यूनान (युनानी: Ελλάδα) यूरोप महाद्वीप में स्थित देश है। यहां के लोगों को यूनानी अथवा यवन कहते हैं। अंग्रेजी तथा अन्य पश्चिमी भाषाओं में इन्हें ग्रीक कहा जाता है। यहाँ के निवासी अपने देश को “एल्लास” कहते हैं। यह भूमध्य सागर के उत्तर-पूर्व में स्थित द्वीपों का समूह है। प्राचीन यूनानी लोग इस द्वीप से अन्य कई क्षेत्रों में गए जहाँ वे आज भी अल्पसंख्यक के रूप में उपस्थित है, जैसे - तुर्की, मिस्र, पश्चिमी यूरोप इत्यादि।
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हेलेनिक गणराज्य Ελληνική Δημοκρατία |
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राष्ट्रवाक्य: "Ελευθερία ή Θάνατος" ("स्वतंत्रता या मृत्यु") |
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राष्ट्रगान: Ύμνος εις την Ελευθερίαν (स्वतंत्रता के गीत) |
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राजधानी और सबसे बड़ा नगर | एथेंस 38°00′N 23°43′E | |||||
राजभाषा(एँ) | यूनानी | |||||
धर्म | ||||||
सरकार | गणराज्य | |||||
- | राष्ट्रपति | कतेरीना सकेलारोपुलु | ||||
- | प्रधानमंत्री | किरियाकोस मित्सोताकिस | ||||
स्वतन्त्र ऑटोमन साम्राज्य से | ||||||
- | घोषित | 25 मार्च 1821 | ||||
- | मान्यता प्राप्त | 1829 | ||||
क्षेत्रफल | ||||||
- | कुल | 1,31,945 km2 (70वाँ) | ||||
- | जल (%) | 0.8669 | ||||
जनसंख्या | ||||||
- | 2005 जनगणना | 1,12,44,118 (74वाँ) | ||||
- | 2001 जनगणना | 1,09,64,020 | ||||
सकल घरेलू उत्पाद (पीपीपी) | 2005 प्राक्कलन | |||||
- | कुल | 245.88 अरब $ (2005 आधिकारिक यूरोस्टैट डाटा) (37वाँ) | ||||
- | प्रति व्यक्ति | 22,800 $ (2005 आधिकारिक यूरोस्टैट डाटा) (30वाँ) | ||||
मानव विकास सूचकांक (2004) | 0.912 बहुत उच्च · 24वाँ |
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मुद्रा | यूरो(€)2 (EUR) | |||||
समय मण्डल | EET (यू॰टी॰सी॰+2) | |||||
- | ग्रीष्मकालीन (दि॰ब॰स॰) | EEST (यू॰टी॰सी॰+3) | ||||
दूरभाष कूट | 30 | |||||
इंटरनेट टीएलडी | .gr | |||||
1 Monarchy rejected by referendum December 1974. २ Prior to 2001: a |
यूनानी भाषा ने आधुनिक अंग्रेज़ी तथा अन्य यूरोपीय भाषाओं को कई शब्द दिये हैं। तकनीकी क्षेत्रों में इनकी श्रेष्ठता के कारण तकनीकी क्षेत्र के कई यूरोपीय शब्द यूनानी भाषा के मूलों से बने हैं। इसके कारण ये अन्य भाषाओं में भी आ गए हैं।
भूगोल
स्थिति: 35° से 41° 30' उ.अ. तथा 19° 30' से 27° पू.दे.; क्षेत्रफल- 51,182 वर्ग मील, जनसंख्या 85,55,000 (1958, अनुमानित) बालकन प्रायद्वीप के दक्षिणी भाग में बालकन राज्य का एक देश है जिसके उत्तर में अल्बानिया, यूगोस्लाविया और बलगेरिया, पूर्व के तुर्की, दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण और दक्षिण-पूर्व में क्रमश: आयोनियन सागर, भूमध्यसागर और ईजियन सगर स्थित हैं। यूनान को हेलाज़ (Hellas) का राज्य कहते हैं।
