रामेश्वर सिंह (महाराजा)

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रामेश्वर सिंह (महाराजा)

महाराजा सर रामेश्वर सिंह ठाकुर (१६ जनवरी १८६० - ०३ जुलाई १९२९) दरभंगा के सन १८९८ से जीवनपर्यन्त महाराजा थे। अपने बड़े भ्राता के मृत्यु के उपरान्त वे महाराजा बने। वे १९७८ में भारतीय सिविल सेवा में भर्ती हुए थे और क्रमशः दरभंगा, छपरा तथा भागलपुर में सहायक मजिस्ट्रेट रहे। लेफ्टिनेन्ट गवर्नर की कार्यकारी परिषद में नियुक्त होने वाले वे पहले भारतीय थे।[1]

सामान्य तथ्य रामेश्वर सिंह, दरभंगा के महाराजा ...
रामेश्वर सिंह
दरभंगा राज महाराजाधिराज सर
दरभंगा के महाराजा
शासनावधि1898 - 1929
पूर्ववर्तीमहाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह
उत्तरवर्तीमहाराजाधिराज कामेश्वर सिंह
जन्मदरभंगा
घरानादरभंगा राज
पितामहेश्वर सिंह
धर्महिन्दू
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दरभंगा के चौरंगी चौराहे पर रामेश्वर सिंह की प्रतिमा

वह 1899 में भारत के गवर्नर जनरल की भारत परिषद के सदस्य थे और 21 सितंबर 1904 को एक गैर-सरकारी सदस्य नियुक्त किये गए थें जो बंबई प्रांत के गोपाल कृष्ण गोखले के साथ बंगाल प्रांतों का प्रतिनिधित्व कर रहे थें।[2]

वह बिहार लैंडहोल्डर एसोसिएशन के अध्यक्ष, ऑल इंडिया लैंडहोल्डर एसोसिएशन के अध्यक्ष, भारत धर्म महामंडल के अध्यक्ष, राज्य परिषद के सदस्य, कलकत्ता में विक्टोरिया मेमोरियल के ट्रस्टी, हिंदू विश्वविद्यालय सोसायटी के अध्यक्ष, एम.ई.सी. बिहार और उड़ीसा के सदस्य और भारतीय पुलिस आयोग के सदस्य (1902–03) थें। उन्हें 1900 में कैसर-ए-हिंद पदक से सम्मानित किया गया था। वह भारत पुलिस आयोग के एकमात्र सदस्य थें, जिन्होंने पुलिस सेवा के लिए आवश्यकताओं पर एक रिपोर्ट के साथ असंतोष किया, और सुझाव दिया कि भारतीय पुलिस सेवा में भर्ती एक ही परीक्षा के माध्यम से होनी चाहिए। केवल भारत और ब्रिटेन में एक साथ आयोजित किया जाएगा। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि भर्ती रंग या राष्ट्रीयता पर आधारित नहीं होनी चाहिए। इस सुझाव को भारत पुलिस आयोग ने अस्वीकार कर दिया।[3] महाराजा रामेश्वर सिंह एक तांत्रिक थें और उन्हें बौद्ध सिद्ध के रूप में जाना जाता था। वह अपने लोगों द्वारा एक राजर्षि माने जाते थें।[4]

उन्हें 26 जून 1902 को नाइट कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द इंडियन एंपायर (KCIE) के नाम से जाना गया[5], 1915 की बर्थडे ऑनर्स लिस्ट में एक नाइट ग्रैंड कमांडर (GCIE) में पदोन्नत किया गया[6] और उन्हें नाइट ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर का नाइट कमांडर नियुक्त किया गया, 1918 बर्थडे ऑनर्स लिस्ट में सिविल डिवीजन (KBE) में।[7]

उनके पश्चात उनके पूत्र सर कामेश्वर सिंह उनके उत्तराधिकारी हुए थें।

सन्दर्भ

इन्हें भी देखें

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