Loading AI tools
ऊटी (उधगमंडलम), दक्षिण भारत में तमिलनाडु राज्य का एक हिल स्टेशन है विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
उदगमंडलम (Udagamandalam), पहले ऊटी (Ooty) के नाम से जाना जाता था, भारत के तमिल नाडु राज्य के नीलगिरि जिले में स्थित एक नगर है।[1][2] कर्नाटक और तमिलनाडु की सीमा के समीप बसा यह शहर मुख्य रूप से एक हिल स्टेशन के रूप में जाना जाता है। कोयंबतूर यहाँ का निकटतम हवाई अड्डा है। सड़को द्वारा यह तमिलनाडु और कर्नाटक के अन्य हिस्सों से अच्छी तरह जुड़ा है परंतु यहाँ आने के लिये कन्नूर से रेलगाड़ी या ट्वाय ट्रेन किया जाता है। ऊटी समुद्र तल से लगभग 7440 फीट (2268 मीटर) की ऊँचाई पर स्थित है।[3]
उदगमंडलम உதகமண்டலம் ऊटी | |
---|---|
उदगमंडलम का एक दृश्य | |
निर्देशांक: 11.41°N 76.70°E | |
देश | भारत |
प्रांत | तमिल नाडु |
जिला | नीलगिरि जिला |
ऊँचाई | 2240 मी (7,350 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 88,430 |
भाषा | |
• प्रचलित | तमिल |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 643 001 |
दूरभाष कोड | 91423 |
वाहन पंजीकरण | TN-43 |
नीलगिरि चेर साम्राज्य का भाग हुआ करते थे। फिर वे गंगा साम्राज्य के हाथों में चले गये और फिर 12वीं शताब्दी में होयसल साम्राज्य के राजा विष्णुवर्धन के राज्य में आ गये। उस के बाद नीलगिरि मैसूर राज्य का हिस्सा बन गये जिस के टीपू सुलतान ने उन्हें 18वीं शताब्दी में अंग्रेजों के हवाले कर दिया।[4]
पड़ोसी कोयम्बटूर जिले के गवर्नर, जॉन सुलिवान को यहाँ की आबो-हवा बहुत पसंद आने लगी और उसने स्थानीय जातियों (टोडा, इरुंबा और बदागा) से जमीन खरीदनी शुरु कर दी। नीलगिरि पर सातवाहन, गंगास, कदंब, राष्ट्रकूट, होयसला, विजयनगर साम्राज्य और उम्मतूर के राजाओं (मैसूरु के वोड्यार ) जैसे विभिन्न राजवंशों का शासन था।[5][6][7][8][9] टीपू सुल्तान ने अठारहवीं शताब्दी में नीलगिरी पर कब्जा कर लिया और एक छिपी हुई गुफा जैसी संरचना का निर्माण कर सीमा का विस्तार किया।[10]
उदगमंडलम में कोपेन जलवायु वर्गीकरण के तहत एक उपोष्णकटिबंधीय उच्चभूमि जलवायु है।[12] उष्णकटिबंधीय में इसके स्थान के बावजूद, अधिकांश दक्षिण भारत के विपरीत, ऊटी में आम तौर पर पूरे वर्ष हल्का वातावरण होता हैं। हालांकि, जनवरी और फरवरी के महीनों में रात का समय आमतौर पर ठंडा होता है। आम तौर पर, शहर में वसंत के मौसम बना रहता है।
ऊटी (उदगमंडलम) के जलवायु आँकड़ें | |||||||||||||
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
माह | जनवरी | फरवरी | मार्च | अप्रैल | मई | जून | जुलाई | अगस्त | सितम्बर | अक्टूबर | नवम्बर | दिसम्बर | वर्ष |
औसत उच्च तापमान °C (°F) | 20.3 (68.5) |
20.9 (69.6) |
22.2 (72) |
22.6 (72.7) |
22.0 (71.6) |
18.3 (64.9) |
16.9 (62.4) |
17.4 (63.3) |
18.4 (65.1) |
18.8 (65.8) |
18.7 (65.7) |
19.7 (67.5) |
19.68 (67.43) |
दैनिक माध्य तापमान °C (°F) | 12.4 (54.3) |
13.6 (56.5) |
15.2 (59.4) |
16.3 (61.3) |
16.6 (61.9) |
14.8 (58.6) |
14.1 (57.4) |
14.4 (57.9) |
14.4 (57.9) |
14.6 (58.3) |
13.7 (56.7) |
12.9 (55.2) |
14.42 (57.95) |
औसत निम्न तापमान °C (°F) | 5.6 (42.1) |
