शिवकुमार शर्मा
भारतीय संतूर वादक (जन्म:1938) विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
पंडित शिवकुमार शर्मा (जन्म १३ जनवरी, १९३८, जम्मू, भारत[1]) प्रख्यात भारतीय संतूर वादक हैं।[2][3] संतूर एक कश्मीरी लोक वाद्य होता है।[1][4][5][6] इनका जन्म जम्मू में गायक[7][8] पंडित उमा दत्त शर्मा के घर हुआ था।[9] १९९९ में रीडिफ.कॉम को दिये एक साक्षातकार में उन्होंने बताया कि इनके पिता ने इन्हें तबला और गायन की शिक्षा तब से आरंभ कर दी थी, जब ये मात्र पाँच वर्ष के थे।[8] इनके पिता ने संतूर वाद्य पर अत्यधिक शोध किया और यह दृढ़ निश्चय किया कि शिवकुमार प्रथम भारतीय बनें जो भारतीय शास्त्रीय संगीत को संतूर पर बजायें। तब इन्होंने १३ वर्ष की आयु से ही संतूर बजाना आरंभ किया[8] और आगे चलकर इनके पिता का स्वप्न पूरा हुआ।[1] इन्होंने अपना पहला कार्यक्रम बंबई में १९५५ में किया था।


शिवकुमार शर्मा | |
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पृष्ठभूमि | |
शिवकुमार शर्मा संतूर के महारथी होने के साथ साथ एक अच्छे गायक भी हैं। एकमात्र इन्हें संतूर को लोकप्रिय शास्त्रीय वाद्य बनाने में पूरा श्रेय जाता है।[4][10] इन्होंने संगीत साधना आरंभ करते समय कभी संतूर के विषय में सोचा भी नहीं था, इनके पिता ने ही निश्चय किया कि ये संतूर बजाया करें।[8] इनका प्रथम एकल एल्बम १९६० में आया।[1] १९६५ में इन्होंने निर्देशक वी शांताराम की नृत्य-संगीत के लिए प्रसिद्ध हिन्दी फिल्म झनक झनक पायल बाजे का संगीत दिया।[11]
१९६७ में इन्होंने प्रसिद्ध बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया और पंडित बृजभूषण काबरा की संगत से एल्बम कॉल ऑफ द वैली बनाया, जो शास्त्रीय संगीत में बहुत ऊंचे स्थान पर गिना जाता है।[1][10] इन्होंने पं.हरि प्रसाद चौरसिया के साथ कई हिन्दी फिल्मों में संगीत दिया है।[12] फिल्म संगीत का श्रीगणेश १९८० में सिलसिला से हुआ था।[11] इन्हें शिव-हरि नाम से प्रसिद्धि मिली।[11] इनकी कुछ उल्लेखनीय फिल्मों में फासले (१९८५), चाँदनी (१९८९), लम्हे (१९९१) और डर (१९९३) हैं।
पंडित शर्मा की पत्नी का नाम मनोरमा शर्मा है।[9][13] जिनसे इन्हें दो पुत्र हुए।[8] इनके ज्येष्ठ पुत्र राहुल शर्मा,[14][15] भी संतूर-वादक हैं।[16][17] ये पिता पुत्र १९९६ से साथ-साथ संतूर-वादन करते आ रहे हैं।[8] शर्मा जी ने राहुल को ईश्वर का वरदान मानते हुए अपना शिष्य बनाया और संतूर-वादन में पारंगत किया।[8]
सम्मान
शर्मा जी को कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मान एवं पुरस्कार मिल चुके हैं। इन्हें १९८५ में बाल्टीमोर, संयुक्त राज्य की मानद नागरिकता भी मिल चुकी है।[18] इसके अलावा इन्हें १९८६ में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार,[19] १९९१ में पद्मश्री, एवं २००१ में पद्म विभूषण से भी अलंकृत किया गया था।[20]
पुरस्कार (शास्त्रीय संगीत एवं फिल्म)
- प्लेटिनम डिस्क द कॉल ऑफ द वैली" के लिए
- प्लेटिनम डिस्क सिलसिला (हिन्दी फिल्म) के लिए
- गोल्ड डिस्क फासले (हिन्दी फिल्म) के संगीत के लिए
- प्लेटिनम डिस्क चांदनी (हिन्दी फिल्म) के लिए
- लमहे (हिन्दी फिल्म) के लिए विशिष्ट पुरस्कार
- डर (हिन्दी फिल्म) के लिए विशिष्ट पुरस्कार
डिस्कोग्राफ़ी
- शर्मा, पं शिवकुमार (१९९१). एल्बम दिया: द ग्लोरी ऑफ स्ट्रिंग्स – संतूर. मुंबई: टी-सीरीज़.
- शर्मा, पं शिवकुमार (१९९३). एल्बम दिया: राग भोपाली [खण्ड-१].
- शर्मा, पं शिवकुमार (१९९३). एल्बम दिया: राग केदारी [खण्ड-२].
- शर्मा, पं शिवकुमार (१९९४). एल्बम दिया: हण्ड्रेड स्ट्रिंग्स ऑफ़ संतूर.
- शर्मा, पं शिवकुमार (१९९४). एल्बम दिया: हिप्नोटिक संतूर.
- शर्मा, पं शिवकुमार (१९९४). एल्बम दिया: पॉयनियर ऑफ संतूर.
- शर्मा, पं शिवकुमार (१९९४). एल्बम दिया: राग बिलासखानी तोड़ी.
- शर्मा, पं शिवकुमार (१९९८). एल्बम दिया: संतूर (राग रागेश्वरी).
- शर्मा, पं शिवकुमार (१९९९). एल्बम दिया: संप्रदाय.
- शर्मा, पं शिवकुमार (२००४). एल्बम दिया: द इनर पाथ (किरवानी-संतूर).
- शर्मा, पं शिवकुमार (२००४). एल्बम दिया: सिम्पैटिको (चारुकेशी-संतूर).
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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