हज़ारीबाग (Hazaribagh) भारत के झारखंड राज्य के हज़ारीबाग ज़िले में स्थित एक शहर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।[1][2] जिसे 1855 में ब्रिटिश शासनकाल के दौरान स्थापित किया गया था। यह झारखंड के उत्तरी भाग में स्थित है और अपने उद्योगिकी और खनिज संसाधनों के लिए प्रसिद्ध है। हजारीबाग जिले का मुख्यालय भी हजारीबाग नगर है।
हज़ारीबाग Hazaribagh | |
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हज़ारीबाग रेलस्टेशन | |
निर्देशांक: 23.98°N 85.35°E | |
ज़िला | हज़ारीबाग ज़िला |
प्रान्त | झारखण्ड |
देश | भारत |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 1,42,489 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
2011 की जनगणना के अनुसार, हजारीबाग जिले की जनसंख्या लगभग 15 लाख है। यहाँ की जनसंख्या विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक समृद्धियों का परिचय देती है।
हजारीबाग जिला कई महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों से समृद्ध है, जिनमें कोयला, लोहा, तांबा, और अभ्रक शामिल हैं। इन खनिज संसाधनों के कारण हजारीबाग जिला झारखंड राज्य की औद्योगिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण जिलों में से एक है।
इतिहास
उत्तरी छोटानागपुर का हजारीबाग जिला पर्यावरण की दृष्टि से काफी धनी है. यह दो गांवों को मिलाकर बना था. इसका नाम हजारीबाग क्यों पड़ा? इसको लेकर कई मत हैं. इस लेख में हम आपको इसकी स्थापना से लेकर अखंड हजारीबाग की अवधारणा और इतिहास के विषय में बताएंगे।[3]
हजारीबाग का गठन मूलत दो गांवों को मिला कर हुआ. जिसकी चर्चा तत्कालीन प्रथम सर्वेक्षक मेजर जेम्स रेनेल ने 1779 ई. में रामगढ़ जिला के प्रथम मानचित्र में की है। उन्होंने ओकन्ड हजारी नाम दिया, जो वर्तमान हजारीबाग नगर के अंतर्गत ओकनी और हजारी दो गांवों का द्योतक था। ऐसी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि हजारी गांव के निकट आम्र वृक्षों की बहुतायत के कारण इसका नाम हजारीबाग रखा गया हो। पर कतिपय लोग हजारों बाग से भरे क्षेत्र के कारण हजारीबाग नाम रखा हुआ मानते हैं।
हजारीबाग जिले की स्थापना 1833 ई. में हुई. वर्तमान में गिरिडीह, चतरा, कोडरमा, रामगढ़ जो जिले हैं, इनका पूरा क्षेत्रफल हजारीबाग जिला में ही शामिल था। एक अक्तूबर 1886 ई. में सरकारी अधिसूचना द्वारा नगर पालिका की स्थापना हुई. हजारीबाग की जनसंख्या लगभग 10 हजार थी। नगर पालिका का प्रथम चेयरमैन मेजर इजी लिलिंग्टन थे। फरवरी 1919 ई. तक नगर पालिका के चेयरमैन पद पर अंग्रेज सैनिक अफसर ही बैठते थे। पहला भारतीय चेयरमैन कालीपद सरकार 27 फरवरी 1919 ई. में बने। 1900 ई. में ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए जिला परिषद की स्थापना हुई। जो ग्रामीण क्षेत्र की सड़क, अस्पताल, शिक्षा, कांजी हाउस, पेयजल व्यवस्था का कार्य देखते थे। 1936 ई. में खनिज क्षेत्रों में सड़क, स्वास्थ्य की व्यवस्था के लिए खान परिषद की स्थापना की गई।
