Loading AI tools
विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
सर्वदर्शनसंग्रह, माधवाचार्य विद्यारण्य द्वारा रचित दर्शन ग्रन्थ है। इसमें विद्यारण्य के समय तक के सभी प्रमुख सम्प्रदायों के दर्शनों का संग्रह और विवेचन है। इसमें विद्यारण्य ने सोलह दर्शनों का क्रमशः विकसित होते हुए रूप में खाका खींचा है
ध्यान देने योग्य है कि सर्वदर्शनसंग्रह में शंकराचार्य के अद्वैत वेदान्त के दर्शन का सोलहवां अध्याय अनुपस्थित है। इसके बारे में इस ग्रन्थ के पन्द्रहवें अध्याय के अन्त में लिखा है - " शंकर का दर्शन, जो इसके बाद के क्रम में आता है और जो सभी दर्शनों का सिरमौर है, की व्याख्या हमने कहीं और की है। इसलिये इसपर यहाँ कुछ नहीं कहा गया है।"
सर्वदर्शनसंग्रह से लोकायत के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। अपने दार्शनिक सिद्धान्त के प्रवर्तन के लिये वे अन्य सिद्धान्तों को एक-एक करके खण्डन करते हैं। इस ग्रन्थ की विशेष बात यह है कि व्याकरण के पाणिनि दर्शन को भी दर्शनों की श्रेणी में सम्मलित किया गया है। इन सब दर्शनों का संकलन करके माधवाचार्य ने अन्त में शंकराचार्य के अद्वैतवाद को सबसे श्रेष्ठ बताया है।
मंगलाचरण के पश्चात ग्रन्थ का आरम्भ कुछ इस प्रकार होता है-
Seamless Wikipedia browsing. On steroids.
Every time you click a link to Wikipedia, Wiktionary or Wikiquote in your browser's search results, it will show the modern Wikiwand interface.
Wikiwand extension is a five stars, simple, with minimum permission required to keep your browsing private, safe and transparent.