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1971 की एम॰ ए॰ तिरुमुगम की फ़िल्म विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
हाथी मेरे साथी 1971 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसका निर्देशन एम॰ ए॰ तिरुमुगम ने किया, पटकथा सलीम-जावेद ने लिखी और संवाद इंदर राज आनंद ने लिखें। यह फिल्म 1971 की सबसे ज्यादा व्यावसायिक सफलता अर्जित करने वाली फिल्म थी। इसमें राजेश खन्ना और तनुजा मुख्य भूमिकाओं में हैं।
हाथी मेरे साथी | |
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हाथी मेरे साथी का पोस्टर | |
निर्देशक | एम॰ ए॰ तिरुमुगम |
पटकथा | सलीम-जावेद |
निर्माता | एम॰ एम॰ ए॰ चिन्नप्पा देवर |
अभिनेता |
राजेश खन्ना, तनुजा, के एन सिंह, मदन पुरी, जूनियर महमूद |
संगीतकार | लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल |
प्रदर्शन तिथि |
1971 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
यह उस समय की किसी दक्षिण भारतीय निर्माता द्वारा बनाई गई सबसे सफल हिन्दी फिल्म थी। इसमें लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा संगीत और आनंद बख्शी के बोल थे। फिल्म सलीम-जावेद (सलीम खान और जावेद अख्तर) की पहली सहभागिता भी थी, जिन्हें आधिकारिक तौर पर पटकथा लेखकों के रूप में श्रेय दिया गया।[1]
राजू (राजेश खन्ना) चार हाथियों के साथ रहता है। वह उनके लिये सड़क के किनारों पर प्रदर्शन करता है। इसी से उनकी रोजी-रोटी चलती है। जब वह छोटा था तो उन हाथियों ने एक तेंदुए से उसकी जान बचाई थी। समय के साथ वह तरक्की करता है और एक चिड़ियाघर, प्यार की दुनिया शुरू करता है। इसमें विभिन्न जंगली जानवर उसके हाथियों के साथ रहते हैं, जिनमें से रामू उसके सबसे करीब है। धीरे-धीरे वह संपत्ति अर्जित कर लेता है और अपना निजी चिड़ियाघर शुरू करता है। इसमें वह बाघ, शेर, भालू और अपने चार हाथियों को रखता है। वह सभी जानवरों को अपना दोस्त मानता है।
बाद में उसकी मुलाकात तनु (तनुजा) से होती है और दोनों प्यार में पड़ जाते हैं। तनु के अमीर पिता, रतनलाल (मदन पुरी), इस गठबंधन का विरोध करते हैं लेकिन बाद में युवा जोड़े को शादी करने की अनुमति दे देते हैं। हालाँकि, तनु जल्द ही अपने को उपेक्षित महसूस करने लगती है। जब उनका बच्चा पैदा होता है, तो हालात बिगड़ जाते हैं। तनु, हाथी से उसके बच्चे को शारीरिक नुकसान पहुंचाने के डर से, राजू को हाथी और अपने परिवार के बीच चयन करने के लिए कहती है। राजू पत्नी और बेटे के ऊपर अपने जानवर दोस्तों का चयन करता है। अब रामू दोनों को एक साथ लाने का फैसला करता है, लेकिन खलनायक सरवन कुमार (के एन सिंह) के कारण उसे अपना जीवन बलिदान करना पड़ता है।
सभी गीत आनंद बख्शी द्वारा लिखित; सारा संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "चल चल चल मेरे साथी" | किशोर कुमार | 5:58 |
2. | "दिलबर जानी चली हवा मस्तानी" | किशोर कुमार, लता मंगेशकर | 4:40 |
3. | "मेहरबानों कदरदानों" | किशोर कुमार | 5:00 |
4. | "सुन जा आ ठंडी हवा" | किशोर कुमार, लता मंगेशकर | 5:48 |
5. | "नफरत की दुनिया को छोड़ के" | मोहम्मद रफ़ी | 4:22 |
6. | "धक धक कैसे चलती है गाड़ी" | किशोर कुमार, लता मंगेशकर | 4:10 |
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