मोहम्मद अली जिन्नाह
पाकिस्तान के संस्थापक , प्रथम गवर्नर जनरल और एक कट्टर मुसलमान। / From Wikipedia, the free encyclopedia
मोहम्मद अली जिन्ना (उर्दू: محمد علی جناح, जन्म: 25 दिसम्बर 1876 मृत्यु: 11 सितम्बर 1948) बीसवीं सदी में मुस्लिम लीग का एक प्रमुख नेता था, जिसे पाकिस्तान के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। ये मुस्लिम लीग का नेता था जो आगे चलकर पाकिस्तान का पहला गवर्नर जनरल बना। पाकिस्तान में इसे आधिकारिक रूप से क़ायदे-आज़म यानी महान नेता और बाबा-ए-क़ौम यानी राष्ट्र पिता के नाम से नवाजा जाता है। उनके जन्म दिन पर पाकिस्तान में अवकाश रहता है।
मोहम्मद अली जिन्ना | |
जिन्ना (1948 का एक चित्र) | |
पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल | |
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कार्यकाल 15 अगस्त 1947 – 11 सितम्बर 1948 | |
शासक | जॉर्ज VI |
प्रधान मंत्री | लियाक़त अली खान |
पूर्व अधिकारी | कोई नही; क्योकि उनसे पहले माउण्टबेटन ही गवर्नर जनरल थे |
उत्तराधिकारी | ख्वाजा़ नजी़मुद्दीन |
जन्म | 25 दिसम्बर 1876 कराची, ब्रिटिश भारत |
मृत्यु | 11 सितम्बर 1948 (71 वर्ष) कराची, पाकिस्तान |
राजनैतिक पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (1896-1913) मुस्लिम लीग (1913-1948) |
जीवन संगी | एमीबाई जिन्ना मरियम जिन्ना |
संतान | दीना जिन्ना |
पेशा | वकील, राजनेता |
धर्म | शिया इस्लाम[1][2][3] |
भारतीय राजनीति में जिन्ना का उदय 1916 में कांग्रेस के एक नेता के रूप में हुआ था, इसने हिन्दू-मुस्लिम एकता पर जोर देते हुए मुस्लिम लीग के साथ लखनऊ समझौता करवाया था। ये अखिल भारतीय होम रूल लीग के अन्य नेताओं में गिना जाता था। काकोरी काण्ड के चारो मृत्यु-दण्ड प्राप्त कैदियों की सजायें कम करके आजीवन कारावास (उम्र-कैद) में बदलने हेतु सेण्ट्रल कौन्सिल के ७८ सदस्यों ने तत्कालीन वायसराय व गवर्नर जनरल एडवर्ड फ्रेडरिक लिण्डले वुड को शिमला जाकर हस्ताक्षर युक्त मेमोरियल दिया था जिस पर प्रमुख रूप से पं॰ मदन मोहन मालवीय, मोहम्मद अली जिन्ना[4], एन॰ सी॰ केलकर, लाला लाजपत राय व गोविन्द वल्लभ पन्त आदि ने हस्ताक्षर किये । जिन्ना ने अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षा के लिए कांग्रेस छोड़ दी। इसने अपने राजनैतिक स्वार्थ हेतु सांप्रदायिक की नीति अपनाई तथा देश में मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा और स्वशासन के लिए चौदह सूत्रीय संवैधानिक सुधार का प्रस्ताव रखा।
लाहौर प्रस्ताव के तहत इसने मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र का लक्ष्य निर्धारित किया। 1946 में ज्यादातर मुस्लिम सीटों पर कांग्रेस की जीत हुई और कुछ पर जिन्ना की । 1946 मे जिन्ना ने कैबिनेट मिशन मे अलग राष्ट्र की मांग की परंतु उसे ठुकरा दिया गया । जिन्ना ने पाकिस्तान की मांग के लिए त्वरित/प्रत्यक्ष कार्यवाही का अभियान शुरू किया। लीग की कड़ी प्रतिक्रिया के कारण भारत में व्यापक पैमाने पर हिंदुओ के साथ हिंसा मुस्लिम बहुल क्षेत्रो मे हुई। मुस्लिम लीग और कांग्रेस पार्टी, गठबन्धन की सरकार बनाने में असफल रहे, इसलिए अंग्रेजों ने भारत विभाजन को मंजूरी दे दी। पाकिस्तान के गवर्नर जनरल के रूप में जिन्ना ने लाखो हिंदुओ और सिखो का नरसंहार करवाया । साथ ही, उन्होंने अपने देश की विदेश नीति, सुरक्षा नीति और आर्थिक नीति बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। गौरतलब है कि पाकिस्तान और भारत का बंटवारा जिन्ना और नेहरू के राजनीतिक लालच की वजह से हुआ है!