उत्तर कोरिया (कोरियाई: 조선), आधिकारिक रूप से कोरिया जनवादी लोकतान्त्रिक गणराज्य, पूर्वी एशिया में कोरिया प्रायद्वीप के उत्तर में बसा हुआ देश है। देश की राजधानी और सबसे बड़ा शहर प्योंगयांग है। कोरिया प्रायद्वीप के 38वें समानांतर पर बनाया गया कोरियाई सैन्यविहीन क्षेत्र उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच विभाजन रेखा के रूप में कार्य करता है। अमनोक नदी और तुमेन नदी उत्तर कोरिया और चीन के बीच सीमा का निर्धारण करती है, वहीं धुर उत्तर-पूर्वी छोर पर तुमेन नदी की एक शाखा रूस के साथ सीमा बनाती है।

सामान्य तथ्य कोरिया जनवादी लोकतान्त्रिक गणराज्य 조선민주주의인민공화국, राजभाषा(एँ) ...
कोरिया जनवादी लोकतान्त्रिक गणराज्य
조선민주주의인민공화국
Thumb Thumb
ध्वज कुल चिह्न
राष्ट्रवाक्य: 강성대국
"शक्तिशाली और समृद्ध देश"
राष्ट्रगान: देशभक्ति का गीत (राष्ट्रगान उत्तर कोरिया) (अंग्रेज़ी: Aegukka)
Thumb
अवस्थिति: उत्तर कोरिया
राजधानी
और सबसे बड़ा नगर
प्योंगयांग
39°2′N 125°45′E
राजभाषा(एँ) कोरियाई भाषा
निवासी उत्तरी कोरियाई, कोरियाई
सरकार जूचे समाजवादी गणराज्य,
एकल दल वामपंथी राज्य
 -  गणराज्य के चीर अध्यक्ष किम इल-सुंग
(दिवंगत)
 -  राष्ट्रीय रक्षा आयोग के अध्यक्ष किग जोंग-इल
 -  सुप्रीम पीपुल्स असेंबली के अध्यक्ष चोय योंग-होय
 -  प्रधानमंत्री किम यांग-इल
विधान मण्डल सुप्रीम पीपुल्स असेंबली
स्थापना
 -  स्वतंत्रता की घोषणा १ मार्च १९१९ 
 -  मुक्ति १५ अगस्त १९४५ 
 -  आधिकारिक घोषणा ९ सितंबर १९४८ 
क्षेत्रफल
 -  कुल १२०,५४० km2 (९८वाँ)
 -  जल (%) ४.८७
जनसंख्या
 -  २००९ जनगणना २२,६६६,००० (५१ वां)
सकल घरेलू उत्पाद (पीपीपी) २००७ प्राक्कलन
 -  कुल $४० अरब(₹3264762000) (९५ वां)
 -  प्रति व्यक्ति $१,७०० (२००८ अनु॰) (१९१ वां)
मानव विकास सूचकांक (१९९८)0.७६६
उच्च · ७५ वां
मुद्रा उत्तर कोरियाई वॉन (₩) (KPW)
समय मण्डल कोरिया मानक समय (यू॰टी॰सी॰+९)
दिनांक प्रारूप yy, yyyy년 mm월 dd일
yy, yyyy/mm/dd (CE–१९११, CE)
दूरभाष कूट ८५०
इंटरनेट टीएलडी .kp
1. ^ अ. १९९४ में निधन, १९९८ में चीर अध्यक्ष घोषित।

^ ब. किग जोंग-इल देश और सरकार में किसी पद पर काबिज नहीं होने के बावजूद देश के सबसे बड़ी हस्ती हैं। इनका आधिकारिक दर्जा उत्तर कोरिया राष्ट्रीय रक्षा आयोग के अध्यक्ष के तौर पर है, जिस पर वे १९९४ से बने हुए हैं।

^ स. किग यांग-नाम विदेश मामलों के राज्य प्रमुख हैं।
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1910 में, कोरिया साम्राज्य पर जापान के द्वारा कब्जा कर लिया गया था। 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के अन्त में जापानी आत्मसमर्पण के बाद, कोरिया को संयुक्त राज्य और सोवियत संघ द्वारा दो क्षेत्रों में विभाजित किया कर दिया गया, जहाँ इसके उत्तरी क्षेत्र पर सोवियत संघ तथा दक्षिण क्षेत्र पर अमेरिका द्वारा कब्जा कर लिया गया। इसके एकीकरण पर बातचीत विफल रही, और 1948 में, दोनों क्षेत्रों पर अलग-अलग देश और सरकारें: उत्तर में सोशलिस्ट डेमोक्रेटिक पीपुल रिपब्लिक ऑफ़ कोरिया, और दक्षिण में पूँजीवादी गणराज्य कोरिया बन गईं। दोनों देश के बीच एक यूद्ध (1950-1953) भी लड़ा जा चुका हैं। कोरियाई युद्धविधि समझौते से युद्धविराम तो हुआ, लेकिन दोनों देश के बीच शान्ति समझौते हस्ताक्षर नहीं किए गए।[1]

