शीशराम ओला (३० जुलाई १९२७ - १५ दिसम्बर २०१३) राजस्थान से भारतीय राजनीतिज्ञ थे। वो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से १५वीं लोकसभा के सांसद और केंद्रीय श्रम मंत्री थे।[1]
शीशराम ओला | |
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श्रम और रोजगार मंत्री | |
पद बहाल १७ जून २०१३ – १५ दिसम्बर २०१३ | |
प्रधानमंत्री | मनमोहन सिंह |
पूर्वा धिकारी | मल्लिकार्जुन खड़गे |
चुनाव-क्षेत्र | झुंझुनू |
खान मंत्रालय | |
पद बहाल २७ नवम्बर २००४ – २२ मई २००९ | |
श्रम और रोजगार मंत्री | |
पद बहाल २३ मई २००४ – २७ नवम्बर २००४ | |
जन्म | 30 जुलाई 1927 झुंझुनू, राजस्थान |
मृत्यु | १५ दिसम्बर २०१३ (आयु ८६ वर्ष) नई दिल्ली |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
जीवन संगी | श्रीमती शिवबाई ओला |
बच्चे | २ पुत्र और एक पुत्री |
As of ३० जून, २०१३ Source: |
जीवन
ओला का जन्म ३० जुलाई १९२७ को भारतीय राज्य राजस्थान के झुंझुनू जिले के अरड़ावता नामक गाँव में एक जाट कृषक परिवार में हुआ।[2] उनके पिता का नाम चौधरी श्री मंगलराम ओला एवं माँ का नाम श्रीमती सोनी देवी था। उन्होंने मैट्रिक तक शिक्षा प्राप्त की।[2] उनका विवाह श्रीमती शिवदेवी ओला से हुआ।[3]
राजनीतिक जीवन
सन् १९४८ में वो अपने गाँव अरड़ावता के सरपंच चुने गये और १९५१ तक वहाँ के सरपंच रहे। वो १९५७ और १९६२ के राजस्थान विधान सभा चुनावों में खेतड़ी विधान सभा क्षेत्र से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सांसद रहे।[4] १९६७ के चुनाव में वो स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार से चुनाव हार गये। लेकिन ३० जून १९६९ को हुए उप-चुनाव में वो खेतड़ी से ही चुनाव जीत गये। वो १९७२ और १९७७ में पिलानी तथा १९८०, १९८५ और १९९३ के विधान सभा चुनावों में झुंझुनू विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गये। १८ फ़रवरी १९८१ को राज्य सरकार मंत्रिमण्डल में ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज तथा सैनिक कल्याण विभाग के प्रभारी राज्य मंत्री नियुक्त किए गए। उस समय शिवचरण माथुर राजस्थान के मुख्यमंत्री थे। ११ मार्च १९८५ में वो सहकारिता वन एवं पर्यावरण और सैनिक कल्याण आदि विभागों के प्रभारी राज्यमंत्री बने। १६ अक्टूबर १९८५ को उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया।[5] ६ फ़रवरी १९८८ को उन्हें राज्य सरकार में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी भू-जल तथा सैनिक कल्याण विभाग का दायित्व सौंपा गया। १२ जून १९८९ को उनका विभाग बदलकर सिंचाई रावी व्यास नदियों के सिस्टम संबंधित कार्य आबकारी तथा सैनिक कल्याण विभाग दिया गया।[6][2][7][8] वे 8 बार विधायक और पांच बार सांसद चुने गए थे।[9]
सम्मान एवं पुरस्कार
सैनिक कल्याण कर्यों एवं बालिका शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें १९६८ में पद्मश्री से अलंकृत किया गया।[2][9][10]
निधन
१५ दिसम्बर २०१३ को आंत के संक्रमण के कारण गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में उनका निधन हो गया। उनकी पत्नी, दो बेटे और एक बेटी है। उनका एक बेटा बृजेन्द्र ओला राजस्थान के कांग्रेसी विधायक हैं राजस्थान की गहलोत सरकार में मंत्री थे।[9][11]
सन्दर्भ
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