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डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक, मुंबई विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
समानता की प्रतिमा या डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर स्मारक भारत के प्रथम कानून मंत्री तथा भारतीय संविधान के पिता डॉ॰ भीमराव आम्बेडकर को समर्पित एक प्रस्तावित स्मारक है, जो भारतीय राज्य महाराष्ट्र के मुंबई में स्थित है।[1][2][3][4] यह स्मारक मुंबई के दादर में इंदू मिल की साडे 12 एकड भूमि पर बन रहा हैंबनेगा। स्मारक में आम्बेडकर की 137.3 मीटर (450 फीट) ऊँची कांस्य की विशालकाय मूर्ति स्थापित की जायेगी, जो विश्व की तिसरी सबसे ऊँची मूर्ति होगी। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 11 अक्टूबर 2015 को स्मारक के निर्माण का शिलान्यास किया।[5][6][7][8] यह स्मारक आंबेडकर के समाधि स्थली चैत्य भूमि के करीब है। वर्तमान में विश्व की पहली और दूसरी सबसे ऊँची मूर्तियां स्टैच्यू ऑफ यूनिटी 182 मीटर (597 फीट) और स्प्रिंग टैम्पल बुद्ध 153 मीटर (502 फीट) हैं।[9] स्मारक को स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी (समानता की प्रतिमा) कहां जाता हैं। आम्बेडकर ने भारतीय लोगों में समानता प्रस्थापित करने के लिए आजीवन संघर्ष किया, इसलिए उनको समानता का प्रतीक (सिम्बॉल ऑफ इक्वेलिटी) माना जाता है।
स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक | |
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स्मारक का शिलान्यास करते हुए प्रधानमन्त्रि नरेन्द्र मोदी, 11 नवंबर 2015 | |
स्थिति | इंदू मिल, प्रभादेवी, दादर, मुंबई, महाराष्ट्र, भारत |
अभिकल्पना |
शशि प्रभू राम सुतार |
प्रकार | प्रतिमा व स्मारक |
सामग्री | इस्पात, सीमेण्ट, कंक्रीट व कांस्य का आवरण |
ऊँचाई | 137.3 मीटर (450 फीट) |
निर्माण आरंभ | 2018 |
निर्माण पूर्ण | दिसंबर 2020 (अनुमान) |
समर्पित | डॉ॰ भीमराव आंबेडकर |
महाराष्ट्र के आम्बेडकरवादी नेता महाराष्ट्र सरकार से सन 2000 पूर्व से मुंबई में आम्बेडकर का भव्य स्मारक बनाने की मांग कर रहे थे। मुंबई के दादर में पुराने इंदु मिल्स की जमीन पर आम्बेडकर स्मारक बनाने सर्वप्रथम घोषणा 18 अगस्त 2012 को भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने की थी।[10] 2014 में केंद्र व राज्य में सरकार बदली और भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आयी। स्मारक का पहला एक प्रारूप बनाया गया था जिसमें केवल 80 फीट ऊंची आम्बेडकर प्रतिमा का प्रस्ताव था। 11 अक्टूबर 2015, स्मारक की आधारशिला भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रखी गई थी।[11] लेकिन कुछ संगठनों ने इस स्मारक के प्रारूप को लेकर ऐतराज जताया, रिपब्लिकन सेना के आनंदराज आंबेडकर सहित कुछ संगठनों ने मांग की थी कि आम्बेडकर का स्मारक अमेरिका के स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से भी ऊंचा होना चाहिये। इस संदर्भ में फैसला लेने के लिए राज्य के सामाजिक न्याय मंत्री राजकुमार बडोले की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई।[12][13] कमिटी ने नया प्रारुप बनाया, आंबेडकर के अंतरराष्ट्रिय स्मारक के इस नए प्रारूप को अगस्त 2016 को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा मंजूरी दे दी गई। इस प्रारूप के मुताबिक इंदु मिल की जमीन पर जो आंबेडकर स्मारक विकसित किया जाने वाला था उसमें आंबेडकर की 350 फीट ऊंची प्रतिमा बनाने का प्रस्ताव था, जिसमें प्रतिमा के चबूतरे की ऊंचाई 100 फीट भी सम्मिलीत थी।[14][15] इस प्रारुप में अमेरिका के स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से भी ऊंची प्रतिमा स्थापित करने की योजना थी।[16][17] आम्बेडकर के पौत्र आनंदराज आंबेडकर ने फिर इसका विरोध करते हुए आरोप किया की मुर्ति की ऊंचाई 100 फीट से कम की गई हैं, उन्होंने मांग की थी कि केवल आम्बेडकर की प्रतिमा (बिना चबुरते) की ऊंचाई 350 फीट होनी चाहिये। 21 जून 2019 में देवेन्द्र फडणवीस ने मुर्ति की कुल ऊंचाई 450 (137.3 मीटर) फीट करने की घोषणा की, जिसमें मुर्ति के चबुतरे की ऊंचाई भी शामील है।[18][19]
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