Remove ads
भारत का एक राजनैतिक दल विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
लोकदल भारतीय राजनैतिक दल है। इस दल के संस्थापक भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह थे। और वर्तमान अध्यक्ष चौधरी सुनील सिंह हैं।[1]
इस लेख में सत्यापन हेतु अतिरिक्त संदर्भ अथवा स्रोतों की आवश्यकता है। कृपया विश्वसनीय स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री को चुनौती दी जा सकती है और हटाया भी जा सकता है। (अक्टूबर 2018) स्रोत खोजें: "लोकदल" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
लोकदल का इतिहास शुरू होता 1974 से जब चौधरी चरण सिंह ने भारतीय लोक दल नाम से अपनी पार्टी बनाई थी। तब इसका चुनाव निशान 'हलधर किसान' था। इमरजेंसी के बाद 1977 में इंदिरा गांधी का मुकाबला करने के लिए कई नेताओं ने अपनी-अपनी पार्टियों का विलय कराकर जनता पार्टी बनाई। कई पार्टियों को मिलाकर बनाई गई जनता पार्टी का चुनाव निशान भी हलधर किसान बना। 1977 में कांग्रेस पार्टी को हराकर जनता पार्टी ने केंद्र में सरकार बनाई। मोरारजी देसाई के बाद चौधरी चरण सिंह जनता पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री भी बने। लेकिन 1980 में आपसी मतभेदों के कारण जनता पार्टी टूट गई और चौधरी चरण सिंह भी उससे अलग हो गए। अब उन्होंने जो पार्टी बनाई उसका नाम 'लोकदल' था और चुनाव निशान था 'हल जोतता हुआ किसान'। लोकदल नाम कि ये पार्टी 1987 में चौधरी चरण सिंह के देहांत तक ठीक से चलती रही। एक समय देवी लाल, नीतीश कुमार, बीजू पटनायक, शरद यादव और मुलायम सिंह यादव भी इसी लोक दल के नेता होते थे। 1984 के लोकसभा चुनाव में जब भारतीय जनता पार्टी के सिर्फ दो सांसद थे तब लोकदल के चार सांसद होते थे। लेकिन चौधरी चरण सिंह के देहांत के बाद लोकदल पर कब्जे की लड़ाई छिड़ गई। कुछ दिनों तक हेमवती नंदन बहुगुणा इसके अध्यक्ष रहे। लेकिन बाद में यह लड़ाई चुनाव आयोग पहुंच गई। उस समय भी पार्टी पर दावा करने वालों में खुद चौधरी चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह भी शामिल थे। लेकिन भारतीय चुनाव आयोग ने फैसला सुनाया कि अजीत सिंह बेटे होने के नाते चरण सिंह की संपत्ति के वारिस तो हो सकते हैं, मगर पार्टी की विरासत उन्हें नहीं मिल सकती है। तब अजीत सिंह ने राष्ट्रीय लोक दल नाम की अपनी अलग पार्टी बना ली जिसे वह अभी भी चला रहे हैं। इधर असली 'लोकदल' लंबी कानूनी लड़ाई के बाद पहुंच गई अलीगढ़ के जाट नेता चौधरी राजेंद्र सिंह के हाथों में जो एक समय इस पार्टी के कद्दावर नेता थे। सुनील सिंह उन्हीं राजेंद्र सिंह के बेटे हैं जो पिता के देहांत के बाद किसी तरह से लोकदल का नाम और चुनाव चिन्ह अपने पास बनाए हुए हैं। सुनील सिंह एक बार उत्तर प्रदेश के विधान परिषद सदस्य रह चुके हैं लेकिन उसके बाद हर चुनाव हार गए। चुनाव आयोग की लिस्ट में लोकदल उत्तर प्रदेश की एक Unrecognized पार्टी के तौर पर दर्ज है।[2]
Seamless Wikipedia browsing. On steroids.
Every time you click a link to Wikipedia, Wiktionary or Wikiquote in your browser's search results, it will show the modern Wikiwand interface.
Wikiwand extension is a five stars, simple, with minimum permission required to keep your browsing private, safe and transparent.