चतुष्फलकी
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ठोस ज्यामिति में चार समतल फलकों वाले ठोस को चतुष्फलकी (चतुः + फलकी = चार फलकों वाली / tetrahedron) कहते हैं। चारों फलक त्रिभुजाकार होते हैं। इसमें से कोई तीन फलक एक बिन्दु पर मिलते हैं जिसे 'शीर्ष' (vertex) कहते हैं। चतुष्फलकी में चार फलक, चार शीर्ष एवं छः कोर (edges) होतीं हैं। साधारण उत्तल बहुफलकियों में चतुष्फलकी ही सबसे सरल ठोस है।
चतुष्फलकी एक प्रकार का पिरामिड ही है जिसका आधार त्रिभुज है। अतः इसे 'त्रिभुजीय पिरामिड' भी कहा जाता है।
सभी उत्तल बहुफलकियों की भांति चतुष्फलकी भी एक ही कागज के तुकड़े से मोड़कर बनायी जा सकती है। किसी भी चतुष्फलकी के चारों शीर्षों से होकर एक गोल तल बनाया जा सकता है, जिसे परिगोला (circumsphere) कहते हैं। इसी प्रकार इसके चारों फलकों को स्पर्श करता हुआ भी एक गोल तल बनाया जा सकता है जिसे अन्तःगोला (insphere) कहते हैं।
जिस चतुष्फलक के सभी फलक समबाहु त्रिभुज हों, उसे समचतुष्फलक (रेगुलर टेट्राहेड्रॉन) कहते हैं।