Loading AI tools
उच्चतम राजनीतिक अंत के रूप में स्वतंत्रता को बनाए रखने वाले राजनीतिक दर्शन का सेट विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पूँजीवादी देशों में लोकोपकार के आग्रह के तहत राज्य की बढ़ी हुई भूमिका की प्रतिक्रिया में स्वतंत्रतावाद (libertarianism) के सिद्धांत का विकास हुआ है। स्वतंत्रतावाद मनुष्य और समाज के जीवन में राज्य की भूमिका को बेहद सीमित कर देना चाहता है। इसकी दो प्रमुख शाखाएँ हैं। एक शाखा अराजकतावादियों की है जो मानते हैं कि सरकार अपने आप में वैध संस्था है ही नहीं। दूसरी शाखा न्यनूतमवादियों की है जो मानती है कि सरकार को न्यूनतम काम करने का अधिकार है जिनमें पुलिस-सुरक्षा, अनुबंधों का कार्यान्वयन करवाना, नागरिक और फ़ौजदारी अदालत कायम करना शामिल है। लेकिन अधिकतर न्यूनतमवादी यह भी मानते हैं कि उनकी सूची में कर वसूलने का अधिकार शामिल नहीं है। यहाँ तक कि ऊपर वर्णित काम पूरे करने के लिए भी सरकार को लोगों से टैक्स नहीं लेना चाहिए। अराजकतावादियों का ख़याल है कि क्रिकेट के नाइटवाचमैन किस्म का यह राज्य भी कुछ ज़्यादा ही व्यापक है। वे मानते हैं कि न्यूनतमवादियों ने सरकार को जो काम दिये हैं, वे भी निजी एजेंसियों द्वारा किये जाने चाहिए। कुछ अराजकतावादी तो व्यक्ति की सुरक्षा के लिए भी सरकार को किसी तरह की शक्ति का उपभोग नहीं करने देना चाहते।
स्वतंत्रतावादी व्यक्ति के आत्म-स्वामित्व या ‘सेल्फ़ ऑनरशिप’ के विचार पर बल देते हैं। आत्म-स्वामित्व का विचार कांट द्वारा लोगों को अपने-आप में साध्य मानने के सूत्र का ही एक रूप है। इसका अर्थ यह है कि हर व्यक्ति ख़ुद अपना मालिक है। इसलिए उसकी ज़िंदगी में किसी को भी ऐसा दख़ल देने की ज़रूरत नहीं हैं जिससे उसके आत्म- स्वामित्व का उल्लंघन होता हो। इस आधार पर भी स्वतंत्रतावाद दो धाराओं में बँट जाता है : पहला, दक्षिणपंथी स्वतंत्रतावाद और दूसरा वामपंथी स्वतंत्रतावाद।
दक्षिणपंथी स्वतंत्रतावादी न्यूनतम राज्य की अवधारणा का समर्थक है। उसका मानना है कि व्यक्ति को असीम सम्पत्ति का अधिकार है। यदि राज्य व्यक्ति पर किसी भी तरह का कर लगाता है तो वह आत्म-स्वामित्व के उसूल का उल्लंघन होगा। लॉक के विचारों में इसके सूत्र पाये जा सकते हैं। बींसवी सदी में हायक और फ़्रीडमैन ने भी इस विचार का समर्थन किया है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इस आंदोलन को बौद्धिक समर्थन देने वाले प्रमुख विद्वानों में अमेरिकी अर्थशास्त्री मरे एन. रोथबर्ड का नाम भी प्रमुख है। रोथबर्ड ने अ-हस्तक्षेपकारी राज्य के सिद्धांत को मानवाधिकारों के असीमवादी संस्करण से जोड़ कर राज्य को ख़ारिज कर दिया। समकालीन विद्वानों में रॉबर्ट नॉज़िक इस के सबसे बड़े समर्थक हैं। दूसरी ओर, वाम-स्वतंत्रतावाद की भी एक लम्बी परम्परा रही है। वाम-स्वतंत्रतावादी अट्ठारहवीं और उन्नीसवीं सदी विचारकों, जैसे थॉमस पेन, हेनरी जॉर्ज और पीटर वालरस, के विचारों से प्रेरणा ग्रहण करते हैं। आजकल हीलेल स्टीनर और पीटर वेलेनटाइन जैसे विचारकों ने इसका समर्थन किया है। वाम-स्वतंत्रतावाद भी आत्म-स्वामित्व पर जोर देता है। वह मानता है कि संपत्तिहीन लोगों को आत्म-स्वामित्व का अधिकार देने के लिए या तो संसाधनों का राष्ट्रीयकरण किया जाना चाहिए, या फिर सभी लोगों तक इनकी पहुँच सुनिश्चित करनी चाहिए। फ़िलहाल स्वतंत्रतावाद के नाम पर केवल दक्षिणपंथी-स्वतंत्रतावाद का ही बोलबाला है।
