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आखेटि पतंग
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आखेटि पतंग (Ichneumon wasp या इक्नुमन फ़्लाइ) छोटे, बहुधा चटकीले रंगोंवाले, क्रियाशील कीट (इंसेक्ट) हैं। चीटियों, मधुमक्खियों तथा बर्रों से इनका निकट संबंध है। प्राय: इन्हें धूप से प्रेम होता है। इनके पूर्वोक्त संबंधियों और इनमें यह भेद है कि प्रौढ़ होने पर ही ये स्वतंत्र जीवन व्यतीत करते हैं। अपरिपक्व अवस्था में ये पूर्णत: परजीवी होते हैं। तब तक विविध प्रकार के कीटों के शरीर के ऊपर या भीतर रहकर, उन्हीं से भोजन और आश्रय पाते हैं तथा अंत में उनके प्राण ले लेते हैं। प्रौढ़ स्त्री आखेटि पतंग अंडे या तो आश्रयदाता कीट के शरीर के ऊपर देती है या अपने अंडरोपक (ओविपॉज़िटर) की सहायता से इन्हें उसकी त्वचा के नीचे घुसेड़ देती है। अंडरोपक एक प्रकार का रूपांतरित डंक होता है जो आश्रय देनेवाले कीट की चमड़ी को छेदकर उसके भीतर अंडे डालने में सहायता देता है। आश्रय देनेवाले कीट के शरीर के भीतर आखेटिपतंग डिंभ (लार्वी) प्राय: सैकड़ों की संख्या में होते हैं।; ये शनै:-शनै: उसके शरीर के कोमल पदार्थ को खा जाते हैं तथा अंत में केवल उसकी खाल रह जाती है और इस तरह वह मर जाता है। इन डिंभों में प्राय: टाँगें नहीं होतीं तथा ये श्वेत या पीले रंग के होते हैं। जब ये पूरे बड़े हो जाते हैं तो आश्रय देनेवाले जीव की मृत देह पर अपने चारों ओर एक रेशमी कोवा (कोकून) बना लेते हैं तथा आखेटि पतंग बनकर निकलने के पूर्व वे शंखी (प्यूपा) की अवस्था में रहते हैं।
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