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विरोचन हिन्दू पौराणिक गाथाओ के अनुसार हिरण्यकशिपु के ज्येष्ठ पुत्र प्रह्लाद का पुत्र , हिरण्यकशिपु का पौत्र तथा बली का पिता और एक असुर राजा था।[1] छान्दोग्य उपनिषद्[2] के अनुसार इन्द्र और वह प्रजापति के पास आत्मन् के बारे में शिक्षा ग्रहण करने गये और ३२ वर्ष तक ब्रह्मचर्य का पालन किया। लेकिन अंत में विरोचन ने प्रजापति की शिक्षा को ग़लत समझ लिया और असुरों को आत्मन् की जगह शरीर को पूजने की शिक्षा देने लगा।[3] इसी कारणवश असुर मृतक की देह को सुगंध, माला तथा आभूषणों से सुसज्जित करते थे।[4]
विरोचन देवताओं के साथ युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुआ।
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