पद्य में रचे हुए वेद के श्लोकों (मंत्रों) को ऋचा कहते हैं। 'ऋचा' की व्युत्पत्ति 'ऋक्' से हुई है जिसका अर्थ 'प्रशंसा करना' है। जैसे ऋग्वेद ऋचाओं का संग्रह हैं, इसमें 10 मंडल,1028 सूक्तियां एवम् 10462 ऋचाएं हैं। ऋचाओं के पढ़ने वाले ऋषि को 'होतृ' कहते हैं|ऋचा के कई अर्थ हो सकते हैं: भजन वेदों के लेखन पद्यमय अथवा गेय वेद-मंत्र स्तोत्र प्रार्थना मंत्र (ऋग वेद का) बोल, वाक्य रोशनी, किरण ऋचा एक संस्कृत शब्द है.

ऋचा की व्युत्पत्ति 'ऋक्' से हुई है जिसका अर्थ 'प्रशंसा करना' है. ऋग्वेद ऋचाओं का संग्रह है, इसमें 10 मंडल,1028 सूक्तियां एवम् 10462 ऋचाएं हैं. ऋचाओं के पढ़ने वाले ऋषि को 'होतृ' कहते हैं.

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