भौतिक भूगोल में, टुण्ड्रा एक बायोम है जहां वृक्षों की वृद्धि कम तापमान और बढ़ने के अपेक्षाकृत छोटे मौसम के कारण प्रभावित होती है। टुंड्रा शब्द फिनिश भाषा से आया है जिसका अर्थ “ऊँची भूमि”, “वृक्षविहीन पर्वतीय रास्ता” होता है। टुंड्रा प्रदेशों के तीन प्रकार हैं: आर्कटिक टुंड्रा, अल्पाइन टुंड्रा और अंटार्कटिक टुंड्रा। टुंड्रा प्रदेशों की वनस्पति मुख्यत: बौनी झाड़ियां, दलदली पौधे, घास, काई और लाइकेन से मिलकर बनती है। कुछ टुंड्रा प्रदेशों में छितरे हुये वृक्ष उगते हैं। किसी टुंड्रा प्रदेश और जंगल के बीच की पारिस्थितिक सीमा वृक्ष रेखा कहलाती है।[1]
विवरण
कनाडा तथा यूरेशिया के उत्तर में स्थित यह ध्रुवीय शीतमरुस्थल ऊँचे अक्षांशों में न्यून तापमान के कारण हिमाच्छादित रहता है। जाड़े में इसका ताप -13.90 सें. से -45.6 सें. तक रहता है। जाड़े में यहाँ बर्फीली आँधियां चलती हैं। उत्तरी ध्रुव से आनेवाली ये ठंडी हवाएँ "पुर्गा" कहलाती हैं। शीत ऋतु आठ मास और ग्रीष्म ऋतु चार मास की होती है। ग्रीष्म में यहाँ का तापमान 10 डिग्री सें. रहता है। यहाँ की वार्षिक औसत वर्षा 24 सेंमी. से 30 सेंमी. तक है।
यहाँ काई, लाइकेन (Lichen), विलो (Willow), भुर्ज (Birch) तथा झरवेरी आदि वनस्पतियाँ प्राप्त होती हैं। रेनडीयर, कैरिबो, ध्रुवीय भालू, लोमड़ी, मस्क (Musk) बैल तथा खरगोश ये स्थलीय जीव तथा सील, ह्वेल, वालरस आदि जलचर यहाँ पाए जाते हैं। ग्रीष्म ऋतु में अनेक प्रकार के पक्षी भी पाए जाते हैं।[2]
यहाँ के निवासी लैप, सैमोयेद तथा एस्किमो भोजन में मछली के अतिरिक्त रेनडीयर के मांस तथा दूध का उपयोग करते हैं और रेनडीयर की खाल पहनते हैं। ठंडी हवा से बचने के लिए ये लोग बिना खिड़की के छोटे दरवाजेवाले मकान बनाते हैं। सील की चर्बी जलाकर ये लोग घर को गरम रखते हैं। रेनडीयर स्लेज गाड़ी खीचने के काम में आता है तथा उसकी हड्डियों और सींगों से हथियार बनाए जाते हैं। समूर और खाल के बदले में ये लोग श्वेत जातियों से चाय तथा तंबाकू प्राप्त करते हैं। रेनडीयर तथा मस्क बैल के मांस का निर्यात होता है, जो गोमांस से प्राय: तिगुने मूल्य पर बिकता है। उत्तरी अमरीका के टुंड्रा निवासियों को एस्किमो तथा यूरेशिया के टुंड्रा निवासियों को लैप्स, फिन या याकूत कहते हैं।[3]
यहाँ के निवासी बड़े गरीब हैं। केवल यूकन में सोना, स्पिट्सबर्जेन में कोयला तथा मेकैंजी घाटी में तेल पाया गया है। अलास्का में 300 मील लंबी तेल पट्टी है।
टुंड्रा प्रदेश का मानव जीवन- टुंड्रा प्रदेश के लोगों का जीवन जानवरों पर ही निर्भर करता है पिघले हुए समुद्र में वालरस नाम के भीमकाय जानवरों की गुर्राहट सुनाई देने लगती है वालरस के बड़े-बड़े झुंड समुद्र में तैरते मिलते हैं सील व्हेल मछली आदि भी समुद्र में खूब दिखने लगती है चुकी लोग समुद्र के इन जानवरों का शिकार करते हैं यह जानवर उनके जीवन का आधार है|
टुंड्रा प्रदेश में चलने वाली ठंडी हवाएं पुर्गा तथा ब्लीजार्ड कहलाती हैं
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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