6.5 (43.7) |
8.8 (47.8) |
10.7 (51.3) |
11.4 (52.5) |
11.2 (52.2) |
11.0 (51.8) |
10.9 (51.6) |
10.4 (50.7) |
10.1 (50.2) |
8.6 (47.5) |
6.7 (44.1) |
9.33 (48.79) |
औसत वर्षा मिमी (इंच) | 20.5 (0.807) |
10.2 (0.402) |
25.8 (1.016) |
75.4 (2.969) |
147.5 (5.807) |
136.7 (5.382) |
181.1 (7.13) |
123.7 (4.87) |
134.9 (5.311) |
189.2 (7.449) |
139.9 (5.508) |
52.8 (2.079) |
1,237.7 (48.73) |
औसत वर्षाकाल | 1 | 1 | 2 | 5 | 8 | 8 | 10 | 9 | 9 | 11 | 7 | 4 | 75 |
माध्य दैनिक धूप के घण्टे | 8 | 8 | 8 | 8 | 7 | 4 | 4 | 4 | 5 | 5 | 6 | 7 | 6.2 |
स्रोत #1: भारतीय मौसम विभाग(1901-2000)[13] | |||||||||||||
स्रोत #2: Climate-Data.org औसत तापमान के लिए, ऊंचाई: 2214 मीटर,[12] धूप और बारिश के दिनों के लिए Weather2Travel[14] |
नीलगिरि या नीले पर्वतों की पर्वतमाला में बसा हुआ उदगमंडलम प्रति वर्ष बड़ी संख्या में पर्यटको को आकर्षित करता है। सर्दियों के अलावा यहाँ साल भर मौसम सुहाना ही बना रहता है। सर्दी के समय तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है। पर आज ये शहर अधिकाधिक औद्योगिकीकरण और पर्यावरण संबंधी समस्याओं से जूझ रहा है।
घनी वनस्पति, चाय के बागान और नीलगिरि के पेड़ यहाँ के पहाड़ों की विशेषता है। यहाँ कि प्राकृतिक सुंदरता बनाये रखने के लिये पहाड़ों के कई हिस्सों को आरक्षित वन का दर्जा प्रदान किया गया है। इस कारण से शिविर क्षेत्र से बाहर शिविर लगाने के लिये खास अनुमति लेनी पड़ती है। ऊटी एक बिंदू की तरह पर्यटकों को आकर्षित करता है और फिर वे आसपास भी भ्रमण करते हैं।
इन्ही पहाड़ो में दूसरे छोटे शहर जैसे कुन्नूर और कोटागिरी भी हैं। ये शहर उदगमंडलम से सिर्फ कुछ ही घंटों की दूरी पर हैं और इन का मौसम भी उदगमंडलम जैसा ही है पर यहाँ कम पर्यटक है और दाम भी सस्ते हैं।
उदगमंडलम जिला मुख्यालय भी है। ऐसे तो यहाँ की स्थानीय अर्थव्यवस्था पर्यटन पर ही टिकी है, उदगमंडलम आसपास के शहरों के लिये भी बाजार का काम करता है। अर्थव्यवस्था मूलतः कृषि पर निर्भर है। ठंडे मौसम की वजह से यहाँ "अंग्रेजी सब्जियाँ" जैसे आलू, गाजर और गोभी उगाई जाती हैं। उदगमंडलम म्यूनिसिपल बाजार में रोजाना इन सब्जियों की नीलामी होती है।
इस वनस्पति उद्यान की स्थापना 1847 में की गई थी। 22 हेक्टेयर में फैले इस खूबसूरत बाग की देखरेख बागवानी विभाग करता है। यहाँ एक पेड़ के जीवाश्म संभाल कर रखे गए हैं जिसके बारे में माना जाता है कि यह 2 करोड़ वर्ष पुराना है। इसके अलावा यहाँ पेड़-पौधों की 650 से ज्यादा प्रजातियाँ देखने को मिलती है। प्रकृति प्रेमियों के बीच यह उद्यान बहुत लोकप्रिय है। मई के महीने में यहाँ ग्रीष्मोत्सव मनाया जाता है। इस महोत्सव में फूलों की प्रदर्शनी और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिसमें स्थानीय प्रसिद्ध कलाकार भाग लेते हैं।
इस झील का निर्माण यहाँ के पहले कलेक्टर जॉन सुविलिअन ने 1825 में करवाया था। यह झील 2.5 किलोमीटर लंबी है। यहाँ आने वाले पर्यटक बोटिंग और मछली पकड़ने का आनंद ले सकते हैं। मछलियों के लिए चारा खरीदने से पहले आपके पास मछली पकड़ने की अनुमति होनी चाहिए। यहाँ एक बगीचा और जेट्टी भी है। इन्हीं विशेषताओं के कारण प्रतिवर्ष 12 लाख दर्शक यहाँ आते हैं।
