स्वदेश दीपक (१९४२ -) एक भारतीय नाटककार, उपन्यासकार और लघु कहानी लेखक है। दीपक का जन्म रावलपिण्डी में ६ अगस्त, १९४२ को हुआ। [1]उन्होंने १५ से भी अधिक प्रकाशित पुस्तके लिखी हैं। स्वदेश दीपक हिंदी साहित्यिक परिदृश्य पर १९६० के दशक के मध्य से सक्रिय है। उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की थी। छब्बीस साल उन्होंने अम्बाला के गांधी मेमोरियल कालेज मे अंग्रेजी साहित्य पढ़ाया। उन्हें संगीत नाटक अकादमी सम्मान (२००४) से सम्मानिय किया गया। वे २ जून २००६ को, सुबह की सैर के लिए निकले और आज तक वापस नही आए।
कृतियाँ
- कहानी संग्रह- अश्वारोही (१९७३), मातम (१९७८), तमाशा (१९७९), प्रतिनिधि कहानियां (१९८५), बाल भगवान (१९८६), किसी अप्रिय घटना का समाचार नहीं (१९९०), मसखरे कभी नहीं रोते (१९९७), निर्वाचित कहानियां (२००३)
- उपन्यास- नंबर ५७ स्क्वाड्रन (१९७३), मायापोत (१९८५)
- नाटक- बाल भगवान (१९८९), कोर्ट मार्शल (१९९१)[2], जलता हुआ रथ (१९९८), सबसे उदास कविता (१९९८), काल कोठरी (१९९९)
- संस्मरण- मैंने मांडू नहीं देखा (२००३)
कोर्ट मार्शल
कोर्ट मार्शल स्वदेश दीपक का सर्वश्रेष्ठ नाटक है।[किसके अनुसार?] दीपक स्वदेश के कोर्ट मार्शल का अरविन्द गौड़ के निर्देशन मे अस्मिता थियेटर ग्रुप द्रारा भारत भर मे ४५० बार से अधिक मन्चन। रंगमंच निर्देशक रन्जीत कपूर, उषा गांगुली, अमला राय और नदिरा बब्बर ने भी इसका मन्चन किया। यह कई भारतीय भाषाओं मे अनुवाद किया गया है रंगकर्मियो मे इस दशक का लोकप्रिय, प्रासंगिक, सामाजिक और राजनीतिक नाटक।
- स्वदेश दीपक का कोर्ट मार्शल..यादगार नाटक - कविता नागपाल (हिंदुस्तान टाइम्स)
- सिर्फ एक नाटक नहीं है 'कोर्ट मार्शल', अरविन्द गौड़ निर्देशित यह नाटक भारतीय समाज का एक जलता हुआ सच है- अजीत राय (नव भारत टाइम्स)
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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