सुलैमान
इजराइल का राजा व डेविड का पुत्र विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
सुलैमान (९६१-९२२ ई. पू.) इब्राहीमी धर्मों के अनुसार यहूदियों के राजा दाउद और बेथसाबे का पुत्र। उन्हें एक नबी तथा इस्लाम में एक पैगम्बर भी माना जाता है। बाइबल और कुरान के कथा के अनुसार अपनी माता, थाजक सादोक तथा नबी नायन के सम्मिलित प्रयास से सुलैमान अपने अग्रज अदोन्या का अधिकार अस्वीकार कराने में समर्थ हुए और वह स्वयं राजा बन गए। हिब्रू बाइबल ने उन्हें यरूशलेम में पहले मंदिर के निर्माता के रूप में पहचाना,[3] अपने शासनकाल के चौथे वर्ष में, उनके और उनके पिता के पास अकूत संपत्ति का उपयोग करके। उसने मंदिर को इस्राएल के परमेश्वर, यहोवा को समर्पित किया।
सुलैमान | |
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![]() The Judgment of Solomon, 1617 by Peter Paul Rubens (1577–1640) | |
King of Israel | |
शासनावधि | c. 970–931 BCE |
पूर्ववर्ती | दाउद |
उत्तरवर्ती | Rehoboam |
जन्म | c. 990 BCE यरुशलम, United Kingdom of Israel |
निधन | c. 931 BCE (aged c. 58 – 59) Jerusalem, United Kingdom of Israel |
समाधि | Jerusalem |
जीवनसंगी | Naamah, Pharaoh's daughter 700 wives of royal birth and 300 concubines[1][2] |
संतान | 3 recorded children:
Rehoboam
Taphath Basemath |
घराना | House of David |
पिता | दाउद |
माता | Bathsheba |
परिचय
बाइबिल में दिए गए कहानी के अनुसार सुलैमान ने यरुशलम का विश्वविख्यात मंदिर तथा बहुत से महल और दुर्ग बनवाए। अपने अंतरराष्ट्रीय संबंधों को सदृढ़ बना लेने के उद्देश्य से उन्होंने फराऊन की पुत्री के अतिरिक्त और बहुत सी विदेशी राजकुमारियों के साथ विवाह किया। उन्होंने यरुशलेम के मंदिर को देश के धार्मिक जीवन का केंद्र बनाया और अनेक अन्य बातों में भी केंद्रीकरण को बढ़ावा दिया।
अपने निर्माण कार्यों के कारण उन्होंने प्रजा पर करों का अनुचित भार डाल दिया था जिससे उनकी मृत्यु के बाद विद्रोह हुआ और उनके राज्य के दो टुकड़े हो गए-
- (१) उत्तर में इसराएल अथवा समारिया जो जेरोबोआम के शासन में आ गया और जिसमें दस वंश सम्मिलित हुए,
- (२) दक्षिण में यहूदा अथवा यरुसलेम, जिसमें दो वंश सम्मिलित थे और जो रोवोआप के शासन में आ गया।
परवर्ती पीड़ितों ने सुलैमान को आदर्श के रूप में देखकर उनको यहूदियों का सबसे प्रतापी राजा मान लिया है किंतु वास्तविकता यह है कि अत्यधिक केंद्रीकरण तथा करभार के कारण उनका राज्यकाल विफलता में समाप्त हुआ। उनके द्वारा निर्मित भवन उनकी ख्याति के एक मात्र आधार थे। वह अपनी बुद्धिमानी के लिए प्रसिद्ध हुए और इस कारण नीति, उपदेशक, श्रेष्ठ गीत, जैसे बाइबिल के अनेक परवर्ती प्रामाणिक ग्रंथों का श्रेय उनको दिया जाता था। कुछ अन्य प्रामाणिक ग्रंथ भी उनके नाम भी प्रचलित हैं।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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