बोटिंग का समय: सुबह 8 बजे-शाम 6 बजे तक
यह चोटी समुद्र तल से 2623 मीटर ऊपर है। यह जिले की सबसे ऊँची चोटी मानी जाती है। यह चोटी उदगमंडलम से केवल 10 किलोमीटर दूर है इसलिए यहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है। यहाँ से घाटी का नजारा अदभूत दिखाई पड़ता है। लोगों का कहना है कि जब मौसम साफ होता है तब यहाँ से दूर के इलाके भी दिखाई देते हैं जिनमें कायंबटूर के मैदानी इलाके भी शामिल हैं।
यह वन्यजीव अभयारण्य उदगमंडलम से 67 किलोमीटर दूर है। यहाँ पर वनस्पति और जंतुओं की कुछ दुर्लभ प्रजातियाँ पाई जाती हैं और कई लुप्तप्राय: जानवरों भी यहाँ पाए जाते है। हाथी, सांभर, चीतल, हिरन आसानी से देखे जा सकते हैं। जानवरों के अलावा यहाँ रंगबिरंगे पक्षी भी उड़ते हुए दिखाई देते हैं। अभयारण्य में ही बना थेप्पाक्कडु हाथी कैंप बच्चों को बहुत लुभाता है।
यह पर्वतीय स्थान उदगमंडलम से 28 किलोमीटर पूर्व में स्थित है। नीलगिरि के तीन हिल स्टेशनों में से यह सबसे पुराना है। यह उदगमंडलम और कुन्नूर के समान प्रसिद्ध नहीं है। लेकिन यह माना जाता है कि इन दोनों की अपेक्षा कोटागिरी का मौसम ज्यादा सुहावना होता है। यहाँ बहुत ही सुंदर हिल रिजॉर्ट है जहाँ चाय के बहुत खूबसूरत बागान हैं। हिल स्टेशन की सभी खूबियाँ यहाँ मौजूद लगती हैं। यहाँ की यात्रा आपको निराश नहीं करेगी।
कलपट्टी के किनारे स्थित यह झरना 100 फीट ऊँचा है। यह जलप्रपात ऊटी से केवल 13 किलोमीटर की दूरी पर है इसलिए ऊटी आने वाले पर्यटक यहाँ की सुंदरता को देखने भी आते हैं। झरने के अलावा कलहट्टी-मसिनागुडी की ढलानों पर जानवरों की अनेक प्रजातियाँ भी देखी जा सकती हैं जिसमें चीते, सांभर और जंगली भैसा शामिल हैं।
निकटतम हवाई अड्डा कोयंबटूर है।
शहर में उदगमंडलम रेलवे स्टेशन है। मुख्य जंक्शन कोयंबटूर है।
राज्य राजमार्ग 17 से मड्डुर और मैसूर होते हुए बांदीपुर पहुँचा जा सकता है। यह आपको मदुमलाई रिजर्व तक पहुँचा देगा। यहाँ से उदगमंडलम की दूरी केवल 67 किलोमीटर है।
उदगमंडलम में कई चाइनीज रेस्टोरेंट हैं लेकिन सबसे मशहूर है नीलगिरि पुस्तकालय के पास स्थित "शिंकोज"। कमर्शियल रोड पर बने कुरिंजी में दक्षिण भारतीय भोजन मिलता है।
उदगमंडलम चाय, हाथ से बनी चॉकलेट, खुशबूदार तेल और मसालों के लिए प्रसिद्ध है। कमर्शियल रोड पर हाथ से बनी चॉकलेट कई तरह के स्वादों में मिल जाएगी। यहाँ हर दूसरी दुकान पर यह चॉकलेट मिलती है। हॉस्पिटल रोड की किंग स्टार कंफेक्शनरी इसके लिए बहुत प्रसिद्ध है। कमर्शियल रोड की बिग शॉप से विभिन्न आकार और डिजाइन के गहने खरीदे जा सकते हैं। यहाँ के कारीगर पारंपरिक तोडा शैली के चाँदी के गहनों को सोने में बना देते हैं। तमिलनाडु सरकार के हस्तशिल्प केंद्र पुंपुहार में बड़ी संख्या में लोग हस्तशिल्प से बने सामान की खरीदारी करने आते हैं।
Seamless Wikipedia browsing. On steroids.
Every time you click a link to Wikipedia, Wiktionary or Wikiquote in your browser's search results, it will show the modern Wikiwand interface.
Wikiwand extension is a five stars, simple, with minimum permission required to keep your browsing private, safe and transparent.