ग्रीस की सबसे आकर्षक भौगोलिक विशेषता उसके पर्वतीय भाग, बहुत गहरी कटी फटी तटरेखा तथा द्वीपों की अधिकता है। पर्वतश्रेणियाँ इसके 3/4 क्षेत्र में फैली हुई हैं। पश्चिमी भाग में पिंडस पर्वत समुद्र और तटरेखा के समांतर लगातार फैला हुआ है। इसके विपरीत, पूर्व में पर्वतश्रेणियाँ समुद्र के साथ समकोण बनाती हुई चलती हैं। इस प्रकार की छिन्न-भिन्न तटरेखा और यूरोप में एक अद्भुत झालरदार (Fringed) द्वीप का निर्माण करती हैं। सर्वप्रमुख बंदरगाह इसी झालरदार द्वीप पर स्थित हैं और समीपवर्ती ईजियन समुद्र लगभग 2,000 द्वीपों से भरा हुआ है। ये एशिया और यूरोप के बीच में सीढ़ी के पत्थर का काम करते हैं। देश का कोई भी भाग समुद्र से 80 मील से अधिक दूर नहीं है। इस देश में ्थ्रोस, मैसेडोनिया और थेसाली केवल तीन विस्तृत मैदान हैं।
ग्रीस की जलवायु इसके विस्तार के विचार से असाधारण रूप से भिन्न है। इसके प्रधान कारण ऊँचाई में विभिन्नता, देश की लंबी आकृति और बालकन तथा भूमध्यसागरीय हवाओं की उपस्थिति है। समुद्रतटीय भागों में भूमध्यसागरी जलवायु पाई जाती है जिसकी विशेषता लंबी, उष्ण तथा शुष्क गर्मियाँ और वर्षायुक्त ठंढी जाड़े की ऋतुएँ हैं, थेसाली, मैसेडोनिया तथा थ्रोस के मैदानों की जलवायु वर्षा, जाड़े की ऋतु ठंड़ी तथा गर्मियाँ अधिक उष्ण होती हैं। अल्पाइन पर्वत पर तीसरा जलवायु खंड पाया जाता है।
प्राकृतिक विभाग
यूनान को पाँच प्राकृतिक विभागों- 1. थ्रोस और मैसेडोनिया, 2. ईपीरस, 3. थेसाली, 4. मध्य ग्रीस और 5. द्वीपसमूह में बाँटा जा सकता है।
थ्रोस और मैसेडोनिया
उत्तरी भाग पूर्णतया पर्वतीय हैं। वारदर, स्ट्रुमा, नेस्टास और मेरिक प्रमुख नदियाँ हैं। पर्वतीय हैं। समीप विस्तृत मैदान हैं जिनमें खाद्यान्नों, तंबाकू और फलों की खेती होती है। इस प्रदेश में एलेक्जैंड्रोपोलिस, कावला तथा सालोनिका प्रमुख बंदरगाह हैं।
ईपीरस
अधिकांश भाग पर्वतीय तथा विषम है। इसलिये कुछ सड़कों को छोड़कर यातायात का अन्य कोई साधन नहीं हैं। पर्वतीय लोगों का मुख्य उद्यम भेड़ पालना है। छोटे छोटे मैदानों में कुछ फस्लें, विशेषतया मक्का, पैदा की जाती हैं।
थेसाली
मैसेडोनिया की ही तरह थेसाली के मैदान अत्यंत उपजाऊ हैं जहाँ ग्रीस के किसी भी भाग की अपेक्षा व्यापक पैमाने पर खेती की जाती है। मुख्य फसलें गेहूँ, मक्का, जौ और कपास हैं। लारिसा यहाँ का मुख्य नगर तथा वोलास मुख्य बंदरगाह हैं।
मध्य ग्रीस
मध्य ग्रीस में थेब्स (थेवाई), लेवादी और लामियाँ के मैदानों के अतिरिक्त पथरीली और विषम भूमि के भी क्षेत्र हैं। मैदानों में मुनक्का, नारंगी, खजूर, अंजीर, जैतून, अंगूर, नीबू और मक्का की उपज होती है। पथरीली और विषम भूमि के क्षेत्र में खाल और ऊन प्राप्त होता है।
