Loading AI tools
विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
हिन्दू विवाह अधिनियम भारत की संसद द्वारा सन् 1955 में पारित एक विधि है। इसी कालावधि में तीन अन्य महत्वपूर्ण विधियाँ पारित हुईं : हिन्दू उत्तराधिका अधिनियम (1956) , हिन्दू अप्राप्तवयता एवं संरक्षकता अधिनियम (1956) और हिन्दू दत्तक तथा भरण-पोषण अधिनियम (1956)। ये सभी नियम हिन्दुओं के वैधिक परम्पराओं को आधुनिक बनाने के ध्येय से लागू किए गये थे।[1]
हिन्दू विवाह अधिनियम | |
---|---|
हिन्दू विवाह से सम्बन्धित विधि को संशोधित और संहिताबद्ध करने के लिए अधिनियम | |
शीर्षक | 1955 का अधिनियम संख्या 25 |
द्वारा अधिनियमित | भारतीय संसद |
अधिनियमित करने की तिथि | 18 मई 1955 |
शुरूआत-तिथि | 18 मई 1955 |
स्थिति : प्रचलित |
स्मृतिकाल से ही हिन्दुओं में विवाह को एक पवित्र संस्कार माना गया है और हिंदू विवाह अधिनियम १९५५ में भी इसको इसी रूप में बनाए रखने की चेष्टा की गई है। किन्तु विवाह, जो पहले एक पवित्र एवं अटूट बन्धन था, अधिनियम के अन्तर्गत, ऐसा नहीं रह गया है। कुछ विधिविचारकों की दृष्टि में यह विचारधारा अब शिथिल पड़ गई है। अब यह जन्म जन्मान्तर का सम्बन्ध अथवा बन्धन नहीं वरन् विशेष परिस्थितियों के उत्पन्न होने पर, (अधिनियम के अन्तर्गत) वैवाहिक सम्बन्ध विघटित किया जा सकता है।[2]
अधिनियम की धारा 10 के अनुसार न्यायिक पृथक्करण निम्न आधारों पर न्यायालय से प्राप्त हो सकता है :[3]
त्याग 2 वर्ष, निर्दयता (शारीरिक एवं मानसिक), कुष्ट रोग (1 वर्ष), रतिजरोग (3 वर्ष), विकृतिमन (2 वर्ष) तथा परपुरुष अथवा पर-स्त्री-गमन (एक बार में भी) अधिनियम की धारा 13 के अनुसार - संसर्ग, धर्मपरिवर्तन, पागलपन (3 वर्ष), कुष्ट रोग (3 वर्ष), रतिज रोग (3 वर्ष), संन्यास, मृत्यु निष्कर्ष (7 वर्ष), पर न्यायिक पृथक्करण की डिक्री पास होने के दो वर्ष बाद तथा दाम्पत्याधिकार प्रदान करनेवाली डिक्री पास होने के दो साल बाद 'सम्बन्धविच्छेद' प्राप्त हो सकता है।[4]
स्त्रियों को निम्न आधारों पर भी संबंधविच्छेद प्राप्त हो सकता है; यथा-द्विविवाह, बलात्कार, पुंमैथुन तथा पशुमैथुन। धारा 11 एवं 12 के अंतर्गत न्यायालय 'विवाहशून्यता' की घोषणा कर सकता है। विवाह प्रवृत्तिहीन घोषित किया जा सकता है, यदि दूसरा विवाह सपिण्ड और निषिद्ध गोत्र में किया गया हो (धारा 11)।
नपुंसकता, पागलपन, मानसिक दुर्बलता, छल एवं कपट से अनुमति प्राप्त करने पर या पत्नी के अन्य पुरुष से (जो उसका पति नहीं है) गर्भवती होने पर विवाह विवर्ज्य घोषित हो सकता है। (धारा 12)।
अधिनियम द्वारा अब हिन्दू विवाह प्रणाली में निम्नाङ्कित परिवर्तन किए गए हैं :
विधिवेत्ताओं का यह विचार है कि हिन्दू विवाह के सिद्धान्त एवं प्रथा में परिवर्तन करने की जो आवश्यकता उपस्थित हुई थी उसका कारण सम्भवत: यह है कि हिन्दू समाज अब पाश्चात्य सभ्यता एवं संस्कृति से अधिक प्रभावित हुआ है।[5]
हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 2 के अनुसार,
Seamless Wikipedia browsing. On steroids.
Every time you click a link to Wikipedia, Wiktionary or Wikiquote in your browser's search results, it will show the modern Wikiwand interface.
Wikiwand extension is a five stars, simple, with minimum permission required to keep your browsing private, safe and transparent.