उत्तर कोरिया आधिकारिक तौर पर स्वयं को आत्मनिर्भर समाजवादी राज्य के रूप में बताता है।[2] और औपचारिक रूप से चुनाव भी किया जाता है। हालाँकि आलोचक इसे अधिनायकवादी तानाशाही का रूप मानते है, क्योंकि यहाँ की सत्ता पर किम इल-सुंग और उसके परिवार के लोगो का अधिपत्य हैं। कई अन्तरराष्ट्रीय संगठनों के अनुसार उत्तर कोरिया में मानवाधिकार उल्लंघन का समकालीन दुनिया में कोई समानान्तर नहीं है।[3][4][5] सत्तारूढ़ परिवार के सदस्य की अगुवाई में कोरिया की श्रमिक पार्टी (डब्ल्यूपीके), देश की सत्ता चलती है और दोनों देशों के पुनर्मिलन के लिए डेमोक्रेटिक फ़्रण्ट का नेतृत्व करता है जिसमें सभी राजनीतिक अधिकारियों के सदस्य होने की आवश्यकता होती है।[6]

राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता की विचारधारा "जुचे", 1972 में "मार्क्सवादी-लेनीनवादी के रचनात्मक प्रयोग" के रूप में संविधान में पेश की गई। राज्य के उद्यमों और सामूहिक कृषि के माध्यम से कृषि उत्पादन पर राज्य का स्वामित्व होता हैं। स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा, आवास और खाद्य उत्पादन जैसी अधिकांश सेवाएँ सब्सिडी वाली या राज्य-वित्त पोषित हैं। 1994 से 1998 तक, उत्तर कोरिया में अकाल पड़ा था, जिसके परिणामस्वरूप 0.24 से 0.42 मिलियन लोगों की मौत हुई और देश अब भी खाद्य उत्पादन में संघर्ष कर रहा है।[7] उत्तर कोरिया सोंगुन या "सैन्य-पहले" नीति का पालन करता है।[8] 1.21 मिलियन की इसकी सक्रिय सेना, चीन, अमेरिका और भारत के बाद दुनिया में चौथी सबसे बड़ी है।[9] नार्थ कोरिया एक परमाणु हथियार सम्पन्न देश हैं।[10][11] उत्तर कोरिया अपने आप को एक नास्तिक देश मानता है यहाँ पर कोई आधिकारिक पन्थ भी नहीं है साथ ही सार्वजनिक रूप से पन्थ को एक हासिए पे ही रखा जाता हैं। यहां के तानाशाह किम जोंग उन ने नार्थ कोरिया के डिफेंस मिनिस्टर को अपनी एंटी एयरक्राफ्ट गन से गोली मारी थी क्योंकि किम जोंग उन की एक स्पीच में उनको हल्की सी आँख लग गई थी और किम जोंग उन ने अपने फूफा को देशद्रोह के आरोप में उन्हें फंसाया गया और उन्हें १२० शिकारी कुत्तों के सामने छोड़ दिया क्योंकि किम जोंग उन को लगता था कि उनके फूफा उनसे नॉर्थ कोरिया की सत्ता न छीन ले। किम जोंग उन ने एक अमेरिकन सिटीजन Otto Warmbier नाम के एक शख्स को सजा सुनाई थी क्योंकि Otto Warmbier से एक छोटी सी भूल हो गई थी। जब Otto Warmbier अपने देश अमेरिका गए तब वहां उनकी मृत्यु हो गई थी।

इतिहास

जापानी आधिपत्य (1910-1945)

सन् १९०५ में रूसी -जापान युद्ध के बाद जापान द्वारा कब्जा किए जाने के पहले प्रायद्वीप पर कोरियाई साम्राज्य का शासन था। सन् १९४५ में द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद यह सोवियत संघ और अमेरिका के कब्जे वाले क्षेत्रों में बाँट दिया गया। उत्तर कोरिया ने संयुक्त राष्ट्र संघ की पर्यवेक्षण में सन् १९४८ में दक्षिण में हुए चुनाव में भाग लेने से इंकार कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप दो कब्जे वाले क्षेत्रों में अलग कोरियाई सरकारों का गठन हुआ। उत्तर और दक्षिण कोरिया दोनों ही पूरे प्रायद्वीप पर सम्प्रभुता का दावा किया,सकी परिणति सन् १९५० में कोरियाई युद्ध के रूप में हुई। 1953 में हुए युद्धविराम के बाद लड़ाई तो खत्म हो गई, लेकिन दोनों देश अभी भी आधिकारिक रूप से युद्धरत हैं, क्योंकि शान्तिसन्धि पर कभी हस्ताक्षर नहीं किए गए। दोनों देशों को सन् १९९१ में संयुक्त राष्ट्र में स्वीकार किया गया। २६ मई २००९ में उत्तर कोरिया ने एकतरफा युद्धविराम वापस ले लिया।

सोवियत आधिपत्य और कोरिया का विभाजन (1945–1950)

