सुबन्धु
विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
सुबन्धु संस्कृत भाषा के एक कवि थे। ये वासवदत्ता नामक गद्यकाव्य के रचयिता हैं।
![]() | इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के लिए उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (मार्च 2013) स्रोत खोजें: "सुबन्धु" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
जीवनकाल
सुबन्धु छठी शताब्दी ईस्वी में हुए ऐसा कहा जाता है। सुबन्धु ने अपने ग्रन्थ में 'श्रीपर्वतः इव सन्निहितः मल्लिकार्जुनः' ऐसा श्रीशैल के विषय में कहा है, इससे वे दाक्षिणात्य थे ऐसा विद्वानों का मत है। उनके काव्य में वर्णनात्मक भाग अधिक है। यद्यपि सुबन्धु ने अपने काव्य में उपमा, रूपक, विरोधाभास, उत्प्रेक्षा, परिसंख्या आदि अलंकारों का भी उपयोग किया है, तथापि श्लेष अलंकार इनका प्रिय रहा है। सुबन्धु की भाषा सुलभ और सरल है। केवल वासवदत्ता ही इनकी एक कृति है।
hsmvyसन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
Wikiwand - on
Seamless Wikipedia browsing. On steroids.