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स्वयंचालित मशीनें (Automatic Machines) ऐसी मशीनें हैं जो मानव प्रयास के बिना भी किसी प्रचालन चक्र को पूर्णत: या अंशत: संचालित करती हैं। ऐसी मशीनें केवल पेशियों का ही कार्य नहीं करतीं वरन् मस्तिष्क का कार्य भी करती हैं। स्वयंचालित मशीनें पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से स्वयंचालित हो सकती हैं।[1] ये निम्नलिखित प्रकार का कार्य कर सकती हैं:
स्वयंचालित मशीनों के लाभ ये हैं :
इन लाभों के कारण जहाँ पहले केवल मनुष्यों से काम लिया जाता था, जैसे कार्यालयों, गृह और सड़क के निर्माणों, खनन, कृषि और कृषि के अन्य कामकाजों तथा अनेक उद्योग धंधों में वहाँ अब स्वयंचालित मशीनें पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से कार्य कर रही हैं।
किसी संयंत्र में कितना स्वचालित अंश होगा, यह लागत, प्राप्यता और अन्य प्रतिबंधों (limitations) पर निर्भर करता है। किसी संयंत्र के समस्त भागों को या संयंत्र के किसी एक भाग को या किसी संयंत्र की अनेक मशीनों या विभागों को स्वयंचालित रखना संभाव्य और व्यावहारिक हो सकता है। कुछ संयंत्र ऐसे हो सकते हैं कि उनका कुछ अंश ही स्वयंचालित रखना व्यावहारिक हो सकता है। कुछ स्वयंचालित रखना व्यावहारिक हो सकता है। कुछ संयंत्र ऐसे हो सकते हैं कि उनका कुछ अंश ही स्वयंचालित रखना व्यावहारिक हो सकता है। कुछ स्वयंचालित मशीनों के उदाहरण निम्नलिखित हैं :
इनके अतिरिक्त सूत कातने, कपड़ा बुनने, फसल काटने और तौलने आदि की भी स्वयंचालित मशीनें बनी हैं। भिन्न-भिन्न प्रकार के उद्योग-धंधों में काम आनेवाली जो अनेक प्रकार की विशिष्ट मशीनें आज बनी हैं।
मशीनी औजारों में स्वचालन का प्रचलन बहुत बढ़ गया है। इनसे लागत में बहुत कमी होती है।
दूसरे प्रकार के औजार में मशीन में छड़ का भरण होता और समस्त चक्र तब तक स्वयंचालित होता है जब तक समान छड़ खत्म नहीं हो जाता। अब नवीन छड़ डालकर चक्र पुन: चालित होता है।
मशीन एक टकुआवाली या बहुटकुआवाली हो सकती है। बहुटकुअवाली मशीन में कई छड़ भ्रमित होते हैं और साथ-साथ मशीन का कार्य चलता रहता है।
स्वयंचालित मशीनी औजारों के अन्य उदाहरण हैं - पेषण चक्की, गियर काटने की मशीन, मिलिंग मशीन, छेदने की मशीन इत्यादि।
रूपद (Template) के संसर्ग में कंटिका (Stylus) मशीन स्लाइडों को चालू करता है और औजार वांछित मार्ग का अनुसरण करते हुए समोच्च रेखा (Contour) का पुनरुत्पादन करते हैं। कंटिका उन वैद्युतीय या द्रवचालित युक्तियों (Hydraulic devices) को प्रचालित (operate) कर सकती है जो मशीन स्लाइडों को चलानेवाली मोटरों को नियंत्रित करती है।
स्थानांतरण मशीनों का प्रमापन - मशीन चलते समय विशिष्ट मशीनों में यथार्थता का निर्दिष्ट नियंत्रण वांछित है। चूँकि बहुत से प्रचालन होते हैं अत: स्थानांतरण मशीनों में कुछ अंतर्प्रक्रम और बहिर्प्रक्रम प्रमापन प्रविधियों का उपयोग होता है। ढली हुई वस्तुओं और मशीनित तलों (machined surfaces) की जाँच तथा विभिन्न भागों की स्वत: अस्वीकृति भी रहती है।
संख्यात्मक नियंत्रण के लिए जो मशीन औजार लिए गए हैं वे ये हैं - जिग वेधन मशीनें, पेषण तथा खराद मशीनें।
मशीन के विभिन्न प्रचालनों के नियंत्रणार्थ ये युक्तियाँ सरलतम तथा सामान्य हैं। ये स्वयंचालित भरण (feeding) में तथा दाबयंत्र (Presses) और पेंचमशीनों के विभिन्न पुर्जों के हटाने में भी प्रयुक्त होती हैं। कैम विभिन्न स्लाडडों की गति को नियंत्रित करते हैं तथा स्वयंचालित खराद मशीनों का संभरण करते तथा उन्हें गति प्रदान करते हैं।
कंटिका टेंपलेट का अनुसरण करती है और औजारों की गति कंटिका द्वारा द्रवचालित या वैद्युतीय युक्तियों से नियंत्रित की जाती है। अनुरेखक नियंत्रण एक, दो या तीन विमाओ (dimensions) में कार्य कर सकते हैं। एक दिशा में नियंत्रण खरादों पर होता है जहाँ औजार भीतर तथा बाहर पल्याण (Saddle) के साथ गति करता है। अंस (shoulder) में पल्याण का अनुदैर्ध्य संचलन स्वत: पकड़ में आ जाता है।
