इब्राहीम (इस्लाम)
इबराहीम अलैहिस्सलाम: इस्लाम धर्म के भी महान पैगम्बर(नबी) थे। विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
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इब्राहीम (इस्लाम) (अंग्रेज़ी:Abraham in Islam), उर्दू:ابراہیم (اسلام)) इबराहीम अलैहिस्सलाम: इस्लाम धर्म के भी महान पैगम्बर(नबी) थे। पवित्र ग्रन्थ क़ुरआन में जिन पैग़म्बरों (रसूलों) का वर्णन विस्तार से किया गया है, उन में इब्राहीम मुख्य हैं।[1]
इब्राहीम إِبْرَاهِيْمُ Abraham | |
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इब्राहीम नाम इस्लामी अक्षरांकन में, उसके बाद "सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम" लिखा हुआ है। | |
जन्म |
ल. 2510 हिजरी से पहले (c. 1813 आम युग) Ur, इराक़ |
मौत |
ल. 2335 हिजरी से पहले (c. 1644 आम युग) (उम्र लगभग 169) हेब्रोन, मुल्क शाम |
समाधि | Ibrahimi Mosque, Hebron |
उपनाम | खलीलुल्लाह (अरबी: خَلِيْلُ ٱللهِ, "अल्लाह का दोस्त") |
उत्तराधिकारी | Lut (possibly) |
जीवनसाथी | Hajar (Hagar), Sarah, Keturah |
बच्चे | Ismaʿil (इस्माईल), Isḥaq (Isaac), others through Keturah |
माता-पिता | Aazar or Terah |
संबंधी | Lut (nephew) |
Ibrahimi Mosque, Hebron |
हज़रत इब्राहीम का इब्राहीमी धर्म अर्थात् यहूदी धर्म, ईसाई धर्म, इस्लाम में विशेष स्थान है।[2] इस्लामी मान्यता में विशेष स्थान है कि पैगम्बर मुहम्मद को भी उन्हीं के वंश से माना जाता। क़ुरआन में 14 वां अध्याय इब्राहिम (सूरा) जिसमें 52 आयतें हैं सहित उन का ज़िक्र मक्की-मदनी दोनों किस्म की सूरा में मौजूद है, 35 सूरतों की लगभग 63 आयतों में हज़रत इब्राहीम (अलैहि सलाम) का ज़िक्र मिलता है।[3]
इस्लाम धर्म की महत्वपूर्ण पुस्तक क़िसासुल अंबिया और ऐतिहासिक पुस्तकों के अनुसार हज़रत इस्माइल के पिता हज़रत इब्राहीम का मक्का (शहर) में इस्लाम के तीर्थ स्थल काबा में काबा की तामीर, ज़मज़म कुंआ (आबे ज़मज़म), मक़ामे इब्राहीम, हज्रे अस्वद[4], ईद अल-अज़हा का त्यौहार और इब्राहीमी धर्म में प्रचलित खतना अर्थात् सुन्नते इब्राहिम[5] और नमरूद का उनको पालना, आग में डालना[6] आदि इस्लाम में प्रसिद्ध बातों का ऐतिहासिक संबंध भी हज़रत इब्राहीम से है।
क़ुरआन के कई आयतों में काबा और उसकी व्युत्पत्ति का उल्लेख है। उल्लेखित कहानी के अनुसार, काबा अल्लाह के लिए बनाया गया पहला प्रार्थनागृह है, जिससे इब्राहिमऔर उनके पुत्र इस्माइल ने अल्लाह के कहने पे मक्का (शहर) में निर्मित किया था। इस कहानी का उल्लेख निम्न आयतों में मिलता है:
यकीनन लोगों (की इबादत) के वास्ते जो घर सबसे पहले बनाया गया वह तो यक़ीनन यही (काबा) है जो बक्का (मक्का) में है बड़ी (खैर व बरकत) वाला और सारे जहाँ के लोगों का रहनुमा
और (ऐ रसूल वह वक्त याद करो) जब हमने इबराहीम के ज़रिये से इबरहीम के वास्ते ख़ानए काबा की जगह ज़ाहिर कर दी (और उनसे कहा कि) मेरा किसी चीज़ को शरीक न बनाना और मेरे घर को तवाफ और क़याम और रूकू सुजूद करने वालों के वास्ते साफ सुथरा रखना
