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मिश्र बंधु
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मिश्रबंधु नाम के तीन सहोदर भाई थे, गणेश बेहारी, श्याम बेहारी और शुकदेव बेहारी। ग्रंथ ही नहीं एक छंद तक की रचना भी तीनों जुटकर करते थे। इसलिये प्रत्येक की रचनाओं का पार्थक्य करना कठिन है। आदिकाल |मिश्र बंधुओं ने 1913 में मित्र बंधु विनोद लिखा ए चार भागों में विभाजित था प्रथम तीन भाग 1913 में तथा चतुर्थ भाग 1934 में प्रकाशित हुआ था इन्होंने काल विभाजन किया कवियों का मूल्यांकन किया एवं सापेक्ष महत्व दिया साहित्य की विभिन्न विधाओं पर प्रकाश डाला||
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