विजयलक्ष्मी पंडित
भारतीय राजनीतिज्ञ विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
विजय लक्ष्मी पंडित भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु की बहन थीं। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में विजय लक्ष्मी पंडित ने अपना अमूल्य योगदान दिया।
![]() | |
जन्म | 18 अगस्त 1900 इलाहाबाद |
मृत्यु | दिसम्बर 1, 1990 90 वर्ष) | (उम्र
जीवनसाथी | रणजीत सिताराम पण्डित और सैय्यद हुसैन |
बच्चे | नयनतारा सहगल |
जीवनी
इनका जन्म 18 अगस्त 1900 को नेहरू परिवार में हुआ था। उनकी शिक्षा-दीक्षा मुख्य रूप से घर में ही हुई। 1921 में उन्होंने काठियावाड़ के सुप्रसिद्ध वकील रणजीत सीताराम पण्डित से विवाह कर लिया।[1] गांधीजी से प्रभावित होकर उन्होंने भी आज़ादी के लिए आंदोलनों में भाग लेना आरम्भ कर दिया।[2] वह हर आन्दोलन में आगे रहतीं, जेल जातीं, रिहा होतीं और फिर आन्दोलन में जुट जातीं। उनके पति को भारत की स्वतंत्रता के लिए किये जा रहे आन्दोलनों का समर्थन करने के आरोप में गिरफ्तार करके लखनऊ की जेल में डाला गया जहाँ कठोर कारावास के कारण जेल से रिहा होते ही उनके पति का निधन हो गया। वो भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की बहन थी जिनकी पुत्री इन्दिरा गांधी लगभग 13 वर्षों तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं।[3][2]

श्रीमती विजय लक्षमी ने १९५२ में ग्रामीण सभ्यता व संसकृति से परिचय हेतु राजस्थान के बाडमेर जिले के सांस्कृतिक गांव बिसाणिया में 'मालाणी डेलूओं की ढाणी' का ऐतिहासिक दौरा किया था।
व्यक्तिगत जीवन
जब विजया लक्ष्मी 19 साल की थीं, तब उन्हें सैयद हुसैन से प्यार हो गया,[4] जो बाद में मिस्र में पहले भारतीय राजदूत बने। हुसैन उनसे 12 वर्ष बड़े थे।[5] जब उन्होंने मुस्लिम रीति-रिवाज के अनुसार चुपचाप शादी कर ली, तो महात्मा गांधी और नेहरू परिवार के दबाव में उन्हें शादी रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा।[6][7] 1921 में, उनकी शादी रंजीत सीताराम पंडित (1921-1944) से हुई, जो काठियावाड़, गुजरात के एक सफल बैरिस्टर और शास्त्रीय विद्वान थे, जिन्होंने कल्हण के महाकाव्य इतिहास राजतरंगिणी का संस्कृत से अंग्रेजी में अनुवाद किया था। उनके पति एक महाराष्ट्रीयन सारस्वत ब्राह्मण थे, जिनका परिवार महाराष्ट्र में रत्नागिरी तट पर बम्बुली गाँव का रहने वाला था। उन्हें भारतीय स्वतंत्रता के समर्थन के लिए गिरफ्तार कर लिया गया और 1944 में लखनऊ जेल में उनकी पत्नी और उनकी तीन बेटियों चंद्रलेखा मेहता, नयनतारा सहगल और रीता डार को छोड़कर उनकी मृत्यु हो गई।
1990 में उनकी मृत्यु हो गई। उनके परिवार में उनकी बेटियां चंद्रलेखा और नयनतारा सहगल हैं। विजयलक्ष्मी सैय्यद हुसैन से बहुुुत प्यार करती थी। उससे उसने निकाह भी कर रखा था। सैय्यद हुसैन ढाका का रहने वाला जाना माना पत्रकार था।
राजनैतिक जीवन
1937 में वो संयुक्त प्रांत की प्रांतीय विधानसभा के लिए निर्वाचित हुईं और स्थानीय स्वशासन और सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्री के पद पर नियुक्त की गईं। 1946-50 तक आप भारतीय संविधान सभा की सदस्य चुनी गई। 1953 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष बनने वाली वह विश्व की पहली महिला थीं।[8][9] वे राज्यपाल और राजदूत जैसे कई महत्त्वपूर्ण पदों पर रहीं।
उन्होंने इन्दिरा गांधी द्वारा लागू आपतकाल का विरोध किया था और जनता दल में शामिल हो गईं थी।[10]
निधन
1 दिसम्बर 1990 को देहरादून के उत्तरी प्रान्त में उनका निधन हो गया। उनके निधन के समय उपन्यासकार नयनतारा सहगल सहित 3 पुत्रियाँ थी।[2]
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
Wikiwand - on
Seamless Wikipedia browsing. On steroids.