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1967 की रवीन्द्र दवे की फ़िल्म विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
राज़ 1967 में बनी हिन्दी भाषा की रूमानी फिल्म है। इसे रवीन्द्र दवे द्वारा निर्देशित, जी॰ पी॰ सिप्पी द्वारा निर्मित और कहानी लेखन सी॰ जे॰ पावरी द्वारा किया गया। फिल्म में राजेश खन्ना, बबीता, आई॰ एस॰ जौहर और असित सेन हैं। फ़िल्म का संगीत कल्याणजी-आनंदजी का है।
राज़ | |
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फ़िल्म का पोस्टर | |
निर्देशक | रवीन्द्र दवे |
लेखक | सी॰ जे॰ पावरी |
निर्माता | जी॰ पी॰ सिप्पी |
संगीतकार | कल्याणजी-आनंदजी |
प्रदर्शन तिथि |
1967 |
लम्बाई |
मिनट |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
कुमार (राजेश खन्ना), हालांकि भारतीय मूल का है, अफ्रीका में रहता है। उसे भारत के एक रेलवे स्टेशन के सपने आते हैं। वह इसे खोजने का फैसला करता है और अपने दोस्त रॉकी (आई॰ एस॰ जौहर) के साथ भारत आता है। वे वह रेलवे स्टेशन को खोज लेता है। जब वे वहाँ जाता है, तो स्थानीय लोग उनसे दूर हटते हैं जैसे कि वे कोई भूत को देख लिये। वे आवास ढूंढते हैं और कुमार के सपनों के पीछे के रहस्य की खोज करते हैं। तब एक युवती सपना (बबीता), कुमार से मिलती है। वह उसे बताती है कि वह उसकी वापसी का इंतजार कर रही थी और अब वे फिर से एक साथ हो सकते हैं। लेकिन कुमार इससे पहले कभी भी इस जगह पर नहीं रहा है और इससे और ज्यादा उलझन में हो जाता है। तब बंसी नाम का एक अन्य स्थानीय ग्रामीण उन्हें बताता है कि उसने खुद कुमार को मरते हुए देखा था और पास के जंगल में दफन कर दिया था। कुमार और रॉकी को अब पता लगाना है कि किसकी हत्या की गई थी, और ग्रामीणों का क्यों मानना है कि कुमार कब्र से लौट आया है।
कुमार को एक रहस्यमय व्यक्ति (कमल कपूर) से सच्चाई का पता चलता है कि मारा गया व्यक्ति वास्तव में कुमार का जुड़वाँ भाई सुनील था। हत्यारा सपना के दुष्ट चाचा सरकार नाथ (डी के सप्रू) थे जो कुमार और सपना के प्यार के खिलाफ थे और इसलिए उन्होंने कुमार को मारने की योजना बनाई। कुमार पर सरकार के गुंडो ने हमला किया और वह बेहोश हो गया। उसी समय, सुनील और उसका दोस्त पहुंचे और कुमार को बेहोश पाया। सुनील मदद के लिए गया लेकिन उसे कुमार समझ लिया गया और उसे मारकर जंगल में दफना दिया गया। हमले से उसके सिर पर चोट लगने के परिणामस्वरूप, कुमार ने अपनी याददाश्त खो दी थी। इस प्रकार जब वह अफ्रीका लौटा तो उसे बार-बार सपने आने लगे।
अंत में कुमार खलनायक की पहचान करता है और उन्हें हरा देता है। कुमार और सपना इसके बाद खुशी-खुशी रहते हैं।
सभी कल्याणजी-आनंदजी द्वारा संगीतबद्ध।
क्र॰ | शीर्षक | गीतकार | गायक | अवधि |
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1. | "दिल संभाले संभलता नहीं" | गुलशन बावरा | मुकेश, लता मंगेशकर | 4:40 |
2. | "जब प्यार किया तो मरना क्यूँ" | क़मर जलालाबादी | मन्ना डे | 2:38 |
3. | "सोचता हूँ कि मैंने तुम्हें" | अख्तर रूमानी | मोहम्मद रफी, कृष्णा काल्ले | 3:24 |
4. | "अकेले है चले आओ" (I) | शमीम जयपुरी | मोहम्मद रफी | 3:26 |
5. | "ऐ जी जरा सुनना" | क़मर जलालाबादी | लता मंगेशकर | 3:27 |
6. | "अकेले है चले आओ" (II) | शमीम जयपुरी | लता मंगेशकर | 4:12 |
7. | "पोपट हूँ मैं प्यार का" | नूर देवासी | मन्ना डे | 3:39 |
8. | "प्यार ने दी सदा तुम को" | राजा मेहदी अली खान | कृष्णा काल्ले | 3:41 |
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