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सिरदर्द Archived 2024-02-02 at the वेबैक मशीन या शिरपीड़ा (शिरपीड़ा (Headache) सिर, गर्दन या कभी-कभी पीठ के उपरी भाग के दर्द की अवस्था है। यह सबसे अधिक होने वाली तकलीफ है, जो कुछ व्यक्तियों में बार बार होता है। सिरदर्द की आमतौर पर कोई गंभीर वजह नहीं होती, इसलिए लाइफस्टाइल में बदलाव और रिलैक्सेशन के तरीके सीखकर इसे दूर किया जा सकता है। इसके अलावा कुछ घरेलू उपाय भी होते हैं, जिन्हें अपनाकर सिरदर्द से राहत मिल सकती है।
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (दिसम्बर 2011) स्रोत खोजें: "सिरदर्द" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
सिरदर्द केवल एक लक्षण है, कोई रोग नहीं। इसके अनेक कारण हो सकते हैं, जैसे साधारण चिंता से लेकर घातक मस्तिष्क अर्बुद तक। इसके सौ से भी अधिक कारणों का वर्णन यहाँ संभव नहीं है, पर उल्लेखनीय कारण निम्नांकित समूहों में वर्णित हैं :
1. शिर:पीड़ा के करोटि के भीतर के कारण -
2. शिर:पीड़ा के करोटि के बाहर के कारण -
3. विषजन्य शिर:पीड़ा के कारण -
4. शिर:पीड़ा के क्रियागत कारण -
शिर:पीड़ा की उत्पत्ति के संबंध में बहुत सी धारणाएँ हैं। मस्तिष्क स्वयं चोट के लिए संवेदनशील नहीं है, किंतु इसके चारों ओर जो झिल्लियाँ या तानिकाएँ होती हैं, वे अत्यंत संवेदनशील होती हैं। ये किसी भी क्षोभ, जैसे शोथ, खिंचाव, तनाव, विकृति या फैलाव द्वारा शिर:पीड़ा उत्पन्न करती हैं। आँख तथा करोटि की मांसपेशियों के अत्यधिक तनाव से भी दर्द उत्पन्न होता है।
शिर:पीड़ा निम्नलिखित कई प्रकार की हो सकती है :
(1) मंद - करोटि के विवर के शोथ के कारण मंद पीड़ा होती है। यह दर्द शिर हिलाने, झुकने, खाँसने, परिश्रम करने, यौन उत्तेजना, मदिरा, आशंका, रजोधर्म आदि से बढ़ जाता है।
(2) स्पंदी - अति रुधिरतनाव पेट की गड़बड़ी या करोटि के भीतर की धमनी के फैलाव के कारण स्पंदन पीड़ा होता है। यह दर्द लेटने से कम हो जाता है तथा चलने फिरने से बढ़ता है।
(3) आवेगी - तंत्रिकाशूल के कारण आवेगी पीड़ा होती है। यह दर्द झटके से आता है और चला जाता है।
(4) तालबद्ध - मस्तिष्क की धमनी का फैलाव, धमनीकाठिन्य तथा अतिरुधिर तनाव से इस प्रकार की पीड़ा होती है।
(5) वेधक - हिस्टीरिया में जान पड़ता है जैसे कोई करोटि में छेद कर रहा हो।
(6) लगातार - मस्तिश्क के फोड़े, अर्बुद, सिस्ट, रुधिरस्राव तथा तानिकाशोथ से लगातार पीड़ा होती है।
शिर:पीड़ा के स्थान, समय, प्रकार तथा शरीर के अन्य लक्षणों एवं चिन्हों के आधार पर शिर:पीड़ा के कारण का निर्णय या रोग का निदान होता है।
आमतौर पर सिरदर्द चार तरह के होते हैं :
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