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अज़ीज़-उद्दीन आलमगीर द्वितीय (१६९९-१७५९) (उर्दु:عالمگير) ३ जून १७५४ से २९ नवंबर १७५९ तक भारत में मुगल सम्राट रहा। ये जहांदार शाह का पुत्र था। 1754 में इमाद उल मुल्क की मदद से जो कि उस वक्त काफी ताकतवर मुगल मंत्री था उसकी सहायता से आलमगीर द्वितीय ने सत्ता प्राप्त की यह जहांदरशाह के पुत्र थे और उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन जेल में ही काटा था जिसके कारण इन को सत्ता को चलाने या फिर मंत्रियों को काबू में रखने की क्षमता नहीं थी और उनके पास किसी भी तरीके का सैन्य ज्ञान भी नहीं था जिसके कारण ही इमाद उल मूल्क पर ही उन्हें सभी कार्य करना पड़ता था आलमगीर द्वितीय एक बहुत ही कमजोर और दूरदर्शी शासक थे 1756 में मराठों के प्रभाव से बचने के लिए उन्होंने फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी से मदद मांगी उस वक्त 7 वर्षीय युद्ध जो कि संपूर्ण विश्व में छीड़ गया था उसमें मुगलों का भी एक योगदान था जिसमें कई सारे देश शामिल थे जैसे डेनमार्क पुर्तगाल बिटेन आदि देश भी शामिल थी मुगलो को पहली बार एक ग्लोबल युद्ध में लड़ने का मौका मिल रहा था।इन्होंने उत्तर भारत में अहमद शाह दुर्रानी के आक्रमणों को रोकने के लिए अपनी बेटी का विवाह तिमुर शाह दुर्रानी जो कि अहमद शाह का पुत्र था उसके साथ कर दिया और दुर्रानी साम्राज्य के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित किए। आलमगीर द्वितीय बहुत ही कमजोर शासक थे उन्होंने मोहम्मद शाह की पुत्री का विवाह अहमद शाह दुर्रानी से करवा दिया। 1757 ईस्वी में अली वर्दी खान की मृत्यु हो गई जो कि बंगाल के नवाब थे और सिराजुद्दोला उनके बाद नबाव बने सिराजुद्दौला को 1757 ईस्वी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने प्लासी के युद्ध में हरा दिया जिसके बाद मीर जाफरको नवाब घोषित किया गया परंतु आलमगीर द्वितीय इस बात से नाखुश थे परंतु इमादुल मुलक की तानाशाही की वजह से मीर जाफर को बंगाल का नवाब घोषित कर दिया गया। अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए उसने ही इमिद उल मुलक को खत्म करना ही सही समझा जिसके बाद उसनेसदाशिवराव भाऊ को दिल्ली में आने का न्योता दिया इससे इमाद उल मुल्क और नजीब खान रोहिल्ला दोनों ही काफी ना खुश हो गए आलमगीर द्वितीय से जिसके बाद उन दोनों ने आलमगीर द्वितीय की हत्या करवाने का साजिश रची 1759 ईस्वी में आलमगीर द्वितीय जो कि बाहर से एक संत मिलने आया उससे मिलने के लिए चल पड़े बाद में उसी संत ने उनकी हत्या कर दी यह खबर मिलते ही उनके पुत्र शाह आलम द्वितीय वहां से भाग निकला और वहां से भाग कर पटना की ओर भाग गया उसके बाद उन्होंने शाहजहां तृतीय को वापस मुगल सम्राट बनाया।
आलमगीर | |||||
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मुगल सम्राट | |||||
शासनावधि | १७५४ - १७५९ | ||||
पूर्ववर्ती | अहमद शाह बहादुर | ||||
उत्तरवर्ती | शाहजहां तृतीय | ||||
जन्म | १६९९ | ||||
निधन | २९ नवंबर १७५९ | ||||
समाधि | दिल्ली | ||||
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राजवंश | तैमूरी | ||||
पिता | जहांदार शाह |
पूर्वाधिकारी अहमद शाह बहादुर |
मुगल सम्राट १७५४–१७५९ |
उत्तराधिकारी शाहजहां तृतीय |
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