जनसंख्या
2011 में, हज़ारीबाग़ की जनसंख्या 1,734,495 थी, जिसमें पुरुष और महिलाएँ क्रमशः 890,881 और 843,614 थीं। 2024 में हज़ारीबाग़ जिले की अनुमानित जनसंख्या 2,110,000 है |[4]
विवरण
खूबसूरत पर्यटक स्थलों से भरा हजारीबाग झारखंड में स्थित है। हजारीबाग का अर्थ होता है हजार बागों वाला और यह दो शब्दों हजार और बाग से मिलकर बना है। यहां पर 2019 फीट की ऊंचाई पर हैल्थ हिल रिसोर्ट का निर्माण किया गया है। यह रिसोर्ट प्रकृति की गोद में बसा हुआ है और बहुत खूबसूरत है। इस हैल्थ रिसोर्ट में प्रकृति की गोद में रहकर स्वास्थ्य लाभ लिया जा सकता है। स्वास्थ्य लाभ करने के साथ-साथ यहां कई खूबसूरत पर्यटक स्थलों की सैर की जा सकती है। इन पर्यटक स्थलों में हजारीबाग झील प्रमुख है जहां पर वाटर स्पोटर्स का आनंद लिया जा सकता है। हजारीबाग वन्य जीव अभयारण्य, कैनेरी पहाड़ी और रजरप्पा इसके अन्य प्रमुख पर्यटक स्थल हैं।
पर्यटन
हजारीबाग वन्यजीव अभयारण्य
यह अभयारण्य पोखरिया राजदेरवा रोड, पोखरिया, झारखंड 825411 मैं स्थित है। हज़ारीबाग़ अभयारण्य संरक्षित क्षेत्र है। हज़ारीबाग़ में पर्यटक वन्यजीव अभयारण्य की सैर कर सकते हैं। 1955 में स्थापित यह अभयारण्य 186 वर्ग कि.मी. में फैला हुआ है। यह बहुत विशाल और ख़ूबसूरत है। अपनी ख़ूबसूरती के लिए इसे पूरे विश्व में जाना जाता है। यहाँ पर पर्यटक विभिन्न प्रजातियों के पेड़-पौधों और जीव-जन्तुओं को देख सकते हैं। इस अभयारण्य में साल (शोरिया रोबस्टा) के घने जंगल से ढकी पहाड़ियां हैं, जिनमें बाघ, तेंदुआ, रीछ, काला भालू, हिरन, जंगली सूअर, लकड़बग्घा, मोर, लाल जंगली मुर्ग़ी और हरे कबूतर रहते हैं। इस अभयारण्य को पक्की सड़कें से जुड़ी दर्शक - मीनारों से देखा जा सकता है। यहाँ कई लवण लेविकाओं का निर्माण भी किया गया है। यहाँ घूमने के लिए अप्रैल-जुलाई का समय आदर्श है क्योंकि इस समय इसकी हरियाली कई गुना बढ़ जाती है।
चमेली झरना
चमेली झरना झारखंड राज्य के हजारीबाग जिले के पदमा प्रखंड में स्थित एक खूबसूरत झरना है। यह झरना चंपा नदी पर स्थित है और यह हजारीबाग शहर से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित है। झरने की ऊंचाई लगभग 100 फीट है और इसकी चौड़ाई लगभग 20 फीट है।
चमेली झरना एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यहां लोग झरने के नीचे नहाने, पिकनिक मनाने और झरने के मनोरम दृश्यों का आनंद लेने आते हैं। झरने के आसपास का क्षेत्र घने जंगलों से घिरा हुआ है। यहां कई प्रकार के वन्यजीव पाए जाते हैं, जिनमें हिरण, तेंदुआ, जंगली सुअर, और बाघ शामिल हैं।[6]
लुटवा डैम
