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बायर नामांकन तारों को नाम देने का एक तरीक़ा है जिसमें किसी भी तारामंडल में स्थित तारे को एक यूनानी अक्षर१ और उसके तारामंडल के यूनानी नाम से बुलाया जाता है। बायर नामों में तारामंडल के यूनानी नाम का सम्बन्ध रूप२ इस्तेमाल होता है। मिसाल के लिए, पर्णिन अश्व तारामंडल (पॅगासस तारामंडल) के तारों में से तीन तारों के नाम इस प्रकार हैं - α पॅगासाए (α Pegasi), β पॅगासाए (β Pegasi) और γ पॅगासाए (γ Pegasi)।
जर्मन खगोलशास्त्री योहन बायर (Johann Bayer) ने सन् १६०३ में बायर नामांकन शुरू किया। उन्होंने अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश की कि तारों का नामांकन उनकी प्रकाश की शक्ति के मुताबिक ही हो, लेकिन उस ज़माने में प्रकाश को माप पाना बहुत कठिन था और बहुत से तारामंडल हैं जिनमें अल्फ़ा नामांकित किया गया तारा उस तारामंडल का सब से रोशन तारा नहीं होता।[1]
यूनानी वर्णमाला में सिर्फ चौबीस अक्षर हैं, जबकि बहुत से तारामंडलों में तो पचास से भी अधिक तारे होते हैं। ऐसे में यूनानी के आखरी अक्षर (ω, ओमेगा) के बाद अंग्रेज़ी वर्णमाला के छोटे अक्षर (a, b, c, वग़ैरह) इस्तेमाल होते हैं। इस विधि में पचासवे तारे का नाम "z" होगा। अगर पचास से भी ज़्यादा तारे हों तो फिर इक्यावनवे तारे से अंग्रेज़ी के बड़े अक्षरों (A, B, C, वग़ैरह) का प्रयोग शुरू हो जाता है। इस तरह से पूरे ७६ तारों को नाम दिए जा सकते हैं।[2]
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