुख्य रूप से लखनऊ क परभाव देखल जाला। नबाब लोग के शासन काल में, मुगलई पकवान के इहाँ चलन बहुत बढ़ल आ एही कारण इहाँ के भोजन भी काश्मीर, मध्य एशिया, पंजाब आ हैदराबादी पकवान सभ से परभावित भइल; आज शहर के अपना नबाबी खाना खातिर जानल जाला।[166] लखनऊ के बावर्ची आ रकाबदार लोग इहाँ खास 'दम पुख्त' स्टाइल शुरू कइल (जेह में कई तरह के "दम" शामिल बाने, इनहन के मद्धिम आँच पर देरी ले पकावल जाला) आ अब ई लखनऊ के खास चीन्हा बन चुकल बा। एही स्टाइल के बिस्तार के रूप में, कबाब, कोरमा, बिरियानी, कलिया, कुलचा, जरदा, शीरमाल, रूमाली रोटी, आ वरकी पराठा भी लखनऊ के खास चीज मानल जाला। अवध के खाना खाली भर बिबिधते के मामिला में धनी नइखे, पकवान बनावे में इस्तेमाल होखे वाला सामान में भी बहुत चीज शामिल कइल जाला जेह में इलायची, केसर आ जाफरान नियर खुशबूदार मसाला वगैरह गिनावल जा सके लें।
पूरबी उत्तर प्रदेश के खाना, जहाँ भोजपुरी संस्कृति बा, कुछ अलगे किसिम के होला। आम उत्तर परदेशी थाली इहाँ ओइसने होले जइसन बाकी उत्तर भारत में, बाकी पूरुब बढ़े पर भात के महत्त्व आ मछरी के महत्व बढ़त जाला। खास परब तिहुआरन पर पूड़ी कचौड़ी के साथ कढ़ी-बरी वगैरह के महत्व भी बढ़ जाला। भउरी-चोखा (लिट्टी-चोखा), सतुआ आ दही-चिउड़ा एह इलाका में काफी चलन में रहल बा। तराई के इलाका में मछरी के परभाव बढ़त देखल जाला।
पहिनावा
उत्तर प्रदेश के लोग के पहिनावा में परंपरागत पहिनावा आ पच्छिमी स्टाइल के पहिनावा, दुनों सामिल बा।[167] परंपरागत रूप से एह इलाका में धोती-कुरता भा पैजामा-कुरता मरदाना लोग के पोशाक हवे आ औरतन के पोशाक साड़ी आ सलवार-कमीज हवे।[167] नया जमाना के लोग अब पैंट-बुशट, जींस-टीशर्ट भी पहिरत बा। टोपी आ पगड़ी पुरुष लोग के पोशाक के हिस्सा हवे।[167] शेरवानी आ चूड़ीदार पैजामा, मर्दाना लोग बिसेस मोका-महाले पहिरे ला जइसे कि शादी बियाह भा तिहुआर के समय पर।[167]
मीडिया
उत्तर प्रदेश से कई गो अंग्रेजी, हिंदी आ उर्दू अखबार आ पत्रिका सभ के प्रकाशन होला। अंग्रेजी के पायनियर के अस्थापना 1865 में जार्ज एलेन द्वारा इलाहाबाद में कइल गइल।[168] अमर उजाला, दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान वगैरह के भारी सर्कुलेशन बा आ इनहन के लोकल संस्करण कई जगह से छपे ला। इहाँ छपे आ बिकाये वाला प्रमुख अंग्रेजी अखबार सभ में दि टेलीग्राफ, दि टाइम्स ऑफ इंडिया, हिंदुस्तान टाइम्स, दि हिंदू, दि स्टेट्समैन, दि इंडियन एक्सप्रेस, आ एशियन एज बाड़ें। अर्थजगत आ फाइनेंस से जुड़ल प्रमुख अखबार दि इकोनॉमिक टाइम्स, दि फाइनेंशियल एक्सप्रेस, बिजनेस लाइन, आ बिजनेस स्टैंडर्ड के सर्कुलेशन उल्लेख जोग बा। देसी भाषा सभ में भी कई गो अखबार बिकालें जेह में नेपाली, गुजराती, पंजाबी, बंगाली, ओडिया आ उर्दू भाषा के अखबार शामिल बाड़ें, हालाँकि इनहन के पाठक लोग के संख्या गिनल चुनल बा।
दूरदर्शन राज्य द्वारा चलावल जाये वाला टीवी चैनल हवे। एकरे अलावा बिबिध हिंदी, अंग्रेजी आ क्षेत्रीय भाषा सभ के चैनल केबिल प्रसारण आ डिश द्वारा उपलब्ध बाने। 24 घंटा समाचार प्रसारण वाला चैनल में एनडीटीवी इंडिया, डीडी न्यूज, जी न्यूज, जन टीवी, आइबीएन-7, आज तक आ एबीपी न्यूज प्रमुख बाने। आल इंडिया रेडियो (आकाशवाणी) राज्य के रेडियो चैनल हवे। एकरे अलावा 32 गो प्राइवेट फ्रीक्वेंसी वाला एफएम चैनल के प्रसारण उत्तर प्रदेश के अलग-अलग शहर सभ में हो रहल बा।[169][170] सेलफोन नेटवर्क सभ में राज्य के मालिकाना वाला बीएसएनएल बा आ प्राइवेट में वोडाफोन, रिलायंस, एयरटेल, एयरसेल, टेलिनोर, टाटा इंडीकॉम, आइडिया सेलुलर आ टाटा डूकोमो बाने। कुछ चुनल शहर सभ में ब्राडबैंड के सुबिधा उपलब्ध बा जे बीएसएनएल आ कुछ प्राइवेट कंपनी सभ द्वारा उपलब्ध करावल जाले।[171] बीएसएनएल आ अन्य प्रदाता सभ द्वारा डायल-अप सेवा भी उपलब्ध करावल जाले।[172]
संदर्भ
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