इसी खंड में राष्ट्रीय राजधानी एथेन्स ग्रीस का प्रमुख बंदरगाह एवं औद्योगिक पिरोस आते हैं।
द्वीप समूह
इनमें मुख्यत: आयोनियन, ईजियन, यूबोआ, साईक्लेड्स तथा क्रीट द्वीप उल्लेख्य हैं। क्रीट इनमें सबसे बड़ा द्वीप हैं, जिसकी लंबाई 160 मील तथा चौड़ाई 35 मील हैं। सन् 1951 में इसकी जनसंख्या 4,61,300 थी तथा इसमें दो प्रमुख नगर, कैंडिया और कैनिया, स्थित हैं।
आयोनियन द्वीप बहुत ही घने बसे हुए हैं। सभी द्वीपों में कुछ शराब, जैतून का तेल, अंगूर, चकोतरा तथा तरकारियाँ पैदा होती हैं। यहाँ के अधिकांश निवासी मछुए, नाविक या स्पंज गोताखोर के रूप में जीविकोपार्जन करते हैं।
प्राकृतिक संपत्ति
खनिज : ग्रीस में पर्याप्त खनिज संपत्ति है लेकिन व्यवस्थित रूप में अनुसंधान न होने से इस प्राकृतिक धन का उपयोग नहीं हो पाता है। खनिज पदार्थों के विकासार्थ संयुक्तराष्ट्र द्वारा गठित उपसमिति (unrra) की सिफारिश (1947) के आधार पर 1951 ई. में एथेन्स के उपधरातलीय अन्वेषण केंद्र ने 1/50,000 अनुमाप पर ग्रीस के भूगर्भीय मानचित्र का निर्माण कार्य प्रारंभ किया।
यहाँ के मुख्य खनिज लौह धातु, वाक्साइट, आयरन पाइराइट (Iron Pyrite), कुरुन पत्थर, बेराइट। सीस, जस्ता, मैगनेसाइट, गंधक, मैंगनीज, ऐंटीमीनी और लिगनाइट हैं। 1951 ई. में संयुक्त राष्ट्र आयोग की खोज से यह पता चला कि मेसिना जाते, कर्दिस्ता, त्रिकाला और ्थ्रोस के क्षेत्रों में खोदे जाने योग्य तेल के भंडार हैं।
जलशक्ति
इसका भी पर्याप्त विकास नहीं हो सका है। संयुक्त राष्ट्रसंघ के आहार और कृषि संगठन (F.A.O.) की सूचना (मार्च, 1947) के अनुसार जलविद्युत् की क्षमता 8,00,000 किलावाट और 5,00,00,00,000 किलोवाट घंटा प्रति वर्ष थी जबकि विश्वयुद्ध के पूर्व केवल 22,00,00,000 किलोवाट घंटा विद्युत् तैयार की जाती थी और तापविद्युत्यंत्रों के लिये कीमती ईधंन आयात किया जाता था। ग्रीस की अनियंत्रित नदियों से कटाव, बाढ़ तथा रेत की समस्या से छुटकारा पाने के लिये नदीघाटी योजनाओं द्वारा इन्हें नियंत्रित कर शक्ति एवं कृषि के लिये अतिरिक्त भूमि प्राप्त की जा रही है। इन योजनाओं में आगरा (मैसेडोनिया), लेदन नदी (पेलोपानीसस), लौरास नदी (ईपीरस) और अलीवेरियन (यूबोआ) मुख्य हैं।
प्राकृतिक वनस्पति एवं पशु
यूनान की वनस्पति को चार खंडों में विभाजित किया जा सकता है :
1. समुद्रतल से 1500 फुट तक इस क्षेत्र में तंबाकू, कपास, नारंगी, जैतून, खजूर, बादाम, अंगूर, अंजीर और अनार पाए जाते हैं तथा नदियों के किनारे लारेल, मेहँदी, गोंद, करवीर, सरो एवं सफेद चिनार के वृक्ष पाए जाते हैं।
2. दूसरे क्षेत्र में (1500' -3500') पर्वतीय ढालों पर बलूत, (Oak) अखरोट और चीड़ के वृक्ष पाए जाते हैं। चीड़ से रेजिन निकाल कर उसका उपयोग तारपीन का तेल बनाने तथा ग्रीस की प्रसिद्ध शराब रेट्जिना (Retsina) को स्वादिष्ट बनाने के लिये होता है।
