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1983 की सुभाष घई की फ़िल्म विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
हीरो 1983 में बनी हिन्दी भाषा की रूमानी एक्शन फिल्म है। यह सुभाष घई द्वारा निर्देशित है।[1] इसमें जैकी श्रॉफ, जिन्हें "जैकी" के रूप में भी जाना जाता है, ने मुख्य भूमिका निभाई और इस फिल्म के माध्यम से प्रसिद्धि हासिल की। अभिनेत्री मीनाक्षी शेषाद्रि, जिन्हें 1981 में मिस इंडिया का ताज पहनाया गया था और इसमें मुख्य महिला पात्र निभाया, ने इस फिल्म के माध्यम से लोकप्रियता हासिल की।
हीरो | |
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हीरो का पोस्टर | |
निर्देशक | सुभाष घई |
पटकथा | राम केलकर |
कहानी | मुक्ता घई |
निर्माता | सुभाष घई |
अभिनेता |
जैकी श्रॉफ, मीनाक्षी शेषाद्रि, शम्मी कपूर, अमरीश पुरी, संजीव कुमार |
संगीतकार | लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल |
प्रदर्शन तिथियाँ |
16 दिसम्बर, 1983 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
यह सुभाष घई द्वारा निर्मित पहली फिल्म है। इसका संगीत बहुत लोकप्रिय रहा था। 2015 में निखिल आडवाणी द्वारा निर्देशित इसका एक रीमेक, इसी नाम से रिलीज़ हुआ था।
कहानी शुरू होती है पाशा (अमरीश पुरी) को जेल ले जाने के साथ। स्थिति से बाहर निकलने के लिए, वह अपने सबसे भरोसेमंद आदमी है, जैकी (जैकी श्रॉफ) को लिखता है। जैकी, श्रीकांत माथुर (शम्मी कपूर) के पास जाता है और उन्हें चेतावनी देता है। फिर वह श्रीकांत की बेटी राधा (मीनाक्षी शेषाद्रि) का अपहरण कर लेता है। वह उसे बताता है कि वह एक पुलिस अधिकारी है और वे प्यार में पड़ जाते हैं; हालांकि, बाद में उसे पता चल जाता है कि वह एक गुंडा है। फिर भी, वह उसे छोड़ के नहीं जाती है, बल्कि आत्मसमर्पण करने के लिए उससे आग्रह करती है। सच्चे प्यार से वो बदल जाता है और खुद पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर देता है। उसे दो साल की सजा होती है।
वापस घर पर, राधा अपने भाई, दामोदर (संजीव कुमार) को पूरा सच बताती है। किसी और से उसकी शादी न कर दी जाए, इसलिये वह अपने दोस्त जिम्मी (शक्ति कपूर) को राधा का प्रेमी होने का नाटक करने के लिये कहता है। जिम्मी स्थिति को गलत समझ लेता है और राधा से प्यार करने लगता है। जब जैकी वापस आता है, वह एक गैरेज में काम करना शुरू कर देता है और खुद में सुधार करने की कोशिश करता है। इस सब के बावजूद, श्रीकांत उसे उसके जीवन से बाहर फेंक देता है। कई दिन और घटनाओं के बाद, दामोदर को पता चल जाता है जिम्मी नशीली दवाओं का तस्कर है। जेल से रिहा होने के बाद पाशा श्रीकांत और जैकी, दोनों के खिलाफ बदला लेने की इच्छा रखता है। तो वो राधा, श्रीकांत और दामोदर का अपहरण कर लेता है। जैकी अंतिम क्षण में आता है और उन सभी को मुक्त करा लेता है। एक सुखद अंत के रूप में, श्रीकांत राधा को जैकी से शादी करने देता है।
सभी गीत आनंद बख्शी द्वारा लिखित; सारा संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
---|---|---|---|
1. | "डिंग डोंग ओ बेबी सिंग अ सोंग" | अनुराधा पौडवाल, मनहर उधास | 8:27 |
2. | "मोहब्बत ये मोहब्बत" | सुरेश वाडकर, लता मंगेशकर | 6:45 |
3. | "चार दिनों का प्यार ओ रब्बा" | रेशमा | 6:26 |
4. | "प्यार करने वाले कभी डरते नहीं" | लता मंगेशकर, मनहर उधास | 5:55 |
5. | "निंदिया से जागी बहार" | लता मंगेशकर | 6:21 |
6. | "तू मेरा जानू है तू मेरा दिलबर है" | अनुराधा पौडवाल, मनहर उधास | 8:11 |
7. | "थीम संगीत" (वाद्य संगीत) | N/A | 5:52 |
वर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
---|---|---|---|
1984 | लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार | नामित |
अनुराधा पौडवाल ("तू मेरा जानू है") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका पुरस्कार | नामित |
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