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भारतीय कार्यकर्ता विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
स्वामी केशवानन्द (1883-1972) भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं समाज सुधारक थे। जिन्होंने भारत वर्ष में हो रही बहुत सी कुरीतियों को खत्म करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
1883 में ठाकरसी चौधरी के घर बीरमा का जन्म हुआ जिन्हें आज स्वामी केशवानंद के नाम से जाना जाता है। बचपन में ही वो अनाथ हो गये। फिर अनाथालय में चले गये। शिक्षा-दीक्षा हेतु फाजिल्का में उदासीन पंथ के सन्त कुशलदास जी के पास रहे। उसके बाद काशी जाकर अपना नाम बीरमा से केशवानंद कर लिया। कुशलदास जी के बाद उन्हें फाजिल्का के उदासीन डेरे का महन्त बनाया गया। कुछ समय बाद उन्होंने गद्दी का तैयाग करके अबोहर चले गये तथा वहां एक हिन्दी पुस्तकालय स्थापित किया जिसका नाम "साहित्य सदन" रखा। उसके बाद वो स्वाधीनता आंदोलन और हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में लग गए। 1932 से उन्होंने संगरिया आकर जाट स्कूल का संचालन संभाला। 1948 में स्वामी जी ने विद्यालय का नाम जाट स्कूल से ग्रामोत्थान विद्यापीठ रखा तथा संस्था विस्तार का कार्य शुरू किया। उन्होंने बालिका विद्यालय, संग्रहालय, विभिन्न छात्रावासों, कृषि महाविद्यालय, शिक्षा महाविद्यालय तथा विभिन्न छात्रावासों की स्थापना की। उन्होंने मरुभूमि शिक्षा विस्तार योजना के अन्तर्गत 287 पाठशालाओं की स्थापना की। वे अपनी समय तक शिक्षा के लिए समर्पित रहे। 13 सितंबर 1972 को उनका स्वर्गवास हो गया।
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