मनाली के पर्यटन स्थल
विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
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मनाली भारत के हिमाचल प्रदेश प्रान्त का एक शहर है। मनाली कुल्लु घाटी के उत्तर में स्थित हिमाचल प्रदेश का लोकप्रिय पहाड़ी स्थल है। समुद्र तल से 2050 मीटर की ऊँचाई पर स्थित मनाली व्यास नदी के किनारे बसा है। गर्मियों से निजात पाने के लिए इस हिल स्टेशन पर हजारों की तादाद में सैलानी आते हैं। सर्दियों में यहां का तापमान शून्य डिग्री से नीचे पहुंच जाता है। आप यहां के खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों के अलावा मनाली में हाइकिंग, पैराग्लाइडिंग, राफ्टिंग, ट्रैकिंग, कायकिंग जैसे खेलों का भी आनंद उठा सकते है। यहां के जंगली फूलों और सेब के बगीचों से छनकर आती सुंगंधित हवाएं दिलो दिमाग को ताजगी से भर देती हैं।
पौराणिक ग्रंथों में मनाली को मनु का घर कहा गया है। कहा जाता है कि जब सारा संसार प्रलय में डूब गया था तो एकमात्र मनु की जीवित बचे थे। मनाली में आकर ही उन्होनें मनुष्य की पुर्नरचना की। इसलिए मनाली को हिन्दुओं का पवित्र तीर्थस्थल भी माना जाता है।me darshan Yuvraj deshamukh
समुद्र तल से 1533 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह मंदिर धूंगरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर यहां की स्थानीय देवी हिडिम्बा को समर्पित है। हिडिम्बा महाभारत में वर्णित भीम की पत्नी थी। मई के महीने में यहां एक उत्सव मनाया जाता है। महाराज बहादुर सिंह ने यह मंदिर 1553 ई. में बनवाया था। लकड़ी से निर्मित यह मंदिर पैगोड़ा शैली में बना है।
मनाली से 3 किलोमीटर दूर वशिष्ठ स्थित है। प्राचीन पत्थरों से बने मंदिरों का यह जोड़ा एक दूसरे के विपरीत दिशा में है। एक मंदिर भगवान राम को और दूसरा संत वशिष्ठ को समर्पित है।
समुद्र तल से 1700 मीटर की ऊँचाई पर स्थित मणिकरण गर्म पानी का झरना है। कहा जाता है शिव की पत्नी पार्वती के कर्णफूल यहां खो गए थे। उसके बाद से इस झरने का जल गर्म हो गया। हजारों लोग यहां के जल में पवित्र डुबकी लगाने दूर-दूर से आते हैं। यहां का पानी इतना गर्म है कि इसमें चावल, दाल और सब्जियों को उबाला जा सकता है।
मनाली के बौद्ध मठ बहुत लोकप्रिय हैं। कुल्लू घाटी के सर्वाधिक बौद्ध शरणार्थी यहां बसे हुए हैं। यहां का गोधन थेकचोकलिंग मठ काफी प्रसिद्ध है। 1969 में इस मठ को तिब्बती शरणार्थियों ने बनवाया था।
मनाली से 50 किलोमीटर दूर समुद्र तल से 4111 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा साहसिक पर्यटकों को बहुत रास आता है। दर्रे के पश्चिम में दसोहर नामक एक खूबसूरत झील है। गर्मियों के दिनों में भी यह स्थान काफी ठंडा रहता है। जून से नवंबर के बीच लाहौल घाटी से यहां पहुंचा जा सकता है। यहां से कुछ दूरी पर सोनपानी ग्लेशियर है।
यह कुंड पवित्र व्यास नदी का जल स्रोत है। व्यास नदी में झरने के समान यहां से पानी बहता है। यहां का पानी एकदम साफ और इतना ठंडा होता है कि उंगलियों को सुन्न कर देता है। इसके चारों ओर पत्थर ही पत्थर हैं और वनस्पतियां बहुत कम हैं।
मनाली से 3 किलोमीटर उत्तर पश्चिम में ओल्ड मनाली है जो बगीचों और प्राचीन गेस्टहाउसों के लिए काफी प्रसिद्ध है। मनालीगढ़ नामक क्षतिग्रस्त किला भी यहां देखा जा सकता है।
मनाली से 13 किमी की दूरी पर स्थित सोलंग नुल्लाह 300 मीटर की स्की लिफ्ट के लिए लोकप्रिय है। इस खूबसूरत स्थान से ग्लेशियर और बर्फ से ढकी पहाड़ों की चोटियों के मनोहर नजारे देखे जा सकते हैं। नजदीक ही मनाली की प्रारंभिक राजधानी जगतसुख भी देखने योग्य जगह है।
ओल्ड मनाली में स्थित मनु मंदिर महर्षि मनु को समर्पित है। यहां आकर उन्होंने ध्यान लगाया था। मंदिर तक पहुंचने का मार्ग दुरूह और रपटीला है।
कहा जाता है महाभारत के अर्जुन ने यहां तपस्या की थी। इसी स्थान पर इन्द्रदेव ने उन्हें पशुपति अस्त्र प्रदान किया था
मनाली से 50 किलोमीटर की दूरी पर भुंतर नजदीकी एयरपोर्ट है। मनाली पहुंचने के लिए यहां से बस या टैक्सी की सेवाएं ली जा सकती हैं।
जोगिन्दर नगर नैरो गैज रेलवे स्टेशन मनाली का नजदीकी रेलवे स्टेशन है जो मनाली से 135 किलोमीटर की दूरी पर है। मनाली से 310 किलोमीटर दूर चंडीगढ़ नजदीकी ब्रॉड गेज रेलवे स्टेशन है।
मनाली हिमाचल और आसपास के शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन निगम की बसें अनेक शहरों से मनाली जाती हैं।
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