3. तृतीय खंड में (3500' -5500') विशेषकर बीच (Beech) पाया जाता है। ऊँचाई पर फर और निचले भागों में चीड़ के वृक्ष मिलते हैं।
4. अल्पाइन क्षेत्र में 5,500' से अधिक ऊँचाई पर छोटे छोटे पौधे-लाइकन और काई-मिलते हैं। वसंत ऋतु में रंग बिरंगे जंगली फूल पहाड़ी भागों को सुशोभित करते हैं।
जगंली जानवरों में भालू, सुअर, लिडक्स, वेदगर, गीदड़, लोमड़ी, जंगली बिल्ली तथा नेवला आदि हैं। पिंडस श्रेणी में हरिण तथा पर्वतीय क्षेत्रों में भेड़िए मिलते हैं। यहाँ नाना प्रकार के पक्षी, जिनमें गिद्ध, बाज, गरुड़, बुलबुल तथा बत्तख मुख्य हैं, पाए जाते हैं।
कृषि
कुल क्षेत्र का केवल 1/4 भाग कृषियोग्य है। प्रति व्यक्ति कृषिक्षेत्र (0.74 एकड़) तथा प्रति एकड़ उत्पादन (13.5 बुशल) दोनों यूरोपीय देशों में सबसे कम हैं। उत्पादन की कमी के मुख्य कारण अपर्याप्त वर्षा, अनुपजाऊ भूमि, बहुत चरे हुए चरागाह तथा पुरानी कृषि प्रणालियाँ हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध के पहले प्रति दिन प्रति व्यक्ति 2500 कैलॉरी (Calorie) भोजन की मात्रा होती थी, जबकि अधिक उन्नत देशों में यह मात्रा 300 से 3200 तक हैं। यूनानियों के आहार में मांस तथा दुग्ध पदार्थों का उपभोग बहुत ही कम रहा है। अधिकांश कृषक पहले अपने ही परिवार के लिये भोजन पैदा करते थे। अभी तक पर्वतीय क्षेत्रों तथा छोटे द्वीप के कृषक आत्मनिर्भर हैं। अब अधिकांश भागों में विशेष कृषि होती है और एक ही फसल पैदा की जाती है।
कृषि योग्य भूमि के 74% भाग में खाद्यान्नों और राई, गेंहूँ, मक्का, जौ, जई का उत्पादन होता है। 1951 ई. में इनका उत्पादन 13,90,000 मीटरी टन (अनुमानित) रहा। थोड़ी मात्रा में दाल, सोयाबीन, ब्राडबीन (Broad beans) और चिक पी (Chick Peas) पैदा होती हैं और आवश्यकतानुसार इन्हें विदेशों से आयात करते हैं। आलू की पूर्ति देश से ही हो जाती है। ग्रीस की व्यावसायिक फसलें तंबाकू और कपास हैं, जिनका उत्पादन 1951 ई. में क्रमश: 62,000 तथा 81,00 मीटरी टन रहा। यहाँ का कपास उच्च कोटि का है तथा उद्योग के विकास के साथ इसका उत्पादन भी बढ़ता जा रहा है।
फलों का उत्पादन 26% कृषि क्षेत्र में होता है और इनसे 36% कृषिआय प्राप्त होती है। इनमें जैतून के बगीचे सर्वप्रमुख हैं। खाने योग्य जैतून एवं जैतून के तेल का उत्पादन 1951 ई. में क्रमश: 81,000 तथा 1,40,000 मीटर टन (अनुमानित) रहा। इनका निर्यात पर्याप्त मात्रा में होता है। अन्य फल मुख्यत: चकोतरा, नासपाती, सेब, खुबानी, बादाम, पिस्ता, अखरोट, अंगूर, तथा काष्ठफल आदि हैं।
पशु पालन ग्रीस की कृषिव्यवस्था की एक प्रमुख शाखा है। यहाँ प्रत्येक गाँव में पशुपालन होता है। सन् 1955 में यहाँ 89,70,000 भेंड़ें और 9,57,000 पशु थे।
