दलित
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दलित शब्द के संस्कृत अरथ होला, जेकरा के दबावल भा पीड़ित कइल गइल होखे; ई वर्तमान समय में भारत आ आसपास के देसन के कुछ जाति सभ द्वारा अपना खातिर चुनल नाँव हवे जवना जातिन के अछूत[1][2] भा सामाजिक रूप से बहुत नीचा मानल जाय। व्यापक अरथ में खाली जाति के आधार पर ना, बलुक सामाजिक, आर्थिक रूप से बहुत पिछड़ल आ दबावल समूह के दलित कहल जा रहल बा।[3] हिंदू धर्म के परंपरागत वर्णव्यवस्था में अइसन लोग के चार गो वर्ण में भी अस्थान ना दिहल गइल रहल, आ पंचम वर्ण के कल्पना कइल गइल रहे।[4]
दलित शब्द बहुत समय से प्रयोग हो रहल बा, बाकी अछूत लोग खातिर एह शब्द के प्रयोग पापुलर बनावे में भारतीय सुधारक, अर्थशास्त्री आ बिचारक भीमराव अंबेडकर के योगदान महत्व के बा।[5] अंबेडकर के समकालीन, महात्मा गाँधी अइसन लोग खातिर हरिजन शब्द के प्रयोग कइलें। अंबेडकर के सभसे महत्वपूर्ण योगदान मानल जाला दलित पहिचान के भारतीय राजीनीति के मुद्दा के रूप में स्थापित करे के। जहाँ ओह समय सारा संघर्ष के मुद्दा के रूप में अंग्रेज सत्ता हटा के स्वराज हासिल कइल भर रहल, अंबेडकर के एह बात खातिर आंदोलन कि ई स्वराज दलित लोग खातिर भी होखी कि ना दलित लोग में राजनीतिक चेतना के उत्पत्ती के कारण बनल।[6]
भारत के संबिधान अइसन लोग के अनुसूचित जाति (शेड्यूल्ड कास्ट) में रखे ला आ अब एकर छोट नाँव एससी (अकसर एस्सी के रूप में उच्चारण) चलन में आ गइल बा। कानूनी तौर पर केहू ब्यक्ति या लोग के मंडली के दलित कहले के मनाहीं बाटे।[7] भारत में कुल जनसंख्या के 16.6% लोग अनुसूचित जाति आ जनजाति में आवेला आ पूरा भारत में फइलल बा लोग, कौनों एक ठो धरम या भाषा भा क्षेत्र ले सीमित नइखे।[8][9] नेपाल में दलित लोग के कुल जनसंख्या 12% बा।[10]
अइसन समूह के खिलाफ अपमान, बिरोध, आ अपराध के रोकथाम खातिर भारत सरकार द्वारा "अनुसूचित जाति आ अनुसूचित जनजाति (प्रिवेंशन ऑफ अटोक्रिटी) अधिनियम, 1989" पास कइले बा।