वन्यजीव अभयारण्य के बीच अवस्थित यह डैम ऐसा लगता है मानों यह प्रकृति के गोद में स्थित कोई सफेद सतह। यहाँ पहुंचने के लिए अभयारण्य के मुख्य गेट से जो NH-33 पर पड़ता है से 500 M की दुरी बरही की तरफ आना पड़ता है। वहाँ से एक कच्चा मार्ग पूर्व की ओर जंगल से होकर गुजरता है,उसी से पहुँचा जा सकता है। यह डैम जंगली जानवरों के लिए पीने के पानी का अहम स्रोत है। चारों तरफ सखुआ का ही पेड़ नजर आता है। वनभोज के लिए भी आदर्श स्थल है। उस स्थान का प्राकृतिक सौन्दर्य मन को भाता है। आप जल स्तर से करीब 40 फीट ऊंचे होते हैं और सामने विशाल जलराशि। वैसे कोशिश करें की वहाँ से शाम से पहले ही निकल आए।
लोटवा बांध एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यहां लोग नौका विहार, तैराकी, और पिकनिक मनाने आते हैं। बांध के आसपास का क्षेत्र घने जंगलों से घिरा हुआ है।
लोटवा बांध का निर्माण 1974-75 में सिंचाई विभाग द्वारा किया गया था। बांध का मुख्य उद्देश्य चंपा नदी के पानी को नियंत्रित करना और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराना है। बांध के निर्माण से हजारीबाग जिले के कई गांवों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो गया है।
लोटवा बांध एक प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर स्थान है। यहां आने वाले पर्यटक बांध के मनोरम दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। बांध के आसपास के जंगलों में सैर कर सकते हैं और वन्यजीवों को देख सकते हैं।
हजारीबाग झील
अभयारण्य की सैर करने के बाद हजारीबाग झील की सैर की जा सकती है। झील के आस-पास का क्षेत्र भी काफी खूबसूरत है। पर्यटकों को यह झील बहुत पसंद आती हैं क्योंकि वह यहां पर शहर की भागती-दौड़ती जिंदगी से दूर बेहतरीन पिकनिक मना सकते हैं। यहां पर वाटर स्पोर्टस भी उपलब्ध हैं जो युवा पर्यटकों को बहुत आकर्षित करते हैं। यहा केफिटेरिया नामक जलपान केन्द्र के कारण लोग इस जगह को केफिटेरिया नाम से भी पुकारने लगे है। इसके आसपास ही हजारीबाग सेन्ट्र्ल जेल दिखता है, जहा से 1942 की अजादी के आन्दोलन मे कई स्वतंत्रता सेनानी को बंधक रखा गया था, जिसमे प्रमुख थे जयप्रकाश नारायण आदि। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि यह झील हजारीबाग के पर्यटन उद्योग की जान है। हजारीबाग जिले के बरकट्ठा प्रखंड से 2 किलोमीटर की दुरी पर सूर्यकुंड गर्म जल स्थल है जो पर्यटकों को काफी लुभाता है तथा यहाँ निकलने वाले गर्म पानी से लोग ठण्ड स्नान करते है। बेलकप्पी गांव के सूर्यकुंड के किनारे छोटे छोटे पहाड़ है। 14 जनवरी से यहाँ मेला लगता है जो 15 दिनों तक रहती है लाखों लोग प्रत्येक वर्ष मेला देखने आते है । यहाँ पानी 88℃ तक गर्म रहती है। और यह NH 2 के किनारे बसा हुआ है।
कैनेरी पहाड़ी
हजारीबाग में अनेक पहाड़ियां हैं जिनमें कैनेरी पहाड़ी प्रमुख है। इस पहाड़ी पर तीन झीलें भी हैं जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाती है। पहाड़ी पर एक इमारत का निर्माण किया गया है। इस इमारत से हजारीबाग के खूबसूरत दृश्य देखे जा सकते हैं जो पर्यटकों को मंत्र-मुग्ध कर देते हैं। यह दृश्य इतने खूबसूरत होते हैं कि पर्यटक इन तस्वीरों को अपने कैमरों में कैद करना नहीं भूलते।
