टॉरपीडो
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तारपीडो (Toropedo) एक स्वचलित विस्पोटक प्रक्षेपास्त्र है जिसे किसी पोत से जल की सतह के ऊपर या नीचे दागा जा सकता है। यह प्रक्षेपास्त्र जल सतह के नीचे ही चलता है। लक्ष्य से टकराने से अथवा समीप आने पर इसमे विस्पोट हो जाता है।
तारपीडो अंतर्जलीय (=अंतः + जलीय) प्रक्षेप्य है, जिसमें अत्याधिक विस्फोटक चार्ज भरे रहते हैं। यह एक जहाज से दूसरे पर प्रक्षिप्त किया जाता है। इसकी रचना जटिल होती है। १८६६ ई० में रॉबर्ट व्हाइटहेड नामक अंग्रेज ने स्वचालित तारपीडो का पहले पहल प्रयोग किया। उसके बाद से तारपीडो में अनेक आश्चर्यजनक सुधार एवं परिवर्तन हुए हैं। आज के तारपीडो में मूल तारपीडो से कुछ भी समानता नहीं है।
मनुष्य की बुद्धि का यदि सबसे अच्छा परिचय किसी अस्त्र से मिलता है तो वह तारपीडो है। हर प्रकार की आवश्यकताओं में यह काम आ सकता है, यहाँ तक कि चलाने (discharge) के बाद भी इसका इच्छानुसार उपयोग हो सकता है। यह पानी के अंदर ३ से ४० नॉट (Knot) के वेग से १५,००० गज जा सकता है। यह सीधे जा सकता है और अभीष्ट होने पर एक या अनेक बार दिशा को बदल भी सकता है। पानी में जिस गहराई पर यह स्थापित किया जाता है, उसी गहराई पर स्थिर रहता है और जहाज से टकराने पर, या उसके नौतल (keel) के नीचे से पार होते समय, विध्वंसक विस्फोट करता है।
तारपीडो अनेक प्रकार के होते हैं। सभी तारपीडो देखने में एक से होते हैं और उनकी आवश्यकताए भी एक सी होती हैं। समूद्र की सतह पर एक जहाज दूसरे पर इससे आक्रमण कर सकता हैं, साथ ही जहाज पनडुब्बी पर तथा पनडुब्बी जहाज पर वायुयान से पनडुब्बी और जहाज दोनों पर इससे आक्रमण किया जा सकता है।