1945 में जब दूसरा विश्व युद्ध समाप्त हुआ तो, कोरियाई प्रायद्वीप को 38वीं समानान्तर रेखा से दो क्षेत्रों में विभाजित कर दिया गया, जिसके उत्तरी क्षेत्र में सोवियत संघ का और दक्षिणी हिस्से पर संयुक्त राज्य अमेरिका का कब्जा रहा। विभाजन रेखा हेतु दो अमेरिकी अधिकारियों, डीन रस्क और चार्ल्स बोनेस्टेल को काम सौंपा गया, उन्होंने देश को लगभग आधे-आधे भाग में विभाजित किया था लेकिन राजधानी सियोल को अमेरिकी नियन्त्रण के तहत रखा था।[12][13] फिर भी, विभाजन तुरन्त सोवियत संघ द्वारा स्वीकार किया गया। सोवियत जनरल तेरेन्ति शैतकोव ने 1945 में सोवियत नागरिक प्राधिकरण की स्थापना की सिफारिश की, और उत्तर कोरिया के लिए फरवरी 1946 में स्थापित अस्थायी पीपल्स कमेटी के अध्यक्ष के रूप में किम इल-सुंग का समर्थन किया। अस्थायी सरकार के दौरान, शैतकोव की मुख्य उपलब्धि, व्यापक भूमि सुधार कार्यक्रम रही जिसने उत्तरी कोरिया की जमींदारी प्रणाली को समाप्त कर दिया। वहाँ के जमींदार और जापानी सहयोगी दक्षिण की और भाग खड़े हुए। शैतकोव ने वहाँ के कई प्रमुख उद्योगों को राष्ट्रीयकृत कर दिया और कोरिया के भविष्य पर बातचीत करने के लिए मॉस्को और सियोल में सोवियत प्रतिनिधिमण्डल का नेतृत्व भी किया।[14][15][16][17][18] 9 सितम्बर 1948 में डेमोक्रेटिक पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ कोरिया को स्थापित किया गया। शैतकोव पहले सोवियत राजदूत के रूप में रहे, जबकि किम इल-शुंग को इसका प्रमुख बनया गया।

1948 में सोवियत सेना उत्तरी कोरिया से वापस लौट गई और 1949 में अमेरिकी सेना दक्षिण कोरिया से हट गई। राजदूत शैतकोव को सन्देह था की दक्षिण की कम्युनिस्ट विरोधी सरकार, उत्तर पर आक्रमण करने की योजना बना रही हैं, वही वे समाजवाद के तहत कोरियाई प्रायद्वीप के एकीकरण की किम के लक्ष्य के प्रति सहानुभूति रखते थे। दोनों ने दक्षिण पर पहले हमले करने के लिए जोसेफ स्टालिन को मनाने में सफल रहे, जो आगे चल कर कोरियाई युद्ध के रूप में हुआ।

कोरियाई युद्ध (1950-1953)

युद्ध के बाद की स्थिति

21वीं सदी===

प्रशासनिक विभाग

अधिक जानकारी मानचित्र, नाम ...
मानचित्रनामकोरियाई नामप्रशासनिक सीट
राजधानी (चिखालसि)
1प्योंगयांग평양직할시(चुंग-गूयोक)
विशेष शहर
2रासोन *라선특별시(रेजिन-गूयोक) *
प्रांत
3दक्षिण प्योंगान평안남도प्योंगसांग
4उत्तर प्योंगान평안북도सिनुइजू
5जाकांग자강도कांग्गये
6दक्षिण ह्वांग्हे황해남도हैजु
7उत्तर ह्वांग्हे황해북도सारिवोन
8कांग्वोन강원도वोनसान
9दक्षिण हामगयोंग함경남도हमहुंग
10उत्तर हामगयोंग함경북도चोंगजिन
11रयानगांग량강도हेसान
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अर्थव्यवस्था

समाज और संस्कृतिपीपुल्स रिपब्लिक की स्थापना के बाद से विकसित हुई। जुचे विचारधारा कोरिया की सांस्कृतिक विशिष्टता और रचनात्मकता के साथ-साथ काम करने वाले लोगों की उत्पादक शक्तियों पर जोर देती है। उत्तरी कोरिया में कला मुख्य रूप से व्यावहारिक है; सांस्कृतिक अभिव्यक्ति जुचे विचारधारा और कोरियाई प्रायद्वीप के क्रांति और पुनर्मिलन के लिए संघर्ष जारी रखने की आवश्यकता के लिए एक साधन के रूप में कार्य करती है। विदेशी सरकारों और नागरिकों, विशेष रूप से जापानी और अमेरिकियों को साम्राज्यवादी के रूप में नकारात्मक रूप से चित्रित किया गया है; क्रांतिकारी नायकों और नायिकाओं को संतों के रूप में देखा जाता है जो उद्देश्यों के शुद्धतम से कार्य करते हैं। क्रांतिकारी संघर्ष (साहित्य में वर्णित साहित्य जैसे साहित्य में दिखाया गया), वर्तमान समाज की खुशी, और नेता की प्रतिभा के दौरान तीन सबसे संगत थीम शहीद हैं।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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