रजरप्पा
रजरप्पा मां छिन्न मस्तिका मन्दिर के लिए प्रसिद्ध है। मन्दिर के अलावा यह भेरा और दामोदर नदी के संगम स्थल के रूप में भी जाना जाता है। इन दोनों नदियों का संगम मनोहारी है क्योंकि भेरा नदी लगभग 20 फीट की ऊंचाई से झरने के रूप में दामोदर नदी में मिलती है। इस झरने की धारा ने पहाड़ी को इस तरह से काट दिया है कि यह एक सुन्दर तस्वीर जैसा लगता है। यहां पर बोटिंग करने की भी सुविधा है जो पर्यटकों को अपनी तरफ बहुत आकर्षित करती है।
छडवा डैम
हजारीबाग शहर से मात्र सात किलोमीटर दूर यह डैम मे भागती-दौड़ती जिंदगी से दूर बेहतरीन पिकनिक मना सकते है
करियातपुर
हजारीबाग से 20 किलोमीटर दूर एक सुंदर गांव करियातपुर है। यहां के लगभग सभी लोगों को रोजगार प्राप्त है। करियातपुर कसेरा जात ज्यादा पाया जाता है जो हैहयवंशीय क्षत्रिय है । झारखण्ड सरकार द्वारा बर्तन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए यहां लगभग 5 करोड़ का क्लस्टर लगाया गया है । करियातपुर में बाहर से आकर लोग बसते हैं और यहां रोजगार करते हैं। बिहार बंगाल, उत्तरप्रदेश का कारीगर यहां रोजगार प्राप्त करते है, हालांकि बिहार के राजधानी पटना के परेव गांव से रोटी बेटी का नाता है ।[7]यहां पर अनेक तरह के पीतल कांसा का बरतन बनता है। सारा पीतल कांसा का बरतन यही बनता है। यहां पर व्यापारियों की संख्या बहुत अधिक है। करियातपुर से 6 किलोमीटर दूर पुणे मंदिर बहुत ही सुंदर बना हुआ है।
इचाक (मंदिरों का शहर)
हज़ारीबाग़ ज़िला मुख्यालय से 13 किलोमीटर उ.पु.मे इचाक स्थित है। ईचाक एक समय सिंह राजाओ की राजधानी हुआ करती थी, जो रामगढ राजघराने से ताल्लुक रखते थे। यह कहा जाता है कि इन्ही राजाओं के शासन काल (18 वीं सदी) में यहाँ लगभग 170 मंदिरों का निर्माण करवाया था। इन मंदिरों में एक और खासियत है कि लगभग सभी मंदिरों के समीप तालाब का निर्माण करवाया था। यहाँ के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक बुढ़िया माता का मंदिर है। यहाँ बिहार,बंगाल,उड़ीसा एवं अन्य क्षेत्रो से श्रद्धालु आते है। माना जाता है कि यहाँ पर मांगी गयी हर मन्नत पूरी होती है। अन्य मंदिरों में सूर्य मंदिर भी एक प्रसिद्ध मंदिर है। यहाँ सूर्य मंदिर के पीछे एक गुफा है, जो तत्कालीन बंद कर दिया गया है, ऐसी मान्यता है कि यह सुरंग लगभग 15 km. लंबी है। जिसका दूसरा सिरा सिंह राजा के पदमा स्थित महल में जाकर खुलता है, जहाँ से महारानी इसी सुरंग के रास्ते सूर्य मंदिर में पूजा करने आती थी। यहाँ दो ठाकुरबाड़ी (बड़ा अखाड़ा एवं छोटा अखाड़ा) भी स्थित है जहाँ भगवान लक्ष्मी नारायण का मंदिर है। यहाँ रोज़ सुबह शाम होने वाली आरती की घंटध्वनि मनमोहक होती है।मुख्य बाज़ार में बंशीधर मन्दिर स्थित है,हरेक वर्ष यहाँ जन्माष्टमी धूम धाम से मनाई जाती है। ईचाक प्रखंड हज़ारीबाग़ ज़िले का सबसे बड़ा प्रखंड है, जिसके अंतर्गत लगभग 84 गाँव आते है। यहाँ की मिठाई बालूशाही पुरे झारखण्ड में प्रसिद्ध है।
