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हरे कृष्ण (मंत्र)
वैष्णव महामंत्र विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
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यह षोडश नाम महामन्त्र हरे कृष्ण मंत्र, कलिसंतरण उपनिषद से लिया गया है। जिसके रचयिता रघुनंदन भट्टाचार्य। जो ११ वैदिक उपनिषद में से नहीं है।जिसे वैष्णव लोग 'महामन्त्र' कहते हैं। १५वीं शताब्दी में चैतन्य महाप्रभु के भक्ति आन्दोलन के समय यह मंत्र प्रसिद्ध हुआ।। यह अति पवित्र मंत्र है ।। क्योंकि इसमें भगवान के बहुत से नाम एक साथ आ जाते हैं हालांकि भगवान के मुख्य नाम राम, कृष्ण, शिव, नारायण , हरी भी सार्थक है कलियुग के लिए।। 15वी.में जब मुगल शासक के द्वारा धर्मांतरण हो रहा था तो गोस्वामी तुलसीदास के मार्गदर्शन में सुरु किया गया ।
![]() | इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के लिए उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (जुलाई 2020) स्रोत खोजें: "हरे कृष्ण" मंत्र – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
यह मंत्र निम्नलिखित है-
- हरे कृष्ण हरे कृष्ण
- कृष्ण कृष्ण हरे हरे
- हरे राम हरे राम
- राम राम हरे हरे॥
गौड़ीय वैष्णव परम्परा एवं 'अन्तर्राष्ट्रीय श्रीकृष्ण भावनामृत संघ' के संस्थापकाचार्य श्रील प्रभुपाद जी महाराज ने इस 'हरे कृष्ण महामंत्र' को पूरे विश्व में प्रसिद्ध कर दिया।
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