बुंदेला
सूर्यवंश क्षत्रिय बुन्देला / From Wikipedia, the free encyclopedia
बुंदेलों के बारे में माना जाता है कि वे विंध्यवासिनी देवी के उपासक थे। इसलिये वे पहले विंध्येला कहलाये और इसी से बुंदेला की उत्पत्ति हुई। वे क्षत्रिय राजपूत जाति के शासक थे तथा सुदूर अतीत में उनका संबंध सूर्यवंशी राजा मनु से माना जाता हैं। इक्ष्वाकु के बाद श्री रामचंद्र के पुत्र लव से उनके वंशजो की परंपरा आगे बढ़ाई गई और इसी में काशी के गहरवार शाखा के कर्त्तृराज को जोड़ा गया है। लव से कर्त्तृराज तक के उत्तराधिकारियों में गगनसेन, कनकसेन, प्रद्युम्न आदि के नाम ही महत्वपूर्ण हैं। कर्त्तृराज का गहरवार होना किसी घटना पर आधारित हैं, जिसमें काशी में ऊपर ग्रहों की बुरी दशा के निवारणार्थ उसके प्रयत्नों में ग्रहनिवार संज्ञा से वह पुकारा जाने लगा था। कालांतर में ग्रहनिवार गहरवार बन गया। बुंदेलखंड में चंदेलों का आधिपत्य समाप्त होने पर बुंदेला सरदारों ने सर्वप्रथम गढ़ कुण्डार पर अपनी सत्ता स्थापित किया । एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका ने भी बुंदेलो को गहरवार वंश की एक शाखा माना है।