यातायात
2015 में उद्घाटन किया गया यह रेलवे स्टेशन शिल्प कला और नक्काशी का अद्भुत उदाहरण है। यह रेलवे स्टेशन के साथ-साथ एक पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया गया है। यहांं पार्क व उद्यान बनाए गए हैं। बच्चों के लिए अलग से झूले वाले उद्यान की व्यवस्था है।
वायु मार्ग
यह रेलवे मार्ग के अतिरिक्त काफी अच्छा विकल्प है। लेकिन वायुमार्ग द्वारा यहां पहुंचने के लिए पहले रांची हवाई अड्डे तक पहुंचना पड़ता है। राँची से हजारीबाग की दुरी मात्र 99 किलोमीटर है,जिसे डेढ घंटे में बस या निजि वाहन से तय किया जा सकता है।।।
रेल मार्ग
हजारीबाग रेलवे स्टेशन -
2015 में उद्घाटन किया गया यह रेलवे स्टेशन शिल्प कला और नक्काशी का अद्भुत उदाहरण है। यह रेलवे स्टेशन के साथ-साथ एक पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया गया है। यहांं पार्क व उद्यान बनाए गए हैं। बच्चों के लिए अलग से झूले वाले उद्यान की व्यवस्था है।
रांची-वाराणसी एक्सप्रेस, मूरी एक्सप्रेस और शक्तिपुंज एक्सप्रेस से पर्यटक आसानी से हजारीबाग तक पहुंच सकते हैं। यह सभी रेलगाड़ियां हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन से होकर गुजरती हैं। वर्तमान में हजारीबाग स्वंय एक रेलवे स्टेशन बन गया है,जो कोडरमा रेल लाइन से जुड़ा है। कोडरमा स्वंय हावड़ा- दिल्ली रेल लाइन पर अवस्थित एक स्टेशन है। अत: दिल्ली ,कोलकाता से यहाँ अना कठिन नही है। बहुत जल्द हजारीबाग रेलवे लाइन का संपर्क बरकाकाना रेलवे जक्शन से हो जाएगा। जिससे राँची तथा,,भुवनेश्वर तथा दक्षिण के अन्य शहरों से भी यह जुड़ जाएगे।
सड़क मार्ग
सड़क मार्ग द्वारा भी हजारीबाग तक पहुंचना काफी आसान है। बसों व टैक्सियों द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग 20 से आसानी से यहां तक पहुंचा जा सकता है। यह जीटी रोड से जुड़ा है। चतरा से NH- 100, जमशेदपुर,राँची से NH- 33 से यहाँ पहुँचा जा सकता है। राजकीय राजधानी राँची से डेढ घंटे में हजारीबाग पहुँचा जा सकता है। चार लेन की सड़क होने से यात्रा का आनंद और समय बढ गया है। सड़क मार्ग जंगलो,घाटियों से गुजरने के कारण यात्रा के आनंद को बढा देते है। आदिवासी संस्कृति की झलक भी कई जगह सड़क मार्ग से देखने को मिलता है।
शिक्षा
उत्तरी छोटा नागपुर क्षेत्र के लिए स्थापित विनोबा भावे विश्वविद्यालय यही अवस्थित है। ठंडी जलवायु और हजारीबाग के शांत वातावरण शहर में संस्थानों की स्थापना के लिए शिक्षाविदों को आकर्षित किया है और अब यह झारखंड के एजुकेशन हब बन गया है। डबलिन मिशन शैक्षिक संस्थानों और एक महिला अस्पताल के साथ एक बड़ी उपस्थिति है। मिशन की गतिविधियों को ट्रिनिटी कॉलेज, डबलिन, आयरलैंड के तत्वावधान में 1899 में हजारीबाग में शुरू किए गए। सेंट कोलम्बा कॉलेज बिहार के सबसे पुराने में से एक था। कई वर्षों के लिए कॉलेज से संबद्ध A.F. टोरंटो अपने जीवनकाल में एक कथा थी। बाद में उन्होंने रांची विश्वविद्यालय के कुलपति बने। कॉलेज से जुड़े अन्य प्रमुख व्यक्तियों डॉ एस.