1974 में दार्शनिक राबर्ट नॉज़िक की कृति 'एनार्की, स्टेट एंड यूटोपिया' के प्रकाशन के बाद इस आंदोलन पर काफ़ी अकादमीय ध्यान दिया गया। यह पुस्तक जॉन रॉल्स की अ थियरी ऑफ़ जस्टिस के 1971 के प्रकाशन में कुछ सामने आयी थी। अपनी किताब में नॉज़िक यह तर्क देते हैं कि राज्य को सिर्फ़ सुरक्षा और न्याय के काम करने चाहिए न्याय के इस सिद्धांत के तहत माना जाता है कि लोगों की विशेषताओं का ध्यान रखते हुए एक ख़ास तरीके से सम्पत्ति और आय का वितरण किया जाना चाहिए। नॉज़िक ने विख्यात बास्केटबॉल खिलाड़ी विल्ट चेम्बरलेन के उदाहरण से दिखाया है कि किस तरह छोटी-छोटी गतिविधियाँ व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन करती हैं। नॉज़िक कहते हैं कि अगर चेम्बरलेन को बॉस्केटबॉल का खेल दिखाने के लिए एक समतावादी समाज में सभी लोग अपने एक डॉलर का चौथाई हिस्सा दें तो उसके पास बहुत ज़्यादा सम्पत्ति जमा हो जाएगी।
नॉज़िक पैटर्न आधारित न्याय की समस्याओं से बचने के लिए इसकी जगह ऐतिहासिक सिद्धांत अपनाते हैं। उन्होंने लॉक के वर्णन को अपने इस ऐतिहासिक सिद्धांत का आधार बनाया है। उनके अनुसार यह ज़रूरी नहीं है कि व्यक्ति नैतिक रूप से अपनी सम्पत्ति के लायक हो। इसकी जगह व्यक्ति सम्पत्ति का सिर्फ़ हकदार हो सकता है। एक व्यक्ति सम्पत्ति का तभी हकदार हो सकता है जब उसने किसी लावारिस पड़ी वस्तु का न्यायपूर्ण अधिग्रहण किया हो; या फिर उसने किसी ऐसे व्यक्ति से सम्पत्ति ली हो जिसका उस पर न्यायपूर्ण शुरुआती अधिग्रहण हो। साथ ही, नॉज़िक अतीत के अन्यायों के परिशोधन की व्यवस्था भी करते हैं। अर्थात् यदि ऊपर-वर्ण्िात प्रक्रिया के अनुसार सम्पत्ति हासिल नहीं की गयी है तो व्यक्ति इसके लिए परिशोधन का दावा कर सकता है। अपनी किताब में नॉज़िक यह भी दिखाने की कोशिश करते हैं कि एक स्वतंत्रतावादी समाज यूटोपियाई सामाजिक व्यवस्था की सबसे सुसंगत परिभाषा पर खरा उतरता है।
इसके अलावा, डेविड गौथियर जैसे विद्वानों ने पारस्परिक लाभ के आधार पर स्वतंत्रतावाद की तरफ़दारी की है। दूसरी ओर, बहुत से विद्वानों ने स्वतंत्रता को ज़्यादा-से- ज़्यादा बढ़ाने को तर्क के आधार पर भी स्वतंत्रतावाद की वकालत की है। स्वतंत्रतावाद के दक्षिणपंथी संस्करण का आधारभूत तर्क बेहद कमज़ोर है। यह समाज में सम्पत्ति और संसाधनों की असमानता को ज्यों का त्यों स्वीकार कर लेता है। नॉज़िक के सिद्धांत में इस सवाल का जवाब देने की कोशिश नहीं की गयी है कि क्या वर्तमान दौर में बड़े-बड़े पूँजीपतियों ने अपनी सम्पत्ति न्यायपूर्ण अधिग्रहण के सिद्धांत के अनुसार हासिल की थी। इसी तरह इसमें यह भी स्पष्ट नहीं है कि क्या सभी लोगों को शुरुआती रूप से समान संसाधन दिये गये थे? यदि ऐसा नहीं हुआ तो सम्पत्तिहीन और साधनहीन लोगों को संसाधनों के पुनर्वितरण की माँग क्यों नहीं करनी चाहिए? यद्यपि वामपंथी-स्वतंत्रतावाद इस तरह के मुद्दे उठाता है लेकिन दक्षिणपंथी-स्वतंत्रतावाद का प्रभाव लगातार बढ़ता गया है। इसका मुख्य कारण लोकोपकारी राज्य की नाकामी है।
1. विल किमलिका (2009), समकालीन राजनीति-दर्शन : एक परिचय (दूसरा संस्करण) (अनु. कमल नयन चौबे), पियर्सन लांग्मैन, नयी दिल्ली.
2. राबर्ट नॉज़िक (1974), एनार्की स्टेट ऐंड यूटोपिया, बेसिक बुक्स, न्यूयॉर्क.
3. पीटर वेलेनटाइन और एच. एल. स्टीनर (सम्पा.) (2000), लेक्रट-लिबरटेरियनिज़म ऐंड इट्स क्रिटिक्स : द कंटेम्पररी डिबेट, पॉलगे्रव, लंदन.
4. एम. रॉथबार्ड (1982), इथिक्स ऑफ़ लिबर्टी, ह्यूमैनिटी प्रेस, अटलांटिक हाइलैण्ड्स, एनजे.
Seamless Wikipedia browsing. On steroids.
Every time you click a link to Wikipedia, Wiktionary or Wikiquote in your browser's search results, it will show the modern Wikiwand interface.
Wikiwand extension is a five stars, simple, with minimum permission required to keep your browsing private, safe and transparent.