री-भोई जिला
मेघालय का जिला विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
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री भोई (IPA: ˌrɪ ˈbɔɪ) भारत के पूर्वोत्तर राज्य मेघालय का एक प्रशासनिक जिला है। इसका जिला मुख्यालय नोंगपोह में स्थित है। इस जिले के अन्तर्गत २३७८ वर्ग किमी भू क्षेत्र आता है जिसमें वर्ष २००१ की भारतीय जनगणना के अनुसार १,९२,७९५ जनसंख्या का निवास है। इसी जनगणानुसार यह दक्षिण गारो हिल्स के बाद मेघालय के ७ में से दूसरा न्यूनतम जनसंख्या वाला जिला है।[1]
इस जिले को ४ जून १९९२ को उपमण्डलीय स्तर से पूर्ण अधिकृत जिले का स्तर मिला था। यह नया जिला पूर्वी खासी हिल्स में से काट कर निकाला गया था।
जिले की स्थिति 90°55’15 से 91°16’ अक्षांश एवं 25°40’ से 25°21’ रेखांश के बीच है।उत्तर दिशा में यह असम के कामरूप जिले एवं पूर्व दिशा में जैन्तिया पर्वत तथा कार्बी आंगलोंग से घिरा हुआ है। पश्चिम दिशा में पश्चिम खासी हिल्स जिले से घिरा हुआ है। यहां तीन सी एवं आरडी हैं एवं पाथर्खमाह में एक प्रशासनिक इकाई है। यहां ग्रामों की संख्या ५६१ है तथा जिले का विस्तार २,४४८ वर्ग किमी है।
जिले का मुख्यालय नोंगपोह में है जो राज्य की राजधानी शिलांग से ५३ किमी की दूरी पर एवं गुवाहाटी से ५३ किमी दूर स्थित है। जिले की भूमि सतह मुख्यतः ऊबड़ खाबड और अनियमित है जिसमें पहाडियों की शृंखला हैं और उत्तर की ओर ये धीरे धीरे झुकती चली जाती हैं तथा अन्ततः ब्रह्मपुत्र नदी से मिल जाती हैं। इस क्षेत्र की मुख्य नदियां छोटी हैं जिनमें से प्रमुख हैं उम्ट्रेय, उमसियांग, उमरान एवं उमियम नदियां। यहां की स्थानीय भाषा में उम का अर्थ जल या पानी होता है, अतः सभी नदियों के नाम के आगे उम लगा हुआ है।
१९८१ में री-भोइ जिले में नोंगखाइलेम वन्य जीवन अभयारण्य घोषित किया गया, जिसका विस्तार 29 कि॰मी2 (11.2 वर्ग मील) क्षेत्रफ़ल में है।[2]
वर्ष २००६ में पंचायती राज मन्त्रालय ने री-भोइ को देश के २५० अति पिछडे जिलों (कुल ६४० में से) में घोषित किया।[3] वर्तमान में यह पिछडे क्षेत्र अनुदान निधि कार्यक्रम (बीआरजीएफ़) से अनुदान ले रहे मेघालय के तीन जिलों में से एक है।[3]
री-भोई जिले को तीन खण्डों में बांटा गया है।[4]
नाम | मुख्यालय | जनसंख्या | स्थान |
जिरांग | वाह्सीनोन | ||
उमलिंग | नोंगपोह | ||
उम्स्निंग | उम्स्निंग |
क्षेत्र अभी भी परिवहन सुविधाओ के मामले में कृपण ही है। जोराबात से आरम्भ हुआ राष्ट्रीय राजमार्ग ३७ इस जिले से गुजरता हुआ शिलांग शहर को जाता है।
री-भोइ जिले की अधिकांश जनसंख्या खासी लोगों की ही है और ये यहां की कुल जनसंख्या का ८५% भाग हैं। इनके अलावा यहां अन्य लोग भी हैं जैसे लगभग ९% नेपाली, ४ % बिहारी, १% मुस्लिम एवं १% अन्य जनजाति के लोग हैं। २०११ की जनगणना के अनुसार री-भोइ जिले की कुल जनसंख्या २,५८,३८० है,[1] जो मोटे मोटे रूप में वनुआतु की जनसंख्या के बराबर है।[5] इस प्रकार यह भारत ६४० जिलों में ५८०वें स्तर पर आता है।[1] जिले का जनसंख्या घनत्व 109 प्रत्येक वर्ग किलोमीटर में निवासी (280/वर्ग मील) का है।[1] २००१-२०११ के दशक में जनसंख्या विकास दर ३४.०२% रही।[1] इस जनसंख्या का लिंगानुपात ९५१ स्त्रियां प्रति १००० पुरुष है,[1] एवं साक्षरता दर ७७.२२% है।[1]
री-भोई में बोली जाने वाली मुख्य भाषा करेव है जो यहां के स्थानीय लोगों द्वारा ही बोली जाती है। अन्य लोगों द्वारा इसे भोई भाषा के नाम से भी जाना जाता है। जिले में प्रयोग होने वाली अन्य भाषाओ में अमरी - एक तिब्बती-बर्मी भाषा भी है जो १,२५,००० लोगों द्वारा बोली जाने वाली कर्बी भाषा से तथा ११,४३८ की जनसंख्या द्वारा बोली जाने वाली तीवा (लालुंग) भाषा से सम्बन्धित है । तीवा(लालुंग) लोग मूल असमिया तीवा जाति समुदाय से होते हैं।[6]
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