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उमरोई विमानक्षेत्र
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शिलांग विमानक्षेत्र (आईएटीए: SHL, आईसीएओ: VEBI) जिसे उमरोई हवाई अड्डा या बड़ापानी विमानक्षेत्र भी कहा जाता है, उमरोई में स्थित एक नागरिक विमानक्षेत्र है। यह भारत के पूर्वोत्तर राज्य मेघालय की राजधानी शिलांग शहर को सेवा उपलब्ध कराता है[1] और शहर से 30 कि॰मी॰ (98,000 फीट) की दूरी पर उत्तर पूर्व दिशा में री भोई जिले में स्थित है।[2]
शिलांग विमानक्षेत्र KA KAD LİENGSUİŇ SHİLLONG (खासी) उमरोई विमानक्षेत्र/ बड़ापानी हवाई अड्डा | |||||||||||
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विवरण | |||||||||||
हवाईअड्डा प्रकार | सार्वजनिक | ||||||||||
संचालक | भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण | ||||||||||
सेवाएँ (नगर) | शिलांग, मेघालय, भारत | ||||||||||
स्थिति | उमरोई, री भोई जिला, मेघालय | ||||||||||
समुद्र तल से ऊँचाई | 887 मी॰ / 2,910 फुट | ||||||||||
निर्देशांक | 25°42′13″N 091°58′43″E | ||||||||||
वेबसाइट | aai.aero/allAirports/shillong | ||||||||||
मानचित्र | |||||||||||
उड़ानपट्टियाँ | |||||||||||
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इस विमानक्षेत्र का निर्माण १९६० के दशक के मध्य में हुआ था और यहां प्रचालन १९७० के मध्य दशक तक चालू हुआ। वर्ष २००९ में २२४.१६ एकड भूमि अधिग्रहण कर विमानक्षेत्र के विस्तार हेतु दी गयी थी। जून २००९ में इसका विस्तार कार्य आरम्भ हुआ एवं मई २०१० तक यह पूर्ण हुआ।[3] तब ३० करोड रुपये की लागत से तैयार नवनिर्मित टर्मिनल भवन का उद्घाटन जून २०११ में हुआ और यह प्रचालन में आया।[4]
विमानक्षेत्र के आगे विस्तार हेतु भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को पुनः भूमि आवंटित की गयी।[5] वर्तमान ६००० फ़ीट की उडानपट्टी एटीआर-४२ के अवतरण लायक है और इसका विस्तार ८००० फ़ीट तक नियोजित है जिसके उपरान्त यहां बोइंग ७३७ एवं एयरबस ए३२० का अवतरण भी संभव हो सकेगा। इसके साथ ही दो ऐसे जेट विमानों के पार्किंग एवं ईंधनापूर्ति की सुविधा भी निर्मित होगी[6]
हाल ही में विमानक्षेत्र में ्सितम्बर २०१८ में उड़ानपट्टी ०४ पर उपस्कर अवतरण प्रणाली का स्थापन हुआ है जिससे यहां का अवतरण दृश्यता न्यूनतम आवश्यकता (मिनिमा) ५००० मी॰ से कम होकर ३१०० मी॰ मात्र रह गयी है। इसके साथ ही निकटवर्ती पहाड़ों एवं ऊंचे वृक्षों की बाधाओं को भी दूर किया गया है। इसके कारण विमानों को अवतरण में खराब मौसम एवं दृश्यता में भी अवतरण की सुविधा होगी तथा वायु सेवा की उपलब्धता प्रायिकता में भी वृद्धि होगी। पूर्वोत्तर परिषद के तत्कालीन सचिव श्री राम मुइवाह के अनुसार उड़ान परियोजना के तहत क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (आरसीएस) शिलाँग को पूर्वोत्तर का केन्द्र बनाने की योजना है।[7][8]
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