बैतूल जिला मध्य प्रदेश के दक्षिण में स्थित है। बैतूल जिले के मुलताई तहसील पर पुण्य सलिला मां ताप्ती जी का उद्गम स्थल है। बैतूल के मुलताई तहसील पवित्र नगरी के रूप में भी पूजी जाती है यह सतपुड़ा पर्वत के पठार पर स्थित है। यह सतपुड़ा श्रेणी की संपूर्ण चौड़ाई को घेरे हुए है जो नर्मदा घाटी और उसके दक्षिण के मैदान तक फैला है। यह भोपाल संभाग को दक्षिणी छोर से छूता है। इस जिले का नाम छोटे से कस्बे बैतूल बाजार के नाम से जाना जाता है और जिला मुख्यालय से लगभग 5 किलो मीटर की दूरी पर है। मराठा शासन और अंग्रेजों के शासन के प्रारंभ में भी बैतूल बाजार जिला मुख्यालय था।
बैतूल जिला | |||||||
— जिला — | |||||||
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |||||||
देश | भारत | ||||||
राज्य | मध्य प्रदेश | ||||||
राजा | |||||||
जनसंख्या • घनत्व |
1,575,247 (२०११ के अनुसार [update]) | ||||||
क्षेत्रफल • ऊँचाई (AMSL) |
10,043 कि.मी² • 65 मीटर (213 फी॰) | ||||||
विभिन्न कोड
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आधिकारिक जालस्थल: betul.nic.in |
यह जिला ब्रिटिश शासन के खिलाफ आदिवासियों को जागरूक करने के लिए प्रसिद्ध है। बैतूल तहसील का एक गांव बंजारीदल शहीद विष्णु सिंह गोंड के लिए जाना जाता है। जिले ने स्वतंत्रता आंदोलन के विकास में इतना भाग लिया कि नागपुर में कांग्रेस के सम्मेलन में 50 से कम स्वयंसेवकों ने भाग नहीं लिया।[1]
इतिहास
बैतूल का खेरला प्राचीन चार महान गोंड राज्य में से एक था यहां 130 ईस्वी से160 ईस्वी तक कोंडाली नामक गोंड राजा का राज्य था। बाद में मराठाओं ने यह जिला 1818 में ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दिया। 1826 में विधिवत रूप से यह ब्रिटिश अधिकार में चला गया। 1861 में यह सागर और नर्मदा प्रांत में चला गया। बैतूल जिला नर्मदा संभाग के अंतर्गत आता था। ब्रिटिश सेना ने मुलताई में छावनी बनाई थी। बैतूल और शाहपुर मराठा शासक अप्पा साहब के शासन से अलग हो गई थी। मराठा जनरल और सेना जून 1862 में बैतूल में रही। जिले के मुलताई शहर से ताप्ती का उदगम हुआ है। इसको पवित्र माना जाता है। और उनका प्रसिद्ध ताप्ती मंदिर भी यहां है। बेैतुल ही वो पहला जिला था जिसमे ९ मार्च को कवि दिवस के रूप मे मनाना प्रारम्भ किया गया था।
जनसांख्यिकी
भारत की जनगणना -2011 के अनुसार बैतूल की आबादी 1,575,247 है। पुरुष जनसंख्या 799,721 है, जबकि महीला आबादी 775,526 है[2]।
यहां के मुख्य धर्मों में हिन्दू धर्म आता है, जिसके साथ ही यहां मुस्लिम, सिख, जैन एवं ईसाई लोग भी रहते हैं। प्रमुख हिंदू जातियों में क्षत्रिय भोयर पवार/पंवार, राजपूत, रघुवंशी, कुर्मी, कुन्बी हैं। इसके अलावा गोंड, भील, कोरकू आदि है । बोली जाने वाली भाषाओं में हिन्दी, पवारी/भोयरी , मराठी, गोंडी एवं कोरकू हैं।
जिले की तहसील
जिले में निम्नांकित 8 तहसीलें हैं-
- आठनेर
- शाहपुर
- घोडाडोंगरी
- चिचोली
- भीमपुर
- प्रभातपट्टन
भूगोल
बैतूल 27.10°N 73.55°E.[3] पर स्थित है तथा समुंद्रतल से 657 मीटर (2158 फुट) की औसत ऊंचाई पर स्थित है।
शैक्षणिक संस्थाए
- जयवंती हक्सर स्नातकोत्तर महाविद्यालय बैतूल भोपाल फोन 222244.
- शासकीय गर्ल्स डिग्री कालेज बैतूल भोपाल फोन 233071
- शासकीय डिग्री कालेज आमला फोन 285222
- विद्या आनन्द चिल्ड्रन अकादमी स्कूल आठनेर जिला बैतूल फोन 286572
- शासकीय उत्कृष्ट उ.मा. विद्यालय बैतूल फोन 233404
- शासकीय बहुताकनीक महाविद्यालय सोंना घाटी
दर्शनीय स्थल
- शिव मंदिर, सोनाघाटी
- काजली एवं कन्नोजिया
- बालाजी पुरम मंदिर बैतूल बाजार
- मुक्तागिरी जैन मंदिर
- कुकुरू खामला
- शेरगढ़ का किला
- ताप्ती उदगम स्थल मुल्ताई
- पॉवर प्लांट सारणी
- सतलोक आश्रम[4]
- अकबर के राजस्व और भू सुधार मंत्री राजा टोडरमल द्वारा स्थापित तत्कालीन अखण्ड भारत का केंद्र बिंदु बरसाली रेल्वे स्टेशन के समीप है शिलालेख पर फ़ारसी में लिखा गया है कि इस बिंदु को अखण्ड भारत का बिन्दु घोषित किया जाना चाहिए
जनसंख्या
2024 में बैतूल शहर की वर्तमान अनुमानित जनसंख्या 146,000 है | भारत की जनगणना की अनंतिम रिपोर्ट के अनुसार, 2011 में बैतूल की जनसंख्या 103,330 है। [6]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
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