सी. Banwar, डॉ जे.एस. थे शॉ और प्रधानाचार्य सहित विभिन्न पदों पर कार्य करने वाले प्रो गौतम कुमार पांडेय। हजारीबाग अब सेंट विनोबा भावे के नाम पर रखा शहर की सीमा के भीतर विनोबा भावे विश्वविद्यालय है। यह झारखंड के 2 सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है। सेंट कोलम्बा कॉलेज, धनबाद और कई इंजीनियरिंग और स्थानीय कॉलेजों के मेडिकल कॉलेज अब इस विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं। प्रौद्योगिकी के Jajnery संस्थान, हजारीबाग पॉलिटेक्निक, प्रबंधन और आईटी के लिए प्रमुख कॉलेज में से एक है।
माउंट कार्मेल - आजादी के बाद, रोमन कैथोलिक एक लड़कियों के स्कूल की स्थापना की। 1952 D.A.V पब्लिक स्कूल हजारीबाग में सेंट जेवियर्स स्कूल की स्थापना इस रेवरेंड फादर जॉन मूर, एक ऑस्ट्रेलियाई जेसुइट मिशनरी, के समांतर 1992 में शुरू किया और D.A.V कॉलेज प्रबंध समिति (नई दिल्ली) द्वारा चलाए जा रहे हैं, शहर के एक अन्य प्रमुख शिक्षा केंद्र है। स्कूल में पिछले 20 वर्षों में बहुत प्रगति की है और प्रसिद्ध कन्हेरी हिल की तलहटी पर स्थित कला भवन का एक आधुनिक राज्य की है। अशोक श्रीवास्तव (प्रिंसिपल) इस स्तर पर इस स्कूल ले जाने में अग्रदूतों में से एक रहा है। माउंट Egmont स्कूल क्षेत्र में बेहतरीन बोर्डिंग स्कूल में से एक है। नेशनल पब्लिक स्कूल, हजारीबाग यह L.K.C मेमोरियल एजुकेशन सोसायटी द्वारा किया जाता है, एक तेजी से बढ़ती स्कूल है 1977 के बाद से शुरू किया और अब सीबीएसई से संबद्ध। माउंट Litera ज़ी स्कूल और Kidzee, हजारीबाग भी क्षेत्र के एक तेजी से बढ़ स्कूल है। यह फायरिंग रेंज के विपरीत, मेरु Hazaribgh और अपने शहर कार्यालय मिशन अस्पताल द्वारा के पास स्थित है, Katgarah गांव में स्थित है। यह जी समूह के एक नेटवर्क सीखना है।
हजारीबाग झारखंड के पूरे के लिए पुलिस प्रशिक्षण केंद्र है। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने भी एक बड़ी उपस्थिति है। ईस्ट इंडिया का सबसे बड़ा प्रशिक्षण केंद्र पहाड़ी इलाके के साथ जंगल में यहाँ है। केंद्रीय सुरक्षित पुलिस बल भी झील के पास शहर में मौजूद है।
कुछ प्रमुख शिक्षा संस्थान इस प्रकार हैं:
- डाटाप्रो कम्प्यूटर इंस्टिट्यूट
- यूनिवर्सिटी लॉ कॉलेज
- इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कॉलेज
- वित्त एवं राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान
- मदर टेरेसा कॉलेज (एमटीसी)
- के बी महिला कॉलेज
- कॉमर्स के टोरंटो में कॉलेज
- अन्नाडा कॉलेज, हजारीबाग
- सेंट कोलम्बा कॉलेज
- हिंदू हाई स्कूल
- सेंट जेवियर्स स्कूल
- डीएवी पब्लिक स्कूल
- सेंट कोलम्बा कॉलेजिएट स्कूल (मिशन स्कूल) [6]
- माउंट ऍग्मॉन्ट स्कूल
- सरस्वती शिशु / विद्या मंदिर
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
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