जयपुर जिला
राजस्थान का जिला / From Wikipedia, the free encyclopedia
74.44°N 75.25°E / 74.44; 75.25 - 27.21°N 28.12°E / 27.21; 28.12
राजस्थान में जयपुर ज़िले की अवस्थिति | |
राज्य |
राजस्थान भारत |
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प्रभाग | जयपुर प्रभाग |
मुख्यालय | जयपुर |
क्षेत्रफल | 342,239 कि॰मी2 (132,139 वर्ग मील) |
जनसंख्या | 6,663,971[1] (2011) |
तहसीलें | [2] |
विधानसभा सीटें | [2] |
राजमार्ग | राष्ट्रीय राजमार्ग 11 (NH-11), राष्ट्रीय राजमार्ग 8 (NH-8) |
औसत वार्षिक वर्षण | 459.8 मिमी |
आधिकारिक जालस्थल |
जयपुर (राजस्थानी: जैपर) उच्चारण सहायता·सूचना जिसे गुलाबी नगर के नाम से भी जाना जाता है, भारत में राजस्थान राज्य की राजधानी है। आमेर के तौर पर यह जयपुर नाम से प्रसिद्ध प्राचीन रजवाड़े की भी राजधानी रहा है। इस शहर की स्थापना १७२८ में आंबेर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने की थी। जयपुर अपनी समृद्ध भवन निर्माण-परंपरा, सरस-संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।[3] यह शहर तीन ओर से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है।[4] जयपुर शहर की पहचान यहाँ के महलों और पुराने घरों में लगे गुलाबी धौलपुरी पत्थरों से होती है जो यहाँ के स्थापत्य की खूबी है। १८७६ में तत्कालीन महाराज सवाई रामसिंह ने इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से आच्छादित करवा दिया था। तभी से शहर का नाम गुलाबी नगरी पड़ा है।[5]
शहर चारों ओर से दीवारों और परकोटों से घिरा हुआ है, जिसमें प्रवेश के लिए सात दरवाजे हैं।[5] बाद में एक और द्वार भी बना जो न्यू गेट कहलाया।[6] पूरा शहर करीब छह भागों में बँटा है और यह १११ फुट (३४ मी.) चौड़ी सड़कों से विभाजित है। पाँच भाग मध्य प्रासाद भाग को पूर्वी, दक्षिणी एवं पश्चिमी ओर से घेरे हुए हैं और छठा भाग एकदम पूर्व में स्थित है। प्रासाद भाग में हवा महल परिसर, व्यवस्थित उद्यान एवं एक छोटी झील हैं। पुराने शह के उत्तर-पश्चिमी ओर पहाड़ी पर नाहरगढ़ दुर्ग शहर के मुकुट के समान दिखता है। इसके अलावा यहां मध्य भाग में ही सवाई जयसिंह द्वारा बनावायी गईं वेधशाला, जंतर मंतर, जयपुर भी हैं।[5]
जयपुर को आधुनिक शहरी योजनाकारों द्वारा सबसे नियोजित और व्यवस्थित शहरों में से गिना जाता है। शहर के वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य का नाम आज भी प्रसिद्ध है। ब्रिटिश शासन के दौरान इस पर कछवाहा समुदाय के राजपूत शासकों का शासन था। १९वीं सदी में इस शहर का विस्तार शुरु हुआ तब इसकी जनसंख्या १,६०,००० थी जो अब बढ़ कर २००१ के आंकड़ों के अनुसार २३,३४,३१९ हो चुकी है। यहाँ के मुख्य उद्योगों में धातु, संगमरमर, वस्त्र-छपाई, हस्त-कला, रत्न व आभूषण का आयात-निर्यात तथा पर्यटन आदि शामिल हैं। जयपुर को भारत का पेरिस भी कहा जाता है। इस शहर की वास्तु के बारे में कहा जाता है, कि शहर को सूत से नाप लीजिये, नाप-जोख में एक बाल के बराबर भी फ़र्क नही मिलेगा।