दिल्ली में एगो किला From Wikipedia, the free encyclopedia
लाल किला (अंग्रेजी: Red fort) भारत के राजधानी दिल्ली में एगो इतिहासी किला बाटे। ई किला मुगल शासक लोग के मुख्य निवासस्थान रहल, लमसम 200 बरिस ले जब ले कि 1857 मे अंतिम मुगल बादशाह बहादुरशाह ज़फ़र के अंगरेज लोग देस निकाला ना दे दिहल। ई दिल्ली के बीचोबीच बा आ इहाँ कई ठे म्यूजियम बनावल गइल बाने। Mu
गल शासन काल मे ई खाली मुगल बादशाह लोग के रहले के जगह भर ना रहल बलुक राजकाज से अउरी मुगल राजा लोग के पारिवारिक कारपरोज से जुड़ल आयोजन आ राजनीतिक घटना सभ के केन्दरो रहल, नगीचे के इलाका प एह जगह के बहुत परभाव भी रहल।[1]
पाँचवाँ मुग़ल बादशाह शाह जहाँ द्वारा ई किला 1639 में बनवावल गइल जब किलेबंदी (देवाल आ गेट) के भीतर ऊ आपन राजधानी शाहजहानाबाद बसवलें।[2] लाल रंग के बलुआ पाथर से बनल होखे के कारन एकर नाँव लाल किला रखाइल। ई किला 1546 में इस्लाम शाह सूरी के बनवावल सलीमगढ़ किला के ठीक बगल में बाटे। शाही आवास के भवन सभ एक कतार में बनल बाने आ ई एगो नहर के किनारे बनावल गइल बाने। एह नहर के नहर-ए-बहिश्त यानी "स्वर्ग के नहर" नाँव दिहल गइल रहे। किला के बनावट आ आर्किटेक्चर के परभाव एकरे बाद बने वाला कई गो किला आ भवन सभ पर पड़ल।[1]
1747 में जब नादिरशाह के हमला भइल, किला के नक्काशी आ सजावट में लागल कीमती पाथर सभ के ब्यापक लूटपाट भइल। 1857 के बिद्रोह के बाद किला के अंदर संगमरमर के बनल ज्यादातर चीज सभ ब्रिटिश राज में बरबाद हो गइल।[3] ब्रिटिश लोग एह किला के बाहरी मजबूत देवाल सभ भर बचावे के कोसिस कइल आ बाद में एह किला के तोपखाना (गैरिसन) के रूप में इस्तेमाल भइल।[3] एही किला में ब्रिटिश लोग अंतिम मुगल बादशाह बहादुरशाह 'ज़फ़र' के ऊपर मोकदमो चलावल आ जेकरे बाद उनके देशनिकाला दे के 1858 में रंगून भेज दिहल गइल।[4]
आज्काल्ह के समय में, हर साल भारत के आजादी के राष्ट्रीय परब स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) पर भारत के परधानमंत्री किला के मुख्य दरवाजा पर तिरंगा फहरावे लें आ किला के प्राचीर से राष्ट्र के संबोधित करे लें।[5]
2007 में लाल किला परिसर के यूनेस्को द्वारा बिस्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दिहल गइल।[1][6]
किला के वर्तमान चलनसार नाँव, हिंदुस्तानी भाषा में लाल क़िला हवे। अंग्रेजी में एकरा के रेड फ़ोर्ट कहल जाला जे "लाल किला" के अनुवाद हवे। मूल रूप से, मुगल बादशाह लोग के आवास रहल एह किला के "क़िला-ए-मुबारक़" नाँव रहल।[7][8] एकरे अलावा, आगरो के किला के "लाल किला" कहल जाला।
किला के सभसे प्रमुख चीज जे ठीक से बचल बा ओह में किला के देवाल आ प्राचीर, मेन गेट, कुछ हाल आ नदी के पूरबी किनारा पर बनल आवासी भवन बाने।[9] किला के अंग के रूप में, आ किला के भीतर मौजूद भवन आ बिल्डिंग सभ में से कुछ प्रमुख के बिबरन नीचे दिहल जा रहल बाटे:
लाहौरी गेट, लाल किला के मुख्य दरवाजा हवे, नाँव एह कारन रखल गइल बा कि ई लाहौर के ओर मुँह कइले बाटे। औरंगजेब के समय में एह दरवाजा के सामने वाला हिस्सा में सुरक्षा खातिर एगो अउरी देवाल बना दिहल गइल। एह नया निर्माण खातिर शाहजहाँ के कहनाम रहल कि "सुघर दुलहिन के मुँह पर पर्दा डाल दिहल गइल"।[10][11][12] भारत के आजादी (1947) के बाद से एही गेट पर 15 अगस्त के तिरंगा झंडा फहरावल जाला आ भारत के परधानमंत्री इहाँ से देस के संबोधित करे लें।
दिल्ली दरवाजा, किला के दुसरा प्रमुख दरवाजा हवे। ई दक्खिन मुँह के बा आ अपना बनावट में बहुत कुछ लाहौरी गेट के नियन बाटे। एह दरवाजा के दूनो ओर एकहक ठो बड़हन आकार के हाथी बनल बाने। 1903 में लार्ड कर्जन इनहन के मरम्मत करववले रहलें जबकि इनहन के औरंगजेब के समय में गिरवा दिहल गइल रहल।[13]
छत्ता चौक मूल रूप से बजार के रूप में बनावल गइल रहेल ई लाहौरी गेट के बगल में बा आ एकरा सोझा खुला मैदान नियर बाटे। मुगल दौर में इहाँ शाही भवन में निवास करे वाला लोग के खातिर रेशम, गहना-गुरिया आ अउरी कई तरह के सामान सभ के बजार लागे। बजार के आगे मैदान आ ओकरे बाद उत्तर-दक्खिन के एगो सड़क बा। ई सड़क किला के दू हिस्सा में बाँटे ले, पच्छिमी हिस्सा मलेटरी सरंजाम खातिर इस्तेमाल होखे आ पूरबी हिस्सा आवास के रूप में रहल। एही सड़क के दक्खिनी छोर पर दिल्ली गेट बाटे।
छत्ता चौक के किलेबंदी वाली देवाल भीतर के हिस्सा में जहाँ खतम होला ओकरे आगे ई भवन बा। नौबतखाना भा नक्कारखाना के नाँव से जानल जाला।[14] 1857 के बिद्रोह के बाद एकरे बगल वाली बाँह आ साम्हने के तालाब के ढाह दिहल गइल रहे।
नक्कार खाना से हो के एह अंदरूनी हिस्सा में जाइल जाला जहाँ आम जनता के सुनवाई खातिर दरबार रहल। ई 540 फीट (160 मी) चाकर आ 420 फीट (130 मी) गहिराई वाला हिस्सा बाटे, चारों ओर गैलरी बा जेह में पहरेदारी होखे।[14] एकरे सभसे अंदरूनी हिस्सा में पब्लिक के सुनवाई होखे। हाल के खम्हा आ हाल के सफेद चुनाम से सजावट कइल गइल रहे।[14] एकरे पछिला हिस्सा में झरोखा बा जहाँ से बादशाह जनता के दर्शन दें।
दीवाने-आम के इस्तेमाल राजकाज के काम खातिर भी होखे। एकरे आगे के अँगनाई के बाद मरदाना हिस्सा बाटे आ एकरे बाद आवास वाला हिस्सा शुरू होला।
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