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दिल्ली का सुल्तान विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
सिकंदर खान लोदी(बचपन का नामः निजाम खां, मृत्यु २१ नवंबर, १५१७) लोदी वंश का द्वितीय शासक था। अपने पिता बहलूल खान लोदी की मृत्यु जुलाई १७, १४८९ उपरांत यह सुल्तान बना। इसके सुल्तान बनने में कठिनई का मुख्य कारण था इसका बडा़ भाई, बारबक शाह, जो तब जौनपुर का राज्यपाल था। उसने भी इस गद्दी पर अपने पिता के सिकंदर के नामांकन के बावजूद, दावा किया था। परंतु सिकंदर ने एक प्रतिनिधि म्ण्डल भेज कर मामला सुलझा लिया और एक बडा़ खून-खराबा बचा लिया। असल में इसने बारबक शाह को जौनपुर सल्तनत पर राज्य जारी रखने को कहा, एवं अपने चाचा आलम खान से भी विवाद सुलझा लिये, जो कि तख्ता पलट करने की योजना बना रहा था।
सिकंदर एक योग्य शासक सिद्ध हुआ। उसने अपने राज्य को ग्वालियर एवं बिहार तक बढा़या। उसने अल्लाउद्दीन हुसैन शाह एवं उसकी बंगाल के राज्य से संधि की। वह अपने देश के अफगान नवाबों को नियंत्रण में रखने में सफल हुआ, एवं अपने राज्य पर्यन्त व्यापार को खूब बढा़वा दिया। सन 1504 में, उसने वर्तमान आगरा शहर की नींव रखी।
• उसके आदेश पर संस्कृत के एक आयुर्वेद ग्रंथ का फारसी में "फरहंगे सिकंदरी"
नाम से अनुवाद किया गया।
उदार व्यक्ति के रूप में -
पूर्वाधिकारी बहलोल लोदी |
दिल्ली के सुल्तान 1489-1517 |
उत्तराधिकारी इब्राहिम लोदी |
दिल्ली सल्तनत के शासक वंश |
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ग़ुलाम वंश | ख़िलजी वंश | तुग़लक़ वंश | सैयद वंश | लोदी वंश | सूरी वंश |
साँचा:India-royal-stub
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