दयानन्द सरस्वती
महर्षि दयानंद सरस्वती आर्य समाज के संस्थापक व समाज-सुधारक (1824-1883) थे। इनके अभूतपूर्व योगदान को भुला / From Wikipedia, the free encyclopedia
महर्षि दयानन्द सरस्वती (१८२४-१८८३) आधुनिक भारत के चिन्तक तथा आर्य समाज के संस्थापक थे। उनके बचपन का नाम 'मूलशंकर' था। उन्होंने वेदों के प्रचार-प्रसार के लिए मुम्बई में आर्यसमाज (श्रेष्ट जीवन पद्धति) की स्थापना की। 'वेदों की ओर लौटो' यह उनका ही दिया हुआ प्रमुख नारा था । उन्होंने कर्म सिद्धान्त, पुनर्जन्म तथा सन्यास को अपने दर्शन के स्तम्भ बनाये। उन्होंने ही सबसे पहले १८७६ में 'स्वराज्य' का नारा दिया जिसे बाद में लोकमान्य तिलक ने आगे बढ़ाया। प्रथम जनगणना के समय स्वामी जी ने आगरा से देश के सभी आर्यसमाजों को यह निर्देश भिजवाया कि 'सब सदस्य अपना धर्म 'सनातन धर्म' लिखवाएं।
सामान्य तथ्य महर्षि दयानन्द सरस्वती, जन्म ...
महर्षि दयानन्द सरस्वती | |
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जन्म |
मूलशंकर 12 फ़रवरी 1824 टंकारा, गुजरातਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
मृत्यु | 30/10/1883अजमेर, राजस्थानਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
गुरु/शिक्षक | विरजानन्द दण्डीश |
धर्म | हिन्दू |
दर्शन | वेदों की ओर चलो, आधुनिक भारतीय दर्शन |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
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