और (वह वक्त याद दिलाओ) जब इबराहीम व इसमाईल ख़ानाए काबा की बुनियादें बुलन्द कर रहे थे (और दुआ) माँगते जाते थे कि ऐ हमारे परवरदिगार हमारी (ये ख़िदमत) कुबूल कर बेशक तू ही (दूआ का) सुनने वाला (और उसका) जानने वाला है
मुसलमानों के तीर्थ स्थल काबा में एक विशेष स्थल और पवित्र पत्थर है, जिस पर हज़रत इब्राहीम के पदचिह्न थे।
मुसलमानों के तीर्थ स्थल काबा में वो पत्थर है जो काबा की दीवार पर लगा है। कई घटनाओं के बाद इस समय ये तीन बड़े और विभिन्न रूपों के कई छोटे टुकड़ों में है।
इस्लामी मान्यता के अनुसार जब हज़रत इब्राहीम और उनके बेटे हज़रत इस्माईल ख़ाना काबा की तामीर कर रहे थे। तो हज़रत जिब्राईल ने ये पत्थर जन्नत से ला कर दिया जिसे हज़रत इबराहीम ने अपने हाथों से दीवार काबा में नसब किया।
नमरूद और इब्राहिम
इस्लाम के पैगम्बर कुरान अनुसार | |||||||||||||
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आदम | इदरीस | नुह | हुद | सालेह | इब्राहीम | लूत | इस्माइल | इसहाक | याकूब | यूसुफ़ | अय्यूब | ||
آدم | إدريس | نوح | هود | صالح | إبراهيم | لوط | إسماعيل | إسحاق | يعقوب | يوسف | أيوب | ||
आदम (बाइबल) | इनोच | नोअह | एबर | शेलह | अब्राहम | लॉट | इश्माएल | आइजै़क | जैकब | जोसफ | जॉब | ||
शोएब | मूसा | हारुन | जुल-किफ्ल | दाऊद | सुलेमान | इलियास | अल-यासा | यूनुस | ज़कारिया | यहया | ईसा | मुहम्मद | |
شُعيب | موسى | هارون | ذو الكفل | داود | سليمان | إلياس | إليسع | يونس | زكريا | يحيى | عيسى | مُحمد | |
जेथ्रो | मोजे़ज़ | आरोन | एजी़कल | डैविड | सोलोमन | एलीजाह | एलीशाह | जोनाह | जे़करिया | जॉन | ईशु मसीह | पैराच्लीट |
हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम के साथ हैरतांगेज़ वक़िया हुआ जब नमरूद ने उन्हें आग में फेनकने के लिए बहुत बड़ी आग लगाई तो उस समय फरिश्तों में अफरा तफ़री का माहोल था वो आग को इतना ज़्यादा फेला चूके थे कि कोई भी आदमी उस आग के पास जा भी नहीं सकता था तो उन में से किसी ने माशवरा दिया की गुलेल से इब्राहिम अलैसलाम को फेनका जाए।
फिर क्या हुआ नमरूद ने गुलेल मंगवाया और इब्राहिम अलैहिस्सलाम को जब गुलेल के साथ बांध दिया गया, फंकने के लिए तो फरिश्तों ने गुलेल को पकड़ लिया इससे वो गुलेल को हिलाने कि भी ताकत नहीं रखते थे, फिर उन्हीं में से एक उमर दराज आदमी ने ये वकिया देखा, तो वो समझ गया और सारा माजरा उसने नमरूद को बताया । की 6 नंगी औरतो को इब्राहिम अलैहिस्सलाम के सामने लाया जाए फिर ऐसा ही हुआ जब वो औरते आई तो सारे रहमत के फरिश्ते उस समय गुलेल से दूर हो गए और इब्राहिम अलैहिस्सलाम को आग में फेनका गया ।
उस समय भी फरिश्तों ने इब्राहिम अलैहिस्सलाम से कहा कि "आप हुकुम दे मैं ऐसी हवा चलाऊंगा की आग बंद हो जाएगी" लेकिन हमारे नबी ने एक बात कहीं अल्लाह ही काफी है मेरे लिए और ऐसा ही हुआ अल्लाह के हुक्म से वो आग इतनी ठंडी हो गई है कि इब्राहिम अलैहिस्सलाम उसमे सुकून के साथ थे।। अल्हम्दुलिल्लाह
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