फ़िराक़ गोरखपुरी
भारतीय लेखक आ उर्दू शायर (1896-1982) / From Wikipedia, the free encyclopedia
फ़िराक़ गोरखपुरी (जनम: रघुपति सहाय, 28 अगस्त 1896 - 3 मार्च 1982) एगो भारतीय शायर, लेखक आ साहित्यिक समालोचक रहलें। उर्दू साहित्य में इनके योगदान ग़ज़ल, नज़्म, रुबाई, दोहा नियर बिधा में रहल आ कई गो समालोचना के किताब भी छपल; हालाँकि मुख्य रूप से इनके ग़ज़ल कहे वाला शायर के रूप में पहिचान हवे।[1] साहित्यिक हल्का में इनके फ़िराक़ साहब के नाँव से जानल जाय आ पेशा से ई इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी साहित्य के लेक्चरर रहलें।
फ़िराक़ गोरखपुरी | |
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जनम | रघुपति सहाय (1896-08-28)28 अगस्त 1896 गोरखपुर, नॉर्थ-वेस्टर्न प्रोविंस, ब्रिटिश भारत |
निधन | 3 मार्च 1982(1982-03-03) (उमिर 85) नई दिल्ली, भारत |
लेखन उपनाँव | फ़िराक़ गोरखपुरी |
पेशा | कवी, लेखक, समालोचक, बिद्वान, लेक्चरर, वक्ता |
भाषा | उर्दू, अंग्रेजी |
राष्ट्रियता | भारतीय |
शिक्षा | एमए (अंग्रेजी साहित्य) |
महतारी संस्था | इलाहाबाद विश्वविद्यालय |
बिधा | ग़ज़ल,[1] नज़्म, रुबाई, दोहा; साहित्यिक समालोचना |
प्रमुख रचना | गुल-ए-नग्मा |
प्रमुख सम्मान | पद्मभूषण (1968) ज्ञानपीठ पुरस्कार (1969) साहित्य अकादमी फेलोशिप (1970) |
दसखत |
गोरखपुरी के रचना सभ में गुल-ए-नग्मा, रूह-ए-क़ायनात, रूप (रुबाई संग्रह), बज़्मे-ज़िंदगी रंगे-शायरी प्रमुख बाड़ी सऽ। 1960 में इनके साहित्य अकादमी अवार्ड, 1968 में पद्म भूषण आ सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड, आ 1969 में भारत के सभसे बड़ साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलल।
लमहर बेमारी के बाद नई दिल्ली में, 3 मार्च 1982 के, 85 बरिस के उमिर में इनके निधन भ गइल।