द्विविम अनुरेखक नियंत्रण या तो कर्तक (Cutter) को घुमाता है या समकोणिक दिशा में कार्य करता है। टेंपलेट के संपर्क का कंटिका, विक्षेप की दिशा और मात्रा के अनुपात में संकेत भेजता है। इलेक्ट्रानीय (Electronic) युक्ति दो संभरण (two feed) मोटरों की गति नियंत्रित करते हैं ताकि मच (table) की परिणामी (Resultant) गति कटिका के साथ संसर्ग में टेंपलेट पर स्पर्शीय हो।
प्रतिलिपि विधि में, जैसा ऊपर कहा गया है, टेंपलेट या प्रतिरूप का उत्पादन आवश्यक है जो स्वयं में कठिनाइयों और विलंब प्रस्तुत कर सकता है। इलेक्ट्रानीय नियंत्रण, टेंपलेट या प्रतिरूप के प्रयोग का निराकरण करता है तथा चुंबकीय और छिद्रित (Perforated) टेप द्वारा संचित सूचनाओं से विभिन्न भागों का यथार्थता से पुनरुत्पादन होता है। टेप पर अंकित सूचना की व्याख्या के तथा उचित समय पर m/c को संकेत भेजने के लिए उपयुक्त उपस्कर (equipment) की आवश्यकता होती है। ये संकेत m/c पर एक नियंत्रक युक्ति द्वारा ग्रहण किए जाते हैं जो m/c को आदेश पालन कराते हैं। m/c औजारों के संख्यात्मक नियंत्रण के दो प्रमुख वर्ग हैं :
इन दोनों प्रणालियों में कुछ बुनियादी साम्य हैं जिनमें 4 तत्व मुख्य हैं-
मशीनिंग के लिए पूरी सूचना "प्रक्रम इंजीनियर" द्वारा तैयार की जाती है ताकि मशीन की सभी गतियाँ पूर्व निर्धारित रहें मशीन परिचर (attendant) पर आश्रित न हो।
इसमें निम्न सोपान हैं-
1. सभी यांत्रिक विवरणों को ज्ञात करना - यथा, कर्तक का प्रकार, कर्तन का क्रम (Order) और कर्तनों को संख्या।
2. उपयुक्त दत्त (Datum) से सभी प्रमुख विमाओं का परिकलन (calculation)
द्विविम नियंत्रण हेतु सभी बिंदुओं के और निर्देशांकों (Coordinates) की गणना चुने हुए दत्त से कर ली जाती है। यह पार्ट (Part) के ब्लू पिं्रट (Blue print) से प्राप्त होता है।
3. कार्यक्रम निर्धारण - मशीनिंग के लिए विस्तृत निर्देश अंकों और शब्दों का प्रयोग कर संकेतों (Codes) में तैयार किए जाते हैं।
कर्तक के व्यास, कर्तक-भरण-दर और नियंत्रण दर आदि की रचना के लिए संकेत प्रयुक्त होते हैं।
4. ये निर्देश विशिष्ट भाषा में कार्डों पर छिद्रित होते हैं। ये छिद्रित कार्ड एक परिकलन यंत्र (Computer) में छोड़े जाते हैं जो कागज के टेप पर बने छिद्रित छेदों में विशिष्ट भाषा का अनुवाद कर देते हैं। यदि बीच की स्थितियों की सूचना की आवश्यकता पड़ती है तो टेप, परिकलनयंत्र पर लगा दिया जाता है जो कर्तक की निर्देशांक स्थिति को गणना कर देता है, वह फिर चुंबकीय टेप पर लपेट दिया जाता है जिसका उपयोग निविष्ट माध्यम की तरह थ्र्/ड़ औजार नियंत्रक ईकाई के लिए किया जाता है।
5. टेप पाठ्यांक सिरे पर लगाते है जो नियंत्रण इकाई का नियंत्रक को निर्देश भेजता है और बाद में मशीन स्लाइडों को नियंत्रित करता है। वही टेप बार बार प्रयुक्त हो सकता है और इस प्रकार चक्र (cycle) की पुनरावृत्ति होती रहती है।
वांछित स्थिति से किसी विचलन को सही करने के लिए इसका प्रयोग होता है। यह वांछित शर्त से m/c की च्युति (Drift) प्रवृत्ति को दूर करने का साधन है। उदाहरणतया यदि m/c मंच की स्थिति नियंत्रित की जाती है, तो प्रतिसंभरण नियंत्रक को वापसी संकेत भेजता है तथा आवश्यकता पड़ने पर संकेतों में शुद्धि की जाती है।
मंच स्थिति की त्रुटि निकाली जाती है तथा संकेत नियंत्रण इकाई को भेजे जाते हैं जो नियमन मोटर द्वारा मंच स्थिति को शुद्ध कर देते हैं।
मशीन औजारों के प्रयुक्त होने पर संख्यात्मक नियंत्रण, सभी कर्तक चालों, पूर्ण पथ, वर्क पीस के सापेक्ष कर्तक की संभरण दर तथा अन्य सहायक फलन (auxiliary function) यथा खरादन, कर्तन, तरल जोड़तोड़ (on and off) आदि के नियंत्रण हेतु, कार्य करता है।
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