उद्योग धंधे
कोयला, बिजली, तथा पूँजी की कमी के कारण यूनान के उद्योगों का विकास बहुत ही मंद रहा। निर्माण उद्योगों में, जो कृषि पदार्थों पर ही आधारित है, केवल 8% जनसंख्या लगी हुई है। इन उद्योगों में वस्त्र, रसायनक और भोज्य पदार्थ मुख्य हैं। अन्य निर्मित माल में जैतून के तेल, शराब, कालीन, आटा, सिगरेट, उर्वरक और भवननिर्माण सामग्री हैं। औद्योगिक विकास एथेन्स तथा सोलोनिका के आसपास है। ईधेसा सूती वस्त्र निर्माण का प्रमुख केंद्र है।
विदेशी व्यापार
यहाँ से निर्यात की जानेवाली प्रमुख कृषि वस्तुएँ तंबाकू, मुनक्का, रेजिन, जैतून, जैतून का तेल, अंगूर तथा शराब हैं। मुनक्का का निर्यात 1937 ई. के 15% से बढ़कर 1951 ई. में 32% हो गया। ग्रीस के प्रमुख ग्राहक पश्चिम जर्मनी, संयुक्त राज्य अमरीका, ब्रिटेन, आस्ट्रिया, इटली, फ्रांस तथा मिस्त्र हैं। आयात की वस्तुओं में तैयार माल, भोजन तथा कच्चे माल हैं, जिनकी पूर्ति मुख्यतया संयुक्त राज्य अमरीका, ब्रिटेन, पश्चिम जर्मनी, इटली, बेल्जियम और लक्सेमबर्ग द्वारा होती है।
यातायात
यातायात के साधन मुख्यत: जलयान, रेलें तथा सड़कें हैं। यहाँ 1956 में (100 टन तथा ऊपर के) 347 व्यापारिक जहाज थे जिनकी क्षमता 13,07,336 टन थी। 1955 ई. में रेलमार्गो की लंबाई 1678 मील तथा 1953 ई. में कुल सड़कों की लंबाई 14,221 मील थी। द्वितीय विश्वयुद्ध काल में ग्रीस की यातायात व्यवस्था को अप्रत्याशित हानि उठानी पड़ी लेकिन संयुक्त राज्य की सहायता द्वारा सन् 1950 तक इन्हें पूर्णतया ठीक कर लिया गया।
शिक्षा
यहाँ सात वर्ष से लेकर 14 वर्ष तक प्रारंभिक शिक्षा अनिवार्य है। सन् 1954 में प्रारंभिक पाठशालाएँ 9,368, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय 425, तथा दो विश्वविद्यालय-एथेन्स एवं सालोनिका में थे। इनके अतिरिक्त एथेन्स में कई प्राविधिक तथा विदेशी विद्यालय हैं।
इतिहास
प्राचीन यूनानी लोग ईसापूर्व १५०० इस्वी के आसपास इस द्वीप पर आए जहाँ पहले से आदिम लोग रहा करते थे। ये लोग हिन्द-यूरोपीय समूह के समझे जाते हैं। 1100 ईसापूर्व से 800 ईसापूर्व तक के समय को अन्धकार युग कहते हैं। इसके बाद ग्रीक राज्यों का उदय हुआ। एथेन्स, स्पार्टा, मेसीडोनिया (मकदूनिया) इन्ही राज्यों में प्रमुख थे। इनमें आपसी संघर्ष होता रहता था। इस समय ग्रीक भाषा में अभूतपूर्व रचनाए हुईं। विज्ञान का भी विकास हुआ। इसी समय फ़ारस में हख़ामनी (एकेमेनिड) उदय हो रहा था। रोम भी शक्तिशाली होता जा रहा था। सन् 500 ईसापूर्व से लेकर 448 ईसापूर्व तक फ़ारसी साम्राज्य ने यूनान पर चढ़ाई की। यवनों को इन युद्धों में या तो हार का मुँह देखना पड़ा या पीछे हटना पड़ा। पर ईसापूर्व चौथी सदी के आरंभ में तुर्की के तट पर स्थित ग्रीक नगरों ने फारसी शासन के ख़िलाफ़ विद्रोह करना आरंभ कर दिया।
सिकन्दर
सन् 335 ईसापूर्व के आसपास मकदूनिया में सिकन्दर (अलेक्ज़ेन्डर, अलेक्षेन्द्र) का उदय हुआ। उसने लगभग सम्पूर्ण यूनान पर अपना अधिपत्य जमाया। इसके बाद वो फ़ारसी साम्राज्य की ओर बढ़ा। आधुनिक तुर्की के तट पर वो 330 ईसापूर्व में पहुँचा जहाँ पर उसने फारस के शाह दारा तृतीय को हराया। दारा रणभूमि छोड़ कर भाग गया। इसके बाद सिकन्दर ने तीन बार फ़ारसी सेना को हराया। फिर वो मिस्र की ओर बढ़ा। लौटने के बाद वो मेसोपोटामिया (आधुनिक इराक़, उस समय फारसी नियंत्रण में) गया। अपने साम्राज्य के लगभग 40 गुणे बड़े साम्राज्य पर कब्जा करने के बाद सिकन्दर अफ़गानिस्तान होते हुए भारत तक चला आया। यंहा पर उसका सामना पोरस ( पुरु ) से हुआ. युद्ध में भले ही पोरस की हार हुई, जैसा कि कुछ इतिहासकार मानते हैं, लेकिन इस युद्ध से सिकंदर की सेना आगे बढ़ने का हौसला नही रख पाई. पोरस के बाद अभी भारतवर्ष को जीतने के लिए अनेको शासको से युद्ध करना पड़ता इसलिए सिकंदर की सेना ने आगे बढ़ने से मना कर दिया. यूनानी इतिहासकारों ने इस तथ्य को छिपा लिया और सेना के थकने की थ्योरी पैदा की. आगे न बढ़ पाने की स्थिति में वह वापस लौट गया. सन् 323 में बेबीलोनिया में उसकाी मृत्यु हो गई। उसकी इस विजय से फारस पर उसका नियंत्रण हो गया पर उसकी मृत्यु के बाद उसके साम्राज्य को उसके सेनापतियों ने आपस में बाँट लिया। आधुनिक अफ़गानिस्तान में केन्द्रित शासक सेल्युकस इसमें सबसे शक्तिशाली साबित हुआ। पहली सदी ईसा पूर्व तक उत्तरपश्चिमी भारत से लेकर ईरान तक एक अभूतपूर्व हिन्द-यवन सभ्यता का सृजन हुआ।
सिकन्दर के बाद सन् 117 ईसापूर्व में यूनान पर रोम का नियंत्रण हो गया। यूनान ने रोम की संस्कृति को बहुत प्रभावित किया। यूनानी भाषा रोम के दो आधिकारिक भाषाओं में से एक थी। यह पूर्वी रोमन साम्राज्य की भी भाषा बनी। सन् 1453 में कस्तुनतूनिया के पतन के बाद यह उस्मानी (ऑटोमन तुर्क) नियंत्रण में आ गया। इसके बाद सन् 1821 तक यह तुर्कों के अधीन रहा जिस समय यहाँ से कई लोग पश्चिमी यूरोप चले गए और उन्होंने अंग्रेजी तथा अन्य भाषाओं में अपने ग्रंथों का अनुवाद किया। इसके बाद ही इनका महत्व यूरोप में जाना गया।
सन् 1821 में तुर्कों के नियंत्रण से मुक्त होने के बाद यहाँ स्वतंत्रता रही है पर यूरोपीय शक्तियों का प्रभाव यहाँ भी देकने को मिला है। प्रथम विश्वयुद्ध में इसने तुर्कों के खिलाफ़ मित्र राष्ट्रों का साथ दिया। द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनों ने यहाँ कुछ समय के लिए अपना नियंत्रण बना लिया था। इसके बाद यहाँ गृह युद्ध भी हुए। सन् 1975 में यहाँ गणतंत्र स्थापित कर दिया गया। साइप्रस को लेकर ग्रीस और तुर्की में अबतक तनाव बना हुआ है।
यह भी देखिए
सन्दर्भ
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