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तरल यांत्रिकी (अंग्रेज़ी: Fluid Mechanics) तरल पदार्थो के स्वभाव एवं गति के सिद्धान्तों को समझाने वाली यांत्रिकी की एक शाखा है। तरल, द्रव या गैस हो सकते हैं और उनमें सीमित मात्रा में ठोस के मिले या घुले रहने पर भी इन सिद्धांतों का प्रयोग किया जा सकता है। तरल पदार्थ भी न्यूटन के गति नियमों का अनुसरण करते हैं, पर आकार आसानी से बदल जाने के स्वभाव के कारण इनके गति नियमों को विशेष रूप दिया जाता है। नेवियर-स्टोक्स समीकरण तरल यांत्रिकी के समीकरणों का सबसे विस्तृत रूप है। तरल यांत्रिकी वायव्य, यांत्रिकी, सिविल तथा रासायनिक यंताओं द्वारा मुख्य रूप से प्रयुक्त होता है।
जटिल तरल गतिक प्रश्नों के हल के लिए संगणित तरल यांत्रिकी का प्रयोग किया जाता है।
तरल यांत्रिकी गणित की वह शाखा है, जिसमें (स्थिर अथवा प्रवहयुक्त) तरलों के व्यवहार का अध्ययन होता है। यदि तरल गतिहीन है तो इस अध्ययन को द्रवस्थिति विज्ञान (Hydrostatics) कहते हैं और यदि तरल गतियुक्त है तो उसे [[तरल गतिकी/ द्रवगति विज्ञान) (Hydrodynamics) कहते हैं। दोनों उपशाखाओं में मान लिया जाता है कि द्रव सतत पदार्थ है और विसरण तथा पृष्ठतनाव उपेक्षणीय हैं। द्रवगति विज्ञान में सामान्यतः द्रव का घनत्व अचर मान लिया जाता है, किंतु जब विपुल द्रवपुंज की अथवा अत्यत द्रुतगामी द्रव की बात हो तो घनत्व की यह मान्यता अनौपचारिक हो जाती है।
पहले तरल-यांत्रिकी के अंतर्गत गैस-पुंज की भी संतुलनावस्था अथवा उसकी गति का अध्ययन होता था, किंतु अब यह वायुगतिविज्ञान (एरोडायनेमिक्स) नाम